सैफ अली खान को पद्म श्री मिल गई। उनके पिता और मशहूर क्रिकेट खिलाड़ी नवाब पटौदी और उनकी मां मशहूर फिल्म अभिनेत्री शर्मिला टैगोर को कभी इस सम्मान के लायक नहीं समझा गया। नवाब पटौदी तो खैर वन्य जीवन कानून के अभियुक्त हैं इसलिए उनका नाम नहीं सोचा गया लेकिन शर्मिला टैगोर को तो भारत सरकार ने बाल फिल्म विकास निगम और सेंसर बोर्ड तक की जिम्मेदारियां दी थी जिनमें कभी कोई शिकायत नहीं मिली फिर भी उन्हें कभी पद्म पुरस्कारों के लायक नहीं समझा गया। इस बात पर सवाल उठने लगे हैं। सैफ अली खान को पुरस्कार देना कोई ऐसी घटना नहीं हैं जिसको लेकर सवाल उठाया जाए मगर यह जरूर है कि पद्म पुरस्कारों के लिए चयन की प्रक्रिया पर इससे सवाल जरूर उठते हैं। ऐसे बहुत सारे लोग हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन अपने क्षेत्र में शानदार काम करते हुए बिता दिया है लेकिन उन्हें कभी पद्म पुरस्कारों के योग्य नहीं समझा गया। यह सूची बहुत लंबी है। पत्रकारिता में बरखा दत्त जैसे युवा पत्रकारों को पद्म श्री मिली लेकिन प्रभाष जोशी, राजेंद्र माथुर और हिंदी को मान्यता दिलवाने वाले वेद प्रताप वैदिक के नाम पर कभी विचार नहीं किया गया। फिल्मों में भी बहुत सारे महान संगीतकार और अभिनेता पूरा जीवन समर्पण भाव से बिताने के बाद भी पद्म श्री के योग्य नहीं माने गए। खेलों में भी अब ज्यादातर क्रिकेट खिलाडिय़ों को पद्म पुरस्कार मिलते हैं। बाकी तो ज्यादातर अर्जुन पुरस्कार से ही संतोष कर लेते हैं। सैफ अली खान का नाम पद्म श्री पाने वाले 130 शख्सियतों में ऐलान किया है। लेकिन नाम क्या आया कि इस पर विवाद शुरू हो गया है। शिवसेना, भाजपा और एमएनएस ने जवाब मांगा है कि आखिर सैफ ने ऐसा क्या किया है जिसकी वजह से उन्हें इतने बडे सम्मान से नवाजा गया है। भाजपा नेत्री शाईना एनसी का कहना है कि सैफ से पहले उनके मां और पिता को ये सम्मान क्यों नहीं मिला। सैफ ने ऐसा क्या योगदान दिया है जो उन्हें पद्मश्री पुरस्कार दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये सम्मान देश के सबसे ज्यादा क्रेडिबल और सम्मानित व्यक्तियों को दिया जाता है। सैफ को दिया जाना बेहद गलत है क्योंकि सैफ ने ना सिर्फ अपनी पहली पत्नी अमृता को छोड़ दिया बल्कि करीना कपूर के साथ बिना शादी के उनके संबंध भारतिय संस्कृति को ही बदनाम कर रहे हैं। सिर्फ बीजेपी ही नहीं बल्कि उसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना और राज ठाकरे की पार्टी मनसे को भी सैफ को पद्यश्री देना अखर रहा है। हालांकि सैफ का इस बारे में अब तक कोई रिएक्शन नहीं आया है कि आखिर क्यों एक साथ इतनी राजनीतिक पार्टियां उनके पद्मश्री सम्मान को लेकर इतना विरोध जता रही है।
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