Thursday, September 2, 2010

गुस्साए सरपंचों का विधानसभा कूच आज

जयपुर । जयपुर में स्टेच्यू सर्किल के पास उद्योग मैदान में दो दिन से जमे राज्यभर के सरपंचों ने शुक्रवार को सुबह 11 बजे विधानसभा की ओर कूच करने का ऎलान किया है। सरपंच ग्राम पंचायतों का सामाजिक अंकेक्षण और अधिकारों में की गई कटौती समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। पडाव स्थल पर सरपंचों के साथ बैठे भाजपा व निर्दलीय विधायकों और सांसद किरोडी लाल मीणा ने भी कूच में शामिल होने का ऎलान किया है। इस बीच खबर है कि स्टेच्य सर्किल पर जमे सरपंचों को देर रात पुलिस ने हटा दिया है तथा पडाव स्थल से भाजपा नेता ओम बिरला व राजेन्द्र राठौड तथा सांसद मीणा को उठा कर उन्हें गुप्त स्थान पर ले जाया गया है। विधानसभा की तरफ जाने वाले मार्गों पर सुरक्षा बढा दी गई है तथा बेरिकेट्स लगाए गए हैं।
सरपंचों में पुलिस के लाठीचार्ज को लेकर आक्रोश है। पडाव स्थल पर दिनभर चली सभा के दौरान लोगों ने लाठीवार की निंदा की। सरपंचों का कहना था कि जब तक उनकी मांगें मानी नहीं जाती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। भाजपा विधायक ओम बिडला व सांसद मीणा ने सरपंचों से आह्वान किया कि सरपंच साथियों व समर्थकों को रातों रात जयपुर बुलाएं। पडावस्थल पर नई संघर्ष समिति भी गठित की गई। इस बीच सांसद किरोडीलाल मीणा को सरकार की ओर से दी गई वाई श्रेणी की सुरक्षा देर रात्रि हटा दी गई। मीणा के अनुसार उनके सुरक्षाकर्मियों ने बताया कि उन्हें पुलिस लाइन बुलाए जाने का आदेश मिला है।
सरपंचों में गुटबाजी पडाव के दौरान सरपंचों में गुटबाजी भी नजर आई। यह गुटबाजी उद्योग मैदान में पडाव शुरू होने के साथ ही शुरू हो गई थी। शुक्रवार को भी यह देखने को मिली। कांग्रेस की विचारधारा वाले सरपंच पडाव स्थल पर बिखरे नजर आए।
बातचीत से मामला सुलझाए सरकारसरपंचों के कूच में भाजपा विधायक शामिल होंगे। यह आंदोलन सरपंचों का है और उन्हें ही आंदोलन की रणनीति तैयार करनी है। संवेदनहीन हो चुकी सरकार ने महिलाओं को भी नहीं छोडा। सरकार को मामला बातचीत से सुलझाना चाहिए लेकिन सरकार डण्डे बरसा रही है। वसुन्धरा राजे, राष्ट्रीय महामंत्री, भाजपा
'हिंसा हुई तो भाजपा जिम्मेदार'मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरूवार को आरोप लगाया कि भाजपा व उनकी पूर्व मुख्यमंत्री सरपंचों के आंदोलन में हिंसा भडकाने का षड्यंत्र कर रही हैं। गहलोत ने इसे राज्य की परम्परा के खिलाफ बताते हुए निन्दा की और कहा कि शुक्रवार को कोई हिंसा हुई तो भाजपा व पूर्व मुख्यमंत्री इसके लिए जिम्मेदार होंगे।
उन्होंने सरपंचों से भी अपील की, वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें रखें, वार्ता के द्वार खुले हैं। सरकार खुले दिमाग से उनकी मांगों पर विचार कर जरूरी कार्रवाई करेगी। वे कानून हाथ में नहीं लें और सरपंचों के नाम पर हिंसा फैलाने वालों से सावधान रहें। सरपंचों के सहयोग के बिना ग्रामीण विकास नहीं हो सकता। अपने निवास पर पत्रकारों से बातचीत में गुरूवार को गहलोत ने कहा कि लोकतंत्र में आंदोलन का सबको हक है। सरपंचों की मांग पर पंचायती राज मंत्री ने एक कमेटी बनाई है जो गौर कर रही है।
इसमें भी दिक्कत नहीं लेकिन अब भाजपा ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए आंदोलन को हथिया लिया है। भाजपा के नेता, खास कर पूर्व मुख्यमंत्री, धरनास्थल पर जाकर भडकाऊ भाषण दे रहे हैं कि बदला लेना है। गुप्त बैठकें हो रही हैं और षडयंत्र किए जा रहे हैं कि किस तरह हिंसा हो। यह प्रयास और सोच निन्दनीय है।
गहलोत ने कहा कि सरपंच बुधवार को उनसे मिलना चाहते थे, वे तैयार भी थे, लेकिन उन्हें नहीं मिलने दिया गया। बाद में लाठीवार की दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई। गहलोत के अनुसार अपने शासनकाल में 21 बार गोलियां चला कर 90 लोगों को मार चुकी भाजपा व पूर्व मुख्यमंत्री को मलाल है कि कांग्रेस राज में गोली क्यों नहीं चल रही। उन्होंने कहा कि अपने राजनीतिक स्वार्थ पूरा करने के लिए हिंसा फैलाने के षडयंत्र का किसी को अघिकार नहीं।
जिस भाजपा ने पंचायतों के अघिकार वापस ले लिए, पांच साल तक कटारिया कमेटी का नाटक कर अघिकारों का मामला दबाए रखा। वे आज कि स हक से सरपंचों की तरफदारी कर रही हैं। इसका उन्हें नैतिक अघिकार ही नहीं है। भाजपा विधानसभा में अपनी बात रखे, लेकिन इस तरह आंदोलन का मकसद पीछे छोड कर सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंकने का हक किसी को नहीं है। उन्होंने कहा कि माकपा विधायक अमराराम व सांसद किरोडीलाल से भी उन्हें आंदोलन भडकाने की अपेक्षा नहीं है।
सरपंचों की मांग पर गहलोत ने कहा कि उनका सम्मान कायम रहना चाहिए। खरीद प्रक्रिया में बदलाव इसीलिए किया गया है कि सरपंच बदनाम न हों, उनकी विश्वसनीयता बनी रहे। इस मामले में सरपंचों की एकल पीठ में हार के बाद हाईकोर्ट में अपील भी लम्बित है और सरकार के पास सीमित विकल्प हैं।

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