गुर्जर नेता कर्नल किरोडी सिंह बैंसला ने कहा कि जब तक गुर्जरों को आरक्षण नहीं मिलेगा तब तक राज्य में किसी भी विभाग के पदों की भर्ती प्रक्रिया नहीं होने देंगे। उन्होंने मंगलवार को पत्रकारों से कहा कि राज्य सरकार को चाहिए कि वह 17 दिसम्बर को हाईकोर्ट में आरक्षण विधेयक को लेकर मजबूत पक्ष रखे। नई आरक्षण व्यवस्था को लागू करना सरकार की नैतिक और राजनीतिक जिम्मेदारी है। कोर्ट को पचास प्रतिशत से अधिक आरक्षण देने पर आपत्ति है। अब सरकार की जिम्मेदारी है कि वह हमें कैसे आरक्षण दे, संवैधानिक बाध्यता से हमें कोई मतलब नहीं है। बैंसला ने कहा कि हम नहीं चाहते कि राज्य में अशांति हो, लेकिन यदि हमारा हक नहीं मिला तो हम चुप नहीं बैठेंगे।
फिर आंदोलन के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा हर दस साल में होनी चाहिए। इस आधार पर जो जरूरतमंद हैं उन्हें ही आरक्षण मिले और संपन्न हैं उन्हें आरक्षण नहीं दिया जाए।
श्रेय दोनों मुख्यमंत्रियों कोबैंसला ने कहा कि गुर्जरों के लिए आरक्षण विधेयक लाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और इसके क्रियान्वयन के श्रेय के हकदार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं।
हमारी लडाई सरकार से
कैप्टन हरिप्रसाद और डॉ. विक्रम सिंह गुर्जर ने कहा कि हमारी लडाई सरकार से है, कोर्ट में हम पक्षकार नहीं हैं। हाईकोर्ट ने सरकार से पक्ष पूछा है। इसलिए सरकार कैसे भी करके हमें आरक्षण दिलाए। सर्वणों को भी इसमें सहयोग करना चाहिए। कश्मीर से आए कमर रब्बानी चेची ने कहा कि यदि आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था हो जाए तो हम आंदोलन को वापस ले सकते हैं।
फिर आंदोलन के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा हर दस साल में होनी चाहिए। इस आधार पर जो जरूरतमंद हैं उन्हें ही आरक्षण मिले और संपन्न हैं उन्हें आरक्षण नहीं दिया जाए।
श्रेय दोनों मुख्यमंत्रियों कोबैंसला ने कहा कि गुर्जरों के लिए आरक्षण विधेयक लाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और इसके क्रियान्वयन के श्रेय के हकदार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं।
हमारी लडाई सरकार से
कैप्टन हरिप्रसाद और डॉ. विक्रम सिंह गुर्जर ने कहा कि हमारी लडाई सरकार से है, कोर्ट में हम पक्षकार नहीं हैं। हाईकोर्ट ने सरकार से पक्ष पूछा है। इसलिए सरकार कैसे भी करके हमें आरक्षण दिलाए। सर्वणों को भी इसमें सहयोग करना चाहिए। कश्मीर से आए कमर रब्बानी चेची ने कहा कि यदि आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था हो जाए तो हम आंदोलन को वापस ले सकते हैं।
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