भाजपा में कौन केंद्रीय नेता लोकसभा की राजनीति करता है और कौन राज्यसभा की। यह मुद्दा पार्टी के छोटे-बड़े नेताओं के बीच बहस का मुद्दा बनता रहा है। भाजपा के कई नामचीन नेताओं के बारे में दबे सुर में पार्टी कार्यकर्ता ही कहते हैं कि पार्टी में कई बड़े नेता हैं जिन्हें लोकसभा चुनाव लडऩे के नाम से ही पसीना आने लगता है। लिहाजा बिना चुनाव लड़े राज्यसभा में जाने का रास्ता तलाशते हैं। दूसरी तरफ भाजपा की बागडोर संभालने के बाद से ही कार्यकर्ताओं के बीच नई-नई मिसाल पेश करने में लगे भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने तय किया है कि वह राज्यसभा के बजाय लोकसभा का चुनाव लड़कर संसदीय राजनीति करेंगे। गडकरी कहते हैं, मैं मानता हूं कि जनता को ध्यान में रखकर विकास आधारित राजनीति होनी चाहिए। गडकरी का लोकसभा चुनाव लडऩे का फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि उन्होंने भाजपा अध्यक्ष बनते ही यह घोषणा की थी कि जब तक वह अध्यक्ष पद पर रहेंगे तब तक चुनाव नहीं लड़ेंगे। पर अब गडकरी लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में लोकसभा सीट तैयार कर रहे हैं। फिलहाल गडकरी की नजर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता और केंद्रीय नागरिक एवं उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल की भंडारा-गोंदिया संसदीय सीट पर है। गडकरी ने गन्ना किसानों और बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर एनसीपी के गढ़ को भेदने का ऑपरेशन शुरू कर दिया है। पटेल के संसदीय क्षेत्र में रविवार को एक बड़ी किसान रैली करके गडकरी ने एनसीपी के सामने बड़ी लकीर खींचनी शुरू कर दी है। गडकरी ने कहा कि एनसीपी नेताओं को न किसान की चिंता है और न महंगाई की। उन्हें आईपीएल की चिंता है।गडकरी ने प्रफुल्ल के संसदीय क्षेत्र में बंदी के कगार पर पहुंची एक चीनी मिल को लगभग 14 करोड़ रूपए में खरीद कर उसे पुन: चालू करवाने का ऐलान कर दिया। यह चीन मिल पूर्ति समूह ने खरीदी है जिसके सर्वेसर्वा गडकरी हैं। सहकारी स्तर पर चल रही यह संस्था 'ग्राम विकास से राष्ट्र विकास' के मूलमंत्र को लेकर ग्रामीण क्षेत्र में किसानों को आर्थिक स्वालंबी और ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी की समस्या के निदान में लगी है। इसी के तहत गडकरी ने प्रफुल्ल पटेल के क्षेत्र में चीनी मिल खरीद कर छह हजार लोगों को बेरोजगार होने से बचा लिया।
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