मुंबई की आदर्श हाउसिंग सोसायटी में अनियमितता के आरोपों पर मुसीबत में फंसे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण पर फैसला जल्द होगा। कांग्रेस सूत्रों के हवाले से मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक आलाकमान चव्हाण के मामले पर अगले 48 घंटों में फैसला करेगा। रविवार को इस मुद्दे पर हुई बैठक में चव्हाण के उत्तराधिकारी को लेकर भी चर्चा की गई। इन आरोपों की जांच कर रही कांग्रेस की एक उच्च स्तरीय समिति ने मामले से जुड़े कागजातों के अध्ययन के लिए और समय मांगा है। समिति के दोनों सदस्यों रक्षा मंत्री एके एंटनी और वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की रविवार रात हुई मुलाकात में यह फैसला लिया गया। मुलाकात के बाद प्रणब मुखर्जी ने कहा कि किसी भी फैसले से पहले हमें कुछ और दस्तावेज चाहिए। इनके अध्ययन के बाद ही सोनिया गांधी को रिपोर्ट दी जाएगी। सोनिया इसी रिपोर्ट के आधार पर अशोक चव्हाण के भविष्य का फैसला करेंगी। वैसे, मुखर्जी ने कहा कि इस मामले में देरी नहीं होगी और फैसला जल्द होगा। इससे पहले एके एंटनी ने भी कहा था कि इसमें अनावश्यक समय नहीं लगेगा। इस विषय में सामान्य समय लगेगा। फैसला जल्द लिया जाएगा।इस बीच, मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के लिए रविवार का दिन काफी भारी साबित हुआ। मुख्यमंत्री मीडिया से दूर रहने के लिए महाराष्ट्र सदन के बजाय अलग-अलग जगहों पर समय काटते रहे। वहीं उनके करीबी नेता मीडिया से मुलाकात में घोटाले में उनकी भूमिका को नगण्य साबित करने की कोशिश करते नजर आए। चव्हाण के एक करीबी नेता ने दैनिक भास्कर से कहा, ‘अगर इस पूरे प्रकरण में करगिल शब्द न जुड़ा होता तो मामला इतना तूल नहीं पकड़ता।’ मुख्यमंत्री के करीबी सूत्र पूरे विवाद में चव्हाण को कठघरे में खड़ा करने पर बचाव में तात्कालीन राजग सरकार, तब के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख, सुशील कुमार शिंदे और राकांपा नेता अजीत पवार की भूमिका पर भी सवाल उठा रहे हैं। इनका कहना है कि पूरे विवाद में सभी की भूमिका की जांच कर जवाबदेही तय होनी चाहिए। गौरतलब है कि ये सभी नाम ऐसे हैं, जो चव्हाण के उत्तराधिकारी के लिए चल रही दौड़ में शामिल हैं।
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