राजसमंद। आजादी के बाद पहला मौका है जब राजसमंद पंचायत समिति में भाजपा का बोर्ड बनेगा। वर्ष 1959 में बनी पंचायत समिति पर अब तक कांग्रेस समर्थित या विचारधारा के प्रत्याशी ही प्रधान बनते रहे हैं, लेकिन इस बार पंचायत समिति की कई पंचायतों में कांग्रेस पुराना प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई। हाल यह कि वार्ड एक से सात तक तो एक भी कांग्रेस प्रत्याशी खाता नहीं खोल पाया। इन चुनाव में इस पंचायत समिति के कुल 17 वार्डो में से भाजपा ने 10 वार्डो में स्पष्ट बहुमत हासिल कर प्रधान पद पर कब्जे का मार्ग प्रशस्त कर लिया।
देऊबाई का प्रधान बनना तयइस बार पार्टी के भीतर प्रधान पद के लिए किसी प्रकार की खींचतान का कोई भय नहीं है। एससी महिला के लिए आरक्षित प्रधान के पद पर भाजपा की ओर से एकमात्र विजयी प्रत्याशी देऊबाई ने जीत हासिल कर भाजपा के पहले बोर्ड का प्रधान बनने का गौरव हासिल करने का दावा कर लिया है।
अब तक का सफरपंचायत समिति में पहले प्रधान के रूप में आए ठाकुर दौलतसिंह ने अक्टूबर 1959 से अगस्त 1966 तक लगातार तीन बार काम किया। इसके बाद पृथ्वीसिंह ने अगस्त 1966 से अगस्त 1977 तक कार्यवाहक प्रधान के रूप में कार्य किया। इनके बाद गुणसागर कर्णावट ने कमान संभाली। यह दिसंबर 1981 से जुलाई 1988 तक इस पद पर रहे। इनके बाद केलवा के रघुवीरसिंह राठौड ने जुलाई 1988 से जुलाई 1991 तक कार्य किया।
इसके बाद फरवरी 1995 से अक्टूबर 1998 तक डॉ. शिप्रा रही इस पद पर रही। इनके खिलाफ अविश्वास आने के बाद इनके पद से हटने से उपप्रधान देवीसिंह भाटी ने कार्यवाहक प्रधान के रूप में फरवरी 2000 तक कार्य किया। फरवरी 2000 में कांग्रेस में पडी फूट के बाद भाजपा के समर्थन से रघुवीरसिंह ने एक बार फिर पंचायत की कमान संभाली, यह सिर्फ दो वर्ष ही वर्ष 2002 तक कार्य कर पाए। इनके खिलाफ भी अविश्वास आने से उपप्रधान भाजपा के भानू पालीवाल ने कार्यवाहक प्रधान केे रूप में 2003 तक कार्य किया। इसके बाद हुए चुनाव में शांतिलाल कोठारी इस पद पर रहे यह फरवरी 2005 तक रहे। इनके बाद फरवरी 2005 से कांग्रेस के गणेशलाल भील अब तक इस पद पर बने हुए थे।
... लेकिन तब तक शपथ ले लीभाजपा को उस वक्त मायूसी का सामना करना पडा जब वह पुनर्गणना का आवेदन लेकर प्रशासन के पास पहुंचे, लेकिन उन्हें पता चला कि विजयी घोषित कांग्रेस की प्रत्याशी ने शपथ ले ली। मामला जिला परिषद के वार्ड 13 से जुडा था। वार्ड से कांग्रेस के गणेशलाल भील 139 मतों से विजयी घोषित किए गए। देर रात घोषित परिणाम के बारे में जब भाजपा नेताओं को पता चला कि जीत का अंतर महज 139 मत है तो उन्होंने पुनर्गणना की मांग की। उन्होंने अपने अभिकर्ता को तलाशा, लेकिन वह घर जा चुका था। आनन-फानन में ही वार्ड के अभिकर्ता को पुनर्गणना के आवेदन के लिए बुलाया गया लेकिन तब तक कांग्रेस की ओर से वहां मौजूद नेताओं ने विजयी घोषित गणेशलाल को बुलाकर शपथ दिलवा दी।
देऊबाई का प्रधान बनना तयइस बार पार्टी के भीतर प्रधान पद के लिए किसी प्रकार की खींचतान का कोई भय नहीं है। एससी महिला के लिए आरक्षित प्रधान के पद पर भाजपा की ओर से एकमात्र विजयी प्रत्याशी देऊबाई ने जीत हासिल कर भाजपा के पहले बोर्ड का प्रधान बनने का गौरव हासिल करने का दावा कर लिया है।
अब तक का सफरपंचायत समिति में पहले प्रधान के रूप में आए ठाकुर दौलतसिंह ने अक्टूबर 1959 से अगस्त 1966 तक लगातार तीन बार काम किया। इसके बाद पृथ्वीसिंह ने अगस्त 1966 से अगस्त 1977 तक कार्यवाहक प्रधान के रूप में कार्य किया। इनके बाद गुणसागर कर्णावट ने कमान संभाली। यह दिसंबर 1981 से जुलाई 1988 तक इस पद पर रहे। इनके बाद केलवा के रघुवीरसिंह राठौड ने जुलाई 1988 से जुलाई 1991 तक कार्य किया।
इसके बाद फरवरी 1995 से अक्टूबर 1998 तक डॉ. शिप्रा रही इस पद पर रही। इनके खिलाफ अविश्वास आने के बाद इनके पद से हटने से उपप्रधान देवीसिंह भाटी ने कार्यवाहक प्रधान के रूप में फरवरी 2000 तक कार्य किया। फरवरी 2000 में कांग्रेस में पडी फूट के बाद भाजपा के समर्थन से रघुवीरसिंह ने एक बार फिर पंचायत की कमान संभाली, यह सिर्फ दो वर्ष ही वर्ष 2002 तक कार्य कर पाए। इनके खिलाफ भी अविश्वास आने से उपप्रधान भाजपा के भानू पालीवाल ने कार्यवाहक प्रधान केे रूप में 2003 तक कार्य किया। इसके बाद हुए चुनाव में शांतिलाल कोठारी इस पद पर रहे यह फरवरी 2005 तक रहे। इनके बाद फरवरी 2005 से कांग्रेस के गणेशलाल भील अब तक इस पद पर बने हुए थे।
... लेकिन तब तक शपथ ले लीभाजपा को उस वक्त मायूसी का सामना करना पडा जब वह पुनर्गणना का आवेदन लेकर प्रशासन के पास पहुंचे, लेकिन उन्हें पता चला कि विजयी घोषित कांग्रेस की प्रत्याशी ने शपथ ले ली। मामला जिला परिषद के वार्ड 13 से जुडा था। वार्ड से कांग्रेस के गणेशलाल भील 139 मतों से विजयी घोषित किए गए। देर रात घोषित परिणाम के बारे में जब भाजपा नेताओं को पता चला कि जीत का अंतर महज 139 मत है तो उन्होंने पुनर्गणना की मांग की। उन्होंने अपने अभिकर्ता को तलाशा, लेकिन वह घर जा चुका था। आनन-फानन में ही वार्ड के अभिकर्ता को पुनर्गणना के आवेदन के लिए बुलाया गया लेकिन तब तक कांग्रेस की ओर से वहां मौजूद नेताओं ने विजयी घोषित गणेशलाल को बुलाकर शपथ दिलवा दी।
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