राज्यसभा में आज माकपा द्वारा एक केंद्रीय मंत्री पर बांग्लादेश के हथियार कारोबारियों के साथ कथित सौदा करने के आरोप लगाने और सरकार से उस मंत्री के नाम का खुलासा करने की मांग पर विपक्षी राजग, वाम और अन्नाद्रमुक के सदस्यों के भारी हंगामे के कारण बैठक शून्यकाल में एक बार के स्थगन के बाद एक घंटे के लिए करीब पौने दो बजे तक स्थगित कर दी गई।शून्यकाल में माकपा के मोइनुल हसन ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि एक केंद्रीय मंत्री के बारे में यह आरोप हैं कि उन्होंने बांग्लादेश के हथियार कारोबारियों के साथ सौदा किया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इन सौदों के जरिए मंगाए गए हथियारों से हाल ही में पश्चिम बंगाल में एक बैंक में लूटपाट की गई। हसन ने आरोप लगाया कि माओवादी भी इन्हीं हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने इस मामले को देश की संप्रभुता से जुड़ा हुआ करार दिया और कहा कि पूरे मामले की जांच करानी चाहिए तथा उसके नतीजों से सदन को अवगत कराया जाना चाहिए। इसके फौरन बाद वाम और विपक्षी राजग के सदस्य सरकार से मांग करने लगे कि वह मामले की जांच करे तथा मंत्री का नाम बताए।विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने कहा, हम संविधान से बंधे हुए हैं तथा मंत्री भी संविधान एवं देश की संप्रभुता की रक्षा की शपथ लेते हैं। इस मामले में जो आरोप लगाए जा रहे हैं उनके अनुसार, देश की संप्रभुता से समझौता किया गया है। यह गंभीर मामला है और सरकार को यह आश्वासन देना चाहिए कि वह मामले की जांच कर कल उसके नतीजों से सदन को अवगत कराएगी।विपक्षी सदस्य इस बात पर भी जोर देने लगे कि पीठासीन अध्यक्ष पी जे कुरियन सरकार को इस मामले में जवाब देने के लिए निर्देश दें। कुरियन ने कहा कि वह सरकार को जवाब देने के लिए निर्देश नहीं दे सकते, यह सरकार पर निर्भर है कि वह इस मामले में प्रतिक्रिया दे या न दे। हंगामे के बीच, संसदीय कार्य राज्य मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि सरकार सदन में उठाए गए हर मामले को गंभीरता से लेती है तथा वह इस मामले को भी गंभीरता से ले रही है। उन्होंने कहा कि यदि किसी सदस्य के पास किसी मंत्री के खिलाफ कोई ठोस प्रमाण हैं तो वह समुचित प्रस्ताव लाए।
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