प्रियंका गांधी वॉड्रा राजनीति में कब आएंगी, इसका जवाब उनके सिवाय किसी के पास नहीं
है। मगर शुक्रवार को उन्होंने अमेठी पहुंचते ही ड्राइविंग सीट संभाल ली। जी हां, फुरसतगंज हवाई अड्डे पर उतरते ही प्रियंका अपने परिवार की पुरानी गाड़ी ग्रीन क्वॉलिस की ड्राइविंग सीट पर बैठ गईं। अमेठी से सांसद राहुल गांधी बगल की सीट पर बैठे। फुरसतगंज से गौरीगंज के अंगरावा गांव तक की यात्रा प्रियंका ने गाड़ी ड्राइव करते हुए पूरी की। अमेठी-रायबरेली में इससे पहले लोगों ने प्रियंका को गाड़ी चलाते नहीं देखा था। अमेठी और रायबरेली दोनों संसदीय क्षेत्रों में बिटिया, दीदी और कहीं-कहीं 'भैया' के नाम से लोकप्रिय प्रियंका को गाड़ी चलाता देख इलाके के पुराने लोगों को राजीव गांधी की याद आ गई। राजीव को खुद गाड़ी चलाने का बहुत शौक था। वह गाड़ी तेज भी बहुत चलाते थे।
प्रियंका और राहुल लंबे अरसे के बाद एक साथ अमेठी आए हैं। प्रियंका को स्टियरिंग वील संभाले देख लोगों में तमाम तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं। इस दृश्य को देखकर खुश और उम्मीद से भरे लोग कह रहे थे कि अगर प्रियंका कांग्रेस की राजनीति की स्टेयरिंग संभाल लें तो कांग्रेस का कायाकल्प होने में देर नहीं लगेगी। तेज-तर्रार प्रियंका में लोग इंदिरा की छवि देखते हैं, जबकि राहुल में उन्हें राजीव की सौम्यता और नाप-तौल के कदम रखने वाले गंभीर शख्स की इमेज नजर आती है। भाई-बहन के बीच बेहद स्नेह के साथ गजब का राजनीतिक तालमेल है। इसकी मिसाल गौरीगंज से आगे के सफर में मिल गई। अब ड्राइविंग सीट पर राहुल थे और प्रियंका बगल वाली सीट पर। नेहरू-गांधी परिवार के वारिसों के हर कदम में राजनीतिक संकेत ढूंढने वालों का कहना है कि बच्चों के थोड़े बड़े हो जाने के बाद प्रियंका के सार्वजनिक जीवन में ज्यादा समय देने के इरादे नजर आ रहे हैं। इन दिनों प्रियंका, राहुल गांधी फाउंडेशन के कामों में भी फिर से दिलचस्पी लेने लगी हैं। 2004 में जब राहुल गांधी पहली बार अमेठी से चुनाव लड़े थे तो उन्हें इंट्रोड्यूस करवाने प्रियंका ही आई थीं। प्रियंका उम्र में राहुल से छोटी हैं। मगर वे पिछले 20 साल से अमेठी-रायबरेली लगातार आ रही हैं। अमेठी-रायबरेली में सेल्फ हेल्प ग्रुपों का जाल प्रियंका ने ही बिछाया है। अभी वह राहुल के साथ उन्हीं के कामों की समीक्षा करने आईं थी। ग्रुप कितने कामयाब हैं और इनके जरिए महिलाओं की जिंदगी में कितना बदलाव आया है, इसका उदाहरण मडेरिका, जिसके हिज्जे पूछने पर औरतों ने कहा 'मडेरिका लाइक अमेरिका।' वहां चल रहे गणपति स्वयं सहायता समूह (सेल्फ हेल्प ग्रुप) की सदस्य बुजुर्ग महिला गंगापति कहती हैं कि हम आर्थिक रूप से स्वावलंबी हो गए। पहले अगर हम 20 रु. मांगने के लिए भी गांव के संपन्न घरों में जाते थे तो वे कहते थे कि कुछ गिरवी रखने के लिए लाओ और साथ में मोटा ब्याज लेते थे। अब हम हजारों रुपए नाममात्र के ब्याज पर महिलाओं को देते हैं। यहां महिलाओं ने राहुल और प्रियंका को अपनी नई योजना बताते हुए कहा कि वे गांव में इंगलिश मीडियम स्कूल खोलना चाहती हैं। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती है। एक युवा महिला प्रतिभा ने बताया कि राहुल और प्रियंका ने कहा कि आप लोगों के नए स्कूल के बच्चों के साथ मारपीट नहीं होनी चाहिए। उन्हें प्यार से पढ़ाया जाए और रटने के बदले चीजों को समझाने पर जोर होना चाहिए। दोनों ने स्कूल के लिए हर संभव मदद देने का भरोसा दिलाया। राहुल शुक्रवार शाम को ही वापस चले गए। उन्हें शनिवार को झारखंड में चुनाव प्रचार के लिए जाना है। प्रियंका यहां रात को अपने दिल्ली स्थित दफ्तर के एक कर्मचारी की शादी में शामिल हुईं। शनिवार को प्रियंका यहां लालगंज में बाल कांग्रेस के अध्यक्ष अभिषेक के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करने जाएंगी। अभिषेक ने लोकसभा चुनाव के दौरान बाल कांग्रेस बनाई थी। प्रियंका के दोनों बच्चों ने भी बाल कांग्रेस की सदस्यता ली थी और चुनाव प्रचार किया था। 14 साल का अभिषेक आग लगने की एक दुर्घटना में अपनी जान गंवा बैठा।
