बीजेपी के नए प्रेजिडेंट नितिन गडकरी धीरे-धीरे बीजेपी को संघ के अनुरूप ढालने की कोशिश कर रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आजकल मीडिया से खूब रूबरू हो रहे गडकरी बीजेपी को ब्राह्मण जमा पार्टी की संज्ञा दिए जाने से काफी असहज महसूस कर रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि कहीं न कहीं वह खुद भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। बीजेपी के ब्राह्मण जमा पार्टी का नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि बीजेपी के वर्तमान स्वरूप में पार्टी में संगठन और संसदीय दल दोनों ही जगह ब्राह्मणों का ही बोलबाला है। शुरुआत करते है संगठन से, तो बीजेपी के नजरिए से देखे तो आरएसएस का आशीर्वाद प्रात्त नए अध्यक्ष नितिन गडकरी स्वंय ब्राह्मण जाति से संबंधित है। उनके अलावा पार्टी के लोकसभा में नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में नेता अरुण जेतली भी ब्राह्मण वर्ग से ही आते हैं। वैसे कभी संघ की पसंद रह वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी भी उच्च कुलीन ब्राह्मण है। इसके अलावा दिल्ली में पार्टी की उठापटक में शामिल रहने वाले अनंत कुमार भी इसी जाति का प्रतिनिधित्व करते हैं। संगठन में संजय जोशी जैसे लोग भी हैं जिन्हें कुछ अपने ही लोगों ने मिल कर बाहर कर दिया था, संगठन में उनकी वापसी की संभावनाएं बनने लगी हैं, वह भी ब्राह्मण ही है। इसी तरह पार्टी की प्रदेश इकाइयों में भी अनेक पदों पर ब्राह्मणों का ही साम्राज्य ही है। इसलिए गडकरी को अब जिम्मेदारी के साथ संगठन यानी पार्टी की इमेज को सुधारना है। वैसे भी बीजेपी को अपर क्लास हिंदुओं की पार्टी ही माना जाता है । इसलिए अब आलोचक बीजेपी को ब्राह्मण जमा पार्टी कहने लगें हैं, तो इसमें कोई हैरानी नहीं है। लेकिन पार्टी को ज्यादा लोकप्रिय बनाने के लिए गडकरी को समाज के दूसरे वर्गों की हिस्सेदारी भी बढ़ानी होगी। वैसे ही बीजेपी की इमेज इस मामले में खराब है कि उसे ओबीसी या पिछड़ी जातियों के नेता हजम नहीं होते हैं। कल्याण सिंह,उमा भारती, अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी से लेकर गोविदाचार्य तक यह बात फिट बैठती है। वैसे आजकल कभी बीजेपी में हिंदुत्व की सशक्त आवाज रहे विनय कटियार भी अब साइडलाइन हो गए है। उनकी पार्टी में कोई अहम भूमिका ही नहीं रही है।
लेकिन अब गडकरी ने बीजेपी के इस नए नाम की काट भी निकाल रही है। बीजेपी कैंप से आ रही खबरों के मुताबिक नागपुर में संघ की मुख्यालय की बगल की गली में रहने वाले गड़करी ने जब से संसद के बगल वाली सड़क पर बने बीजेपी के दफ्तर की कमान संभाली है, तभी से वह पार्टी को युवा चेहरा देने की वकालत में जुटे हुए हैं। तर्क दिया जा रहै है कि देश की आधी आबादी अब युवाओं की है, ऐसे में पार्टी में युवा चेहरे होना नितांत जरूरी है। वह बीजेपी को अब भारतीय जवान पार्टी बनाने की कसरत कर रहे है। वैसे बीजेपी को युवा बनाने की वकालत अनेक बार संघ प्रमुख मोहन भागवत भी कर चुके है और जहां तक गडकरी की सोच का सवाल है, तो इसमें कोई दो राय नहीं है कि संघ प्रमुख के दिल की बातें गडकरी के दिमाग तक स्वंय ही पहुंच जाती है। उम्मीद की जा रही है कि बीजेपी की नई कार्यकारिणी पहले की अपेक्षा ज्यादा युवा होगी और उसमें शामिल चेहरे 60 की उम्र के नीचे के ही होंगे। वैसे भी 52 वर्षीय नितिन गडकरी के कमान संभालने के बीद अब सही मायने में बीजेपी का नेतृत्व कमोबेश युवा पीढ़ी के हाथों में पहुंच गया हैं । वैसे गडकरी ने नवभारत टाइम्स से की गई विशेष बातचीत में भी साफ किया था कि समाज के जिन वर्गों और देश के जिन हिस्सों में पार्टी कमजोर है, वहां अपनी पैठ बनाने के लिए पार्टी विशेष कोशिश करेगी। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने गडकरी की योजना का खुलासा करते हुए नए साल को पार्टी के लिए सामाजिक विस्तार मिशन की संज्ञा दी है और दलितों, अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और समाज के सभी कमजोर वर्गों में अपना आधार बढ़ाने के लिए युद्घस्तर पर व्यापक कार्यक्रम चलाने की घोषणा की है। यह सब गडकरी के बीजेपी में गैर ब्राह्मण और युवा चेहरों को शामिल करने की रणनीति का ही हिस्सा है।
लेकिन अब गडकरी ने बीजेपी के इस नए नाम की काट भी निकाल रही है। बीजेपी कैंप से आ रही खबरों के मुताबिक नागपुर में संघ की मुख्यालय की बगल की गली में रहने वाले गड़करी ने जब से संसद के बगल वाली सड़क पर बने बीजेपी के दफ्तर की कमान संभाली है, तभी से वह पार्टी को युवा चेहरा देने की वकालत में जुटे हुए हैं। तर्क दिया जा रहै है कि देश की आधी आबादी अब युवाओं की है, ऐसे में पार्टी में युवा चेहरे होना नितांत जरूरी है। वह बीजेपी को अब भारतीय जवान पार्टी बनाने की कसरत कर रहे है। वैसे बीजेपी को युवा बनाने की वकालत अनेक बार संघ प्रमुख मोहन भागवत भी कर चुके है और जहां तक गडकरी की सोच का सवाल है, तो इसमें कोई दो राय नहीं है कि संघ प्रमुख के दिल की बातें गडकरी के दिमाग तक स्वंय ही पहुंच जाती है। उम्मीद की जा रही है कि बीजेपी की नई कार्यकारिणी पहले की अपेक्षा ज्यादा युवा होगी और उसमें शामिल चेहरे 60 की उम्र के नीचे के ही होंगे। वैसे भी 52 वर्षीय नितिन गडकरी के कमान संभालने के बीद अब सही मायने में बीजेपी का नेतृत्व कमोबेश युवा पीढ़ी के हाथों में पहुंच गया हैं । वैसे गडकरी ने नवभारत टाइम्स से की गई विशेष बातचीत में भी साफ किया था कि समाज के जिन वर्गों और देश के जिन हिस्सों में पार्टी कमजोर है, वहां अपनी पैठ बनाने के लिए पार्टी विशेष कोशिश करेगी। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने गडकरी की योजना का खुलासा करते हुए नए साल को पार्टी के लिए सामाजिक विस्तार मिशन की संज्ञा दी है और दलितों, अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और समाज के सभी कमजोर वर्गों में अपना आधार बढ़ाने के लिए युद्घस्तर पर व्यापक कार्यक्रम चलाने की घोषणा की है। यह सब गडकरी के बीजेपी में गैर ब्राह्मण और युवा चेहरों को शामिल करने की रणनीति का ही हिस्सा है।
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