Sunday, January 31, 2010

भाजपा कैडरों का तीन साला ट्रेनिंग कार्यक्रम

इस बार के आम चुनाव में खराब प्रदर्शन का सामना करने वाली भाजपा ने अगले लोकसभा चुनावों से पहले अपने कार्यकर्ताओं को तीन साल की टे्रनिंग देने की योजना बनाई है।भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के राजनीतिक सलाहकार विनय सहस्त्रबुद्धे ने बताया, इस मुद्दे पर नीतिगत फैसला ठोस विवेचना के बाद लिया जाएगा। अभी कुछ भी निश्चित नहीं है, लेकिन भाजपा ही ऐसी पार्टी है जहां प्रशिक्षण विभाग है और कैडर से लेकर मंत्रियों तक को प्रशिक्षण दिया जाता है। महाराष्ट्र में प्रायोगिक आधार पर चले तीन साल के प्रशिक्षण कार्यक्रम को भाजपा अब पूरे देश में लागू करने की योजना बना रही है।सहस्त्रबुद्धे ने बताया, महाराष्ट्र में पार्टी के 17 चयनित नेताओं का २००७ से २००९ तक प्रायोगिक तौर पर रामभाऊ म्हाल्गी प्रोबोधिनी में प्रशिक्षित किया गया। अगर सब तैयार हों तो इस कार्यक्रम को संस्थागत बनाया जा सकता है। संघ के प्रभाव से अध्यक्ष बने गडकरी के नेतृत्व में भाजपा की योजना अपने नेताओं को प्रशिक्षण देने की है। विचारधारा और नीतिगत मुद्दों पर प्रशिक्षण का यह चलन संघ परिवार में आम है। उन्होंने कहा, ट्रेनिंग का लक्ष्य विचारधारा की स्पष्टता और नीतिगत मुद्दों पर जानकारी देना होगा। इसमें दूसरे दलों की नीतियों के बारे में बताया जाएगा, साथ ही कार्यकर्ताओं की जनसंबोधन और प्रचार क्षमताओं को बढ़ाने के साथ उनकी अन्य निपुणता को निखारा जाएगा।विभिन्न क्षेत्रों के पेशेवर और प्रबंधन विशेषज्ञ भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देंगे। संघ के भी कुछ नेता इसमें प्रशिक्षक के तौर पर शरीक होंगे। पार्टी सूत्रों ने बताया कि राजनीतिक समझ की बेहतर जानकारी के लिए इस ट्रेनिंग कार्यक्रम के लिए भाजपा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने भी 'हां' कह दी है। भाजपा ने पिछले छह साल में दो प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन किया जिसमें भाजपा शासित राज्यों के सभी मंत्रियों को प्रशिक्षण दिया गया था। संघ और पार्टी के शीर्ष नेताओं द्वारा नई पीढ़ी के नेताओं में विचारधारा के स्तर पर प्रतिबद्धता में कमी पाए जाने के बाद इस प्रशिक्षण की आवश्यकता महसूस की गई।गडकरी से पूर्व अध्यक्ष रहे राजनाथ सिंह ने भी हाल में वैचारिक प्रतिबद्धता को मजबूत करने पर काम किए जाने की जरूरत बताई थी। इसमें हिंदुत्ववादी विचारधारा को मजबूत किया जाना शामिल है। पिछले साल मई में लोकसभा चुनावों में लगातार दूसरी हार का सामना करने के बाद भाजपा आगे के सफर के लिए रास्ता तलाश रही है और २०१४ के चुनाव के लिए जमीन मजबूत करने की तैयारी कर रही है।

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