Tuesday, May 4, 2010

चिदंबरम के सामने नहीं चला शीला का मैजिक

मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के 'जादू' को भले ही कांग्रेस पार्टी चुनाव में भनाती रही हो लेकिन अब अपने नेताओं पर यह मैजिक नहीं चल रहा। हालत यह है कि गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने उनकी इस अपील तक को मानने से इनकार कर दिया कि दिल्ली के दो अफसरों का फिलहाल ट्रांसफर न किया जाए। मुख्यमंत्री का कहना था कि इन अफसरों को सिर्फ कॉमनवेल्थ गेम्स तक ही दिल्ली में रुकने दिया जाए, लेकिन कड़क पीसी के समक्ष शीला दीक्षित का जादू नहीं चल पाया। उन्होंने इन अफसरों से साफ कह दिया गया है कि वे जल्द से जल्द दिल्ली से अपना बोरिया बिस्तर समेटकर अंडमान और दमण की ओर रवाना हो जाएं। पीसी ने जिन अफसरों का ट्रांसफर रोकने की मुख्यमंत्री की दलील को खारिज किया, उनमें से एक अफसर तो खुद मुख्यमंत्री की अडिशनल सेक्रेटरी अलका दीवान हैं। इसके अलावा वित्त मंत्री डॉ. अशोक कुमार वालिया के सचिव राकेश बाली का भी फिलहाल ट्रांसफर रोकने के लिए कहा गया था। इन अफसरों का पहले भी ट्रांसफर करने के आदेश दिए गए थे, लेकिन बाद में मुख्यमंत्री ने खुद केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनुरोध किया कि कम से कम अलका दीवान का ट्रांसफर तो कॉमनवेल्थ गेम्स तक के लिए टाल दिया जाए। हालांकि इसके बाद भी पीसी के सामने मुख्यमंत्री की भी नहीं चली और गृह मंत्रालय की ओर से साफ कह दिया गया कि अलका दीवान को दमण जाना होगा। इसी तरह राकेश बाली को अंडमान भेजा गया है। दिल्ली की एक अन्य सेक्रेटरी सुमति मेहता का ट्रांसफर मिजोरम भेजा गया है। हालांकि यह माना जाता है कि मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का अपनी पार्टी और नेताओं पर गहरा असर है, लेकिन पी. चिदंबरम के मामले में हर बार मुख्यमंत्री की बात को अनसुना ही किया गया है। पिछले साल भी मुख्यमंत्री चाहती थीं कि दिल्ली के तत्कालीन पर्यावरण सचिव जे. के. दादू का ट्रांसफर न किया जाए, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनकी सारी कोशिशों पर पानी फेर दिया और आखिरकार दादू को दिल्ली से जाना ही पड़ा। इस तरह मुख्यमंत्री ने पिछले ही साल एमसीडी को दिल्ली सरकार के मातहत लाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री से कई स्तरों पर बातचीत की, लेकिन उनकी दाल तब भी गल पाई और पीसी अपनी बात पर अड़े रहे। यहां तक की पीसी ने अपने वादे को भी दरकिनार करते हुए एमसीडी के संबंध में दिल्ली सरकार को दिए जाने वाले अधिकारों में भी कटौती कर दी। मुख्यमंत्री के लिए राहत की बात केवल यह है कि उनके विशेष सचिव केशव चंदा को जरूर यह छूट दी गई है कि वे नवंबर में ही गोवा ट्रांसफर होंगे।

No comments: