बीजेपी के नए अध्यक्ष नितिन गडकरी ने दावा किया है कि उन्हें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का पूर्ण रूप से सहयोग और समर्थन मिल रहा है और वह किसी वरिष्ठ नेता की कठपुतली भर नहीं हैं। 20 दिसंबर को बीजेपी के सबसे युवा अध्यक्ष के तौर पर शपथ ग्रहण करने वाले गडकरी ने कहा है कि वह अपने फैसले खुद करते हैं, अलबत्ता इस दौरान वह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं से परामर्श अवश्य लेते हैं। गडकरी ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि चार साल में महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष के तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मेरे जीवन का हिस्सा रहा है। लेकिन संघ नेताओं ने कभी मुझे निर्देश नहीं दिया। गडकरी ने इस बात पर जोर दिया कि सबसे पहले बीजेपी
नेता लालकृष्ण आडवाणी और पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने ही सुझाव दिया था कि मुझे बीजेपी अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। गडकरी ने इस बात से इनकार किया कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने उन्हें बीजेपी पर थोपा है। उन्होंने कहा कि लोगों के दिमाग में धारणा बनी हुई है कि संघ बीजेपी पर नियंत्रण कर रहा है। यह बात सही नहीं है। वे हमारी दिन-ब-दिन की गतिविधियों में, उम्मीदवारों के चयन में और राजनीति में कोई हस्तक्षेप नहीं करते। गडकरी ने हालांकि कहा कि संघ और बीजेपी में सैद्धांतिक रिश्ता है और पार्टी अक्सर कई मुद्दों पर संघ से चर्चा करती है। जब गडकरी से पूछा गया कि क्या बीजेपी संघ की किसी सलाह को खारिज कर सकती है तो उन्होंने कहा- कई बार। संघ में लोकतंत्र है। मैं भी जब संघ में सर्वोच्च नेता के पास जाता हूं, तो उनसे चर्चा कर सकता हूं और उनके साथ अपने विचारों को साझा कर सकता हूं। बीजेपी अध्यक्ष ने भागवत और पूर्व संघ प्रमुख के.एस. सुदर्शन को लोकतांत्रिक नेता करार दिया, जिनके साथ वह अक्सर कई मुद्दों पर बातचीत करते हैं और कई मौकों पर मतभेद भी रहे हैं। उड़ीसा में कंधमाल के दंगों, कर्नाटक में राम सेना और वरुण गांधी के कथित भड़काऊ भाषणों से बीजेपी की पहचान होने के सवाल पर गडकरी ने कहा, बीजेपी एक लोकतांत्रिक पार्टी हैं। पार्टी में अनेक नेता हैं, जिनके विचार अलग-अलग हैं। उन्होंने तर्क दिया कि ये पार्टी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते। जहां तक राम सेना की बात है, यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर बीजेपी से नहीं जुड़ी। गडकरी ने कहा कि वह बीजेपी का मत प्रतिशत कांग्रेस से 10 प्रतिशत बढ़ाना चाहते हैं। उन्होंने हिंदुत्व को जीवनशैली की संज्ञा दी और इसे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से जुड़ा बताया।
नेता लालकृष्ण आडवाणी और पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने ही सुझाव दिया था कि मुझे बीजेपी अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। गडकरी ने इस बात से इनकार किया कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने उन्हें बीजेपी पर थोपा है। उन्होंने कहा कि लोगों के दिमाग में धारणा बनी हुई है कि संघ बीजेपी पर नियंत्रण कर रहा है। यह बात सही नहीं है। वे हमारी दिन-ब-दिन की गतिविधियों में, उम्मीदवारों के चयन में और राजनीति में कोई हस्तक्षेप नहीं करते। गडकरी ने हालांकि कहा कि संघ और बीजेपी में सैद्धांतिक रिश्ता है और पार्टी अक्सर कई मुद्दों पर संघ से चर्चा करती है। जब गडकरी से पूछा गया कि क्या बीजेपी संघ की किसी सलाह को खारिज कर सकती है तो उन्होंने कहा- कई बार। संघ में लोकतंत्र है। मैं भी जब संघ में सर्वोच्च नेता के पास जाता हूं, तो उनसे चर्चा कर सकता हूं और उनके साथ अपने विचारों को साझा कर सकता हूं। बीजेपी अध्यक्ष ने भागवत और पूर्व संघ प्रमुख के.एस. सुदर्शन को लोकतांत्रिक नेता करार दिया, जिनके साथ वह अक्सर कई मुद्दों पर बातचीत करते हैं और कई मौकों पर मतभेद भी रहे हैं। उड़ीसा में कंधमाल के दंगों, कर्नाटक में राम सेना और वरुण गांधी के कथित भड़काऊ भाषणों से बीजेपी की पहचान होने के सवाल पर गडकरी ने कहा, बीजेपी एक लोकतांत्रिक पार्टी हैं। पार्टी में अनेक नेता हैं, जिनके विचार अलग-अलग हैं। उन्होंने तर्क दिया कि ये पार्टी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते। जहां तक राम सेना की बात है, यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर बीजेपी से नहीं जुड़ी। गडकरी ने कहा कि वह बीजेपी का मत प्रतिशत कांग्रेस से 10 प्रतिशत बढ़ाना चाहते हैं। उन्होंने हिंदुत्व को जीवनशैली की संज्ञा दी और इसे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से जुड़ा बताया।
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