Sunday, February 14, 2010

सरपंचों को फिर मिला 'पॉवर'

पंचायत चुनाव के मद्देनजर सरपंच एवं ग्रामीण क्षेत्र के अन्य जनप्रतिनिघियों से छीनी गई शक्तियां चुनाव आचार संहिता हटने के बाद लौटाने का कार्य शुरू हो गया है। नवनिर्वाचित सरपंचों को अब कैश बुक पर हस्ताक्षर करने एवं चैक जारी करने की शक्तियां फिर मिल गई हैं।
जिले की 383 ग्राम पंचायतों में से 380 में हाल ही सरपंचों के चुनाव हुए थे। माण्डलगढ क्षेत्र की तीन ग्राम पंचायतों का गत वर्ष ही गठन होने से उनमें इस बार चुनाव नहीं हुए। नए सरपंचों ने पदभार ग्रहण करने के साथ पंचायतों के रिकार्ड को संभालना शुरू कर दिया है। प्रशासनिक स्तर पर सरपंचों को नए सिरे से रिकार्ड संधारण नहीं बल्कि पुराना रिकार्ड ही आगे बढाने के निर्देश दिए गए हैं। सरपंचों को निर्देश दिए गए हैं कि पदभार संभालते समय यह देख लें कि पंचायत का कार्यवाही रजिस्टर आदिनांक संधारित है अथवा नहीं। उन्हें हर माह की 5 एवं 20 तारीख को पंचायत की पाक्षिक बैठक बुलाने को कहा गया है।
इनका कहना है...आचार संहिता हटने के बाद सरपंचों को चैक पर हस्ताक्षर जैसी वित्तीय शक्तियां लौटा दी गई है। वे अब इससे जुड कार्य कर सकते हैं। -शोभालाल मूंदडा, मुख्य कार्यकारी अघिकारी, जिला परिषद

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