विदेश मंत्री एस. एम. कृष्णा ने बुधवार को जोरदार शब्दों में कहा कि भारत की स्थिति ऐसी नहीं है कि कोई उसे डरा-धमका सके। भारत-चीन संबंधों पर लोकसभा में हुई चर्चा के जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि आज के हालात 1962 जैसे नहीं हैं। हम 2009 में रह रहे हैं। कृष्णा ने अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावे को ठुकराते हुए कहा कि वह भारत का अभिन्न अंग है। कृष्णा ने कहा कि हमसे कहा गया कि दलाई लामा को अरुणाचल नहीं जाना चाहिए। मगर वे गए। प्रधानमंत्री के लिए कहा गया। मगर वे भी गए। लद्दाख में सड़क का काम रोके जाने पर कृष्णा ने कहा इसका केंद्र से कोई संबंध नहीं है। यह काम राज्य सरकार ने रोका था। राज्य ने केन्द्र से इस बारे में कोई संपर्क नहीं किया है। लद्दाख में सड़क निर्माण और चीन की आपत्ति पर चर्चा के दौरान सदस्यों ने कई सवाल उठाए थे।
कृष्णा ने माना कि पड़ोसी चीन की तरफ से सीमा उल्लंघन की कुछ घटनाएं हुई हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि इनके प्रति सचेत रहते हुए हमने सीमा पर गश्त और ढांचागत विकास पर खास ध्यान दिया है। उन्होंने यह भी माना कि चीन के साथ रिश्तों में पूर्व में कुछ कमियां और गलतियां भी रही हैं। कृष्णा ने चीन के साथ सीमा विवाद को पेचीदा मुद्दा बताते हुए कहा कि सीमा की निशानदेही न होने के कारण दोनों देशों के बीच विवाद है। उन्होंने स्वीकार किया कि दोनों के बीच सीमा को लेकर मतभेद हैं। लेकिन, इसका हल संघर्ष नहीं है। बातचीत के जरिये ही समाधान हो सकता है। उन्होंने बताया कि दोनों देशों ने इसके लिए एक तंत्र स्थापित किया है, जिसकी 13 बैठकें हो चुकी हैं। अगले महीने एक और बैठक होने जा रही है। कृष्णा ने कहा कि चीन और भारत इस समय विश्व की उभरती हुई ताकतें हैं और भारत बराबरी के आधार पर संबंध चाहता है, जिसमें दोनों देश एक-दूसरे की संवेदनाओं और आकांक्षाओं के प्रति संवेदनशील हों। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की हाल की बातचीत में सहमति थी कि द्विपक्षीय रिश्तों को आगे बढ़ाया जाए। लेकिन ऐसा तभी हो सकता है जब दोनों के बीच विश्वास, आपसी सम्मान और तमाम मुद्दों पर एक-दूसरे को समझने का माहौल बने।
कृष्णा ने माना कि पड़ोसी चीन की तरफ से सीमा उल्लंघन की कुछ घटनाएं हुई हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि इनके प्रति सचेत रहते हुए हमने सीमा पर गश्त और ढांचागत विकास पर खास ध्यान दिया है। उन्होंने यह भी माना कि चीन के साथ रिश्तों में पूर्व में कुछ कमियां और गलतियां भी रही हैं। कृष्णा ने चीन के साथ सीमा विवाद को पेचीदा मुद्दा बताते हुए कहा कि सीमा की निशानदेही न होने के कारण दोनों देशों के बीच विवाद है। उन्होंने स्वीकार किया कि दोनों के बीच सीमा को लेकर मतभेद हैं। लेकिन, इसका हल संघर्ष नहीं है। बातचीत के जरिये ही समाधान हो सकता है। उन्होंने बताया कि दोनों देशों ने इसके लिए एक तंत्र स्थापित किया है, जिसकी 13 बैठकें हो चुकी हैं। अगले महीने एक और बैठक होने जा रही है। कृष्णा ने कहा कि चीन और भारत इस समय विश्व की उभरती हुई ताकतें हैं और भारत बराबरी के आधार पर संबंध चाहता है, जिसमें दोनों देश एक-दूसरे की संवेदनाओं और आकांक्षाओं के प्रति संवेदनशील हों। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की हाल की बातचीत में सहमति थी कि द्विपक्षीय रिश्तों को आगे बढ़ाया जाए। लेकिन ऐसा तभी हो सकता है जब दोनों के बीच विश्वास, आपसी सम्मान और तमाम मुद्दों पर एक-दूसरे को समझने का माहौल बने।
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