कांग्रेस ने जब बुधवार आधी रात को तेलंगाना के गठन की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की, तब उसे जरा भी अंदाजा नहीं था कि गुरुवार सुबह तक खुद पार्टी में इतनी बड़ी बगावत हो जाएगी। गुरुवार को आंध्र प्रदेश के गैर-तेलंगाना क्षेत्रों के जिन 105 विधायकों और तीन सांसदों ने इस्तीफे दे दिए हैं, उनमें से 52 विधायक और दो सांसद कांग्रेस के हैं। इस्तीफा देने वालों से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सब्र बनाए रखने के लिए कहा है। सोनिया ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस.आर. रेड्डी के बेटे जगन रेड्डी और गैर-तेलंगाना क्षेत्र के 18 सांसदों से मिल कर उनकी आपत्तियां सुनीं। इनमें तीन केंद्रीय मंत्री पी. लक्ष्मी , डी. पुरंदेश्वरी और एस. प्रताप शामिल थे। साथ ही एमआईएम के हैदराबाद से सांसद असाउद्दीन औवेसी भी थे। सोनिया ने उत्तेजित सांसदों को भरोसा दिलाया कि अंतिम निर्णय पर पहुंचने से पहले सभी नजरियों को ध्यान में रखा जाएगा।
बातचीत में आंध्र के कांग्रेस प्रभारी वीरप्पा मोइली, सोनिया के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल भी शामिल थे। लेकिन लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देने वाले एल. राजगोपाल नहीं आए। दूसरी तरफ कांग्रेस के तेलंगाना क्षेत्र के सांसदों ने भी सोनिया और प्रधानमंत्री से मुलाकात करके उन्हें धन्यवाद दिया। कांग्रेस ने बिगड़ी स्थिति संभालने की खातिर नया दांव फेंकते हुए कहा है कि नया राज्य सभी दलों की सहमति से ही अस्तित्व में आ सकता है। गुरुवार देर रात आंध्र कैबिनेट की इमरजेंसी मीटिंग हुई, जिसके बाद सूचना मंत्री जे. गीता रेड्डी ने कहा कि नए राज्य का प्रस्ताव लाने पर हम कांग्रेस हाईकमान का फैसला मानेंगे। लेकिन, इसकी तारीख नहीं तय हुई है। गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने बताया कि उन्होंने टीआरएस प्रमुख के. चंदशेखर राव को बातचीत के लिए दिल्ली बुलाया है। राव के अनशन खत्म करने से यूपीए सरकार राहत महसूस कर रही है। अब राज्य की राजधानी हैदराबाद नया बैट्ल फील्ड बन गया है। तेलंगाना के समर्थक हैदराबाद अपने राज्य में मान कर चल रहे हैं, जबकि हैदराबाद के लोग और शेष आंध्र के जनप्रतिनिधि किसी भी कीमत पर हैदराबाद छोड़ने को तैयार नहीं हैं। टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने साफ कह दिया है कि वह राज्य का विभाजन और हैदराबाद को आंध्र से अलग नहीं होने देंगे। टीडीपी के 42 विधायकों ने इस्तीफा दिया है। प्रजा राज्यम के 11 विधायकों ने इस्तीफा तो दिया है, लेकिन पार्टी प्रमुख चिरंजीव ने इस्तीफा वापस लेने की अपील की है। गौरतलब है कि 294 सदस्यों की आंध्र विधानसभा में तेलंगाना क्षेत्र में 119 सीटें पड़ती हैं। बाकी 175 सीटों में से 107 कांग्रेस के पास हैं। लोकसभा की 42 सीटों में से 17 तेलंगाना में जाएंगी।
बातचीत में आंध्र के कांग्रेस प्रभारी वीरप्पा मोइली, सोनिया के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल भी शामिल थे। लेकिन लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देने वाले एल. राजगोपाल नहीं आए। दूसरी तरफ कांग्रेस के तेलंगाना क्षेत्र के सांसदों ने भी सोनिया और प्रधानमंत्री से मुलाकात करके उन्हें धन्यवाद दिया। कांग्रेस ने बिगड़ी स्थिति संभालने की खातिर नया दांव फेंकते हुए कहा है कि नया राज्य सभी दलों की सहमति से ही अस्तित्व में आ सकता है। गुरुवार देर रात आंध्र कैबिनेट की इमरजेंसी मीटिंग हुई, जिसके बाद सूचना मंत्री जे. गीता रेड्डी ने कहा कि नए राज्य का प्रस्ताव लाने पर हम कांग्रेस हाईकमान का फैसला मानेंगे। लेकिन, इसकी तारीख नहीं तय हुई है। गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने बताया कि उन्होंने टीआरएस प्रमुख के. चंदशेखर राव को बातचीत के लिए दिल्ली बुलाया है। राव के अनशन खत्म करने से यूपीए सरकार राहत महसूस कर रही है। अब राज्य की राजधानी हैदराबाद नया बैट्ल फील्ड बन गया है। तेलंगाना के समर्थक हैदराबाद अपने राज्य में मान कर चल रहे हैं, जबकि हैदराबाद के लोग और शेष आंध्र के जनप्रतिनिधि किसी भी कीमत पर हैदराबाद छोड़ने को तैयार नहीं हैं। टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने साफ कह दिया है कि वह राज्य का विभाजन और हैदराबाद को आंध्र से अलग नहीं होने देंगे। टीडीपी के 42 विधायकों ने इस्तीफा दिया है। प्रजा राज्यम के 11 विधायकों ने इस्तीफा तो दिया है, लेकिन पार्टी प्रमुख चिरंजीव ने इस्तीफा वापस लेने की अपील की है। गौरतलब है कि 294 सदस्यों की आंध्र विधानसभा में तेलंगाना क्षेत्र में 119 सीटें पड़ती हैं। बाकी 175 सीटों में से 107 कांग्रेस के पास हैं। लोकसभा की 42 सीटों में से 17 तेलंगाना में जाएंगी।
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