मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री और जिम्मेदार पदों पर आसीन अधिकारी अब नियमित रूप से अपनी सम्पत्ति का विवरण पेश करेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में सोमवार को यहां हुई राज्य मंत्रिमण्डल की बैठक में यह फैसला किया गया।
इस निर्णय के तहत मंत्रिमण्डल के सदस्य विधानसभा के पटल पर और अधिकारीगण सामान्य प्रशासन विभाग की वेबसाइट पर नियमित रूप से सम्पत्ति के ब्योरे का उल्लेख करेंगे। हाल ही में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी दम्पती अरविंद जोशी और टीनू जोशी के यहां आयकर के छापे में करोडों रूपए की सम्पत्ति की जानकारी सामने आने के बाद राज्य में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बहस छिड गई है।
दरकार यहां भी...जयपुर। मध्यप्रदेश सरकार की ओर से अपने मंत्रियों व अधिकारियों की सम्पत्ति की नियमित रूप से घोषणा करने की अनिवार्यता लागू करने का फैसला निश्चित ही सार्थक व अनुकरणीय पहल है। सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार के रम जाने के इस दौर में उ“ा पदों के बारे में ऎसे फैसले से निचले स्तर तक एक संदेश जाएगा। राजस्थान में अभी ऎसी व्यवस्था नहीं है।
मंत्री सिर्फ चुनाव लडते समय सम्पत्ति की घोषणा करते हैं और अगला मौका पांच साल बाद आता है। नौकरशाही रस्मी तौर पर सालाना सम्पत्ति का विवरण देती है, लेकिन यह सार्वजनिक नहीं होता। सम्पत्ति सार्वजनिक करने के बारे में राजस्थान को भी अपने पडोसी राज्य की अच्छाई को ग्रहण करना चाहिए।
इस निर्णय के तहत मंत्रिमण्डल के सदस्य विधानसभा के पटल पर और अधिकारीगण सामान्य प्रशासन विभाग की वेबसाइट पर नियमित रूप से सम्पत्ति के ब्योरे का उल्लेख करेंगे। हाल ही में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी दम्पती अरविंद जोशी और टीनू जोशी के यहां आयकर के छापे में करोडों रूपए की सम्पत्ति की जानकारी सामने आने के बाद राज्य में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बहस छिड गई है।
दरकार यहां भी...जयपुर। मध्यप्रदेश सरकार की ओर से अपने मंत्रियों व अधिकारियों की सम्पत्ति की नियमित रूप से घोषणा करने की अनिवार्यता लागू करने का फैसला निश्चित ही सार्थक व अनुकरणीय पहल है। सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार के रम जाने के इस दौर में उ“ा पदों के बारे में ऎसे फैसले से निचले स्तर तक एक संदेश जाएगा। राजस्थान में अभी ऎसी व्यवस्था नहीं है।
मंत्री सिर्फ चुनाव लडते समय सम्पत्ति की घोषणा करते हैं और अगला मौका पांच साल बाद आता है। नौकरशाही रस्मी तौर पर सालाना सम्पत्ति का विवरण देती है, लेकिन यह सार्वजनिक नहीं होता। सम्पत्ति सार्वजनिक करने के बारे में राजस्थान को भी अपने पडोसी राज्य की अच्छाई को ग्रहण करना चाहिए।
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