जयपुर। जिस देवस्थान निधि के धन से मंदिरों की व्यवस्था व भगवान के भोग-राग की व्यवस्था की जानी थी, उस राशि से विभाग के मंत्री व अफसरों के लिए गाडियां, कम्प्यूटर, ब्रॉड बैण्ड कनेक्शन, स्टेशनरी, आलमारियां और अन्य उपकरण खरीद लिए गए।
विभाग के अफसरों ने इस राशि का जमकर मनमाना उपयोग किया। वित्त विभाग की ओर से देवस्थान विभाग की गत छह साल की स्पेशल ऑडिट में यह खुलासा करते हुए 1.58 करोड रूपए की गडबडियों का जिक्र किया गया है।
इस ऑडिट रिपोर्ट मेंं तत्कालीन देवस्थान राज्यमंत्री, प्रमुख देवस्थान सचिव व अन्य अफसरों से करीब 16.50 लाख रूपए की वसूली की सिफारिश की है। देवस्थान मंत्री बृजकिशोर शर्मा के निर्देश पर वित्त विभाग ने 2003 से 2008 तक सहायक आयुक्त कार्यालय की स्पेशल ऑडिट की है। पूर्ववर्ती भाजपा शासनकाल की इस अवधि में उषा पूनिया देवस्थान राज्यमंत्री थीं।
रिपोर्ट के अनुसार देवस्थान निधि नियमों के तहत केवल राजकीय व आत्मनिर्भर श्रेणी के मंदिरों की व्यवस्था, रख-रखाव व भगवान के भोग-राग पर ही राशि खर्च की जा सकती है, लेकिन ऑडिट अवधि में जम कर नियम विरूद्ध मनमाना खर्चा किया गया।
खजाने में जमा नहीं करवाए 55 लाख रिपोर्ट के अनुसार विभाग में गडबडी का आलम यह था कि अफसरों ने अपने मनमाने खर्च के लिए करीब 55 लाख रूपए सरकारी खजाने (पीडी एकाउण्ट) में जमा ही नहीं करवाए। यह राशि मन्दिरों की सम्पत्ति के किराये, भेंट आदि के रूप में मिली थी। ऑडिट अवधि में विभाग को 1.31 करोड राशि मिली थी, लेकिन 55 लाख रूपए रख कर पीडी एकाउण्ट में 76 लाख ही जमा करवाए गए। ऑडिट रिपोर्ट में टिप्पणी की गई है कि कार्यालय में इतनी राशि रखने से गबन की आशंका रहती है और यह राशि सीधे खर्च करना गम्भीर अनियमितता है।
विभाग के पी.डी. खाता पास-बुक व रोकड बही में भी बडा अन्तर है। इस अनियमितता के लिए सहायक आयुक्त प्रथम को जिम्मेदार ठहराया गया है। कर्मचारियों के सीपीएफ के 60 हजार रूपए भी खातों में जमा नहीं करवाए गए। रिपोर्ट में इसके लिए जरूरी कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
मनमानियां-गडबडियां* राज्यमंत्री, प्रमुख सचिव व अन्य अफसरों ने नियम विरूद्ध 17.28 लाख रूपए की यात्राएं किराये के वाहनों में की। वसूली की सिफारिश।* प्रमुख सचिव व सहायक आयुक्त के लिए 9.69 लाख रूपए की दो गाडियों की खरीद, इनकी मरम्मत पर 5.04 लाख रूपए खर्च। गाडियों की लॉग बुक का संधारण भी नहीं।* निधि से 3.42 लाख रूपए का फर्नीचर, फोटो स्टेट मशीन, साइबर शॉट कैमरे खरीदे गए।* कम्प्यूटर, कलर प्रिंटर, स्टेशनरी खरीद तथा फोटोस्टेट पर 8.55 लाख रूपए