है। मगर शुक्रवार को उन्होंने अमेठी पहुंचते ही ड्राइविंग सीट संभाल ली। जी हां, फुरसतगंज हवाई अड्डे पर उतरते ही प्रियंका अपने परिवार की पुरानी गाड़ी ग्रीन क्वॉलिस की ड्राइविंग सीट पर बैठ गईं। अमेठी से सांसद राहुल गांधी बगल की सीट पर बैठे। फुरसतगंज से गौरीगंज के अंगरावा गांव तक की यात्रा प्रियंका ने गाड़ी ड्राइव करते हुए पूरी की। अमेठी-रायबरेली में इससे पहले लोगों ने प्रियंका को गाड़ी चलाते नहीं देखा था। अमेठी और रायबरेली दोनों संसदीय क्षेत्रों में बिटिया, दीदी और कहीं-कहीं 'भैया' के नाम से लोकप्रिय प्रियंका को गाड़ी चलाता देख इलाके के पुराने लोगों को राजीव गांधी की याद आ गई। राजीव को खुद गाड़ी चलाने का बहुत शौक था। वह गाड़ी तेज भी बहुत चलाते थे।
प्रियंका और राहुल लंबे अरसे के बाद एक साथ अमेठी आए हैं। प्रियंका को स्टियरिंग वील संभाले देख लोगों में तमाम तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं। इस दृश्य को देखकर खुश और उम्मीद से भरे लोग कह रहे थे कि अगर प्रियंका कांग्रेस की राजनीति की स्टेयरिंग संभाल लें तो कांग्रेस का कायाकल्प होने में देर नहीं लगेगी। तेज-तर्रार प्रियंका में लोग इंदिरा की छवि देखते हैं, जबकि राहुल में उन्हें राजीव की सौम्यता और नाप-तौल के कदम रखने वाले गंभीर शख्स की इमेज नजर आती है। भाई-बहन के बीच बेहद स्नेह के साथ गजब का राजनीतिक तालमेल है। इसकी मिसाल गौरीगंज से आगे के सफर में मिल गई। अब ड्राइविंग सीट पर राहुल थे और प्रियंका बगल वाली सीट पर। नेहरू-गांधी परिवार के वारिसों के हर कदम में राजनीतिक संकेत ढूंढने वालों का कहना है कि बच्चों के थोड़े बड़े हो जाने के बाद प्रियंका के सार्वजनिक जीवन में ज्यादा समय देने के इरादे नजर आ रहे हैं। इन दिनों प्रियंका, राहुल गांधी फाउंडेशन के कामों में भी फिर से दिलचस्पी लेने लगी हैं। 2004 में जब राहुल गांधी पहली बार अमेठी से चुनाव लड़े थे तो उन्हें इंट्रोड्यूस करवाने प्रियंका ही आई थीं। प्रियंका उम्र में राहुल से छोटी हैं। मगर वे पिछले 20 साल से अमेठी-रायबरेली लगातार आ रही हैं। अमेठी-रायबरेली में सेल्फ हेल्प ग्रुपों का जाल प्रियंका ने ही बिछाया है। अभी वह राहुल के साथ उन्हीं के कामों की समीक्षा करने आईं थी। ग्रुप कितने कामयाब हैं और इनके जरिए महिलाओं की जिंदगी में कितना बदलाव आया है, इसका उदाहरण मडेरिका, जिसके हिज्जे पूछने पर औरतों ने कहा 'मडेरिका लाइक अमेरिका।' वहां चल रहे गणपति स्वयं सहायता समूह (सेल्फ हेल्प ग्रुप) की सदस्य बुजुर्ग महिला गंगापति कहती हैं कि हम आर्थिक रूप से स्वावलंबी हो गए। पहले अगर हम 20 रु. मांगने के लिए भी गांव के संपन्न घरों में जाते थे तो वे कहते थे कि कुछ गिरवी रखने के लिए लाओ और साथ में मोटा ब्याज लेते थे। अब हम हजारों रुपए नाममात्र के ब्याज पर महिलाओं को देते हैं। यहां महिलाओं ने राहुल और प्रियंका को अपनी नई योजना बताते हुए कहा कि वे गांव में इंगलिश मीडियम स्कूल खोलना चाहती हैं। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती है। एक युवा महिला प्रतिभा ने बताया कि राहुल और प्रियंका ने कहा कि आप लोगों के नए स्कूल के बच्चों के साथ मारपीट नहीं होनी चाहिए। उन्हें प्यार से पढ़ाया जाए और रटने के बदले चीजों को समझाने पर जोर होना चाहिए। दोनों ने स्कूल के लिए हर संभव मदद देने का भरोसा दिलाया। राहुल शुक्रवार शाम को ही वापस चले गए। उन्हें शनिवार को झारखंड में चुनाव प्रचार के लिए जाना है। प्रियंका यहां रात को अपने दिल्ली स्थित दफ्तर के एक कर्मचारी की शादी में शामिल हुईं। शनिवार को प्रियंका यहां लालगंज में बाल कांग्रेस के अध्यक्ष अभिषेक के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करने जाएंगी। अभिषेक ने लोकसभा चुनाव के दौरान बाल कांग्रेस बनाई थी। प्रियंका के दोनों बच्चों ने भी बाल कांग्रेस की सदस्यता ली थी और चुनाव प्रचार किया था। 14 साल का अभिषेक आग लगने की एक दुर्घटना में अपनी जान गंवा बैठा।
No comments:
Post a Comment