Monday, February 22, 2010

मूर्तियां लगाना चुनाव संहिता का उल्लंघन है या नहीं

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनाव आयोग से पूछा कि उत्तर प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर मुख्यमंत्री मायावती एवं बसपा के चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियां लगाया जाना चुनाव चिह्न संहिता का उल्लंघन है अथवा नही। मुख्य न्यायाधीश के जी बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खण्डपीठ ने याचिकाकर्ता रविकांत एवं अन्य की एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग को तीन महीने के भीतर यह फैसला करने का निर्देश दिया है कि राज्य के विभिन्न पार्को और चौक-चौराहों पर मायावती और हाथी की मूर्तियां लगाया जाना चुनाव चिह्न संहिता का उल्लंघन है अथवा नहीं।
तीन माह में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश: खण्डपीठ ने चुनाव आयोग को इस बारे में तीन महीने में अपनी रिपोर्ट न्यायालय को सौंपने का निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि आयोग की रिपोर्ट के बाद वह इस याचिका की सुनवाई के औचित्य पर निर्णय करेगा।
याचिका में आरोप याचिकाकर्ता ने दलील दी कि उत्तर प्रदेश सरकार ने करोडों रूपए के सरकारी राजस्व से दलित नेताओं के अलावा मायावती और हाथी की मूर्तियां स्थापित की हैं जो चुनाव चिह्न संहिता का उल्लंघन है। राज्य सरकार की ओर से मामले की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि हाथी की मूर्तियां तो लोकसभा, राष्ट्रपति भवन, नॉर्थ ब्लॉक और साऊथ ब्लॉक में विभिन्न स्थानों पर लगाई गई हैं।
राजधानी दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में तो 200 से अधिक हाथियों की मूर्तियां बनी हुई हैं। इसके बाद न्यायालय ने चुनाव आयोग की वकील मीनाक्षी अरोडा से राय मांगी। अरोडा ने इस बारे में फैसला लेने के लिए तीन महीने का समय मांगा जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया।

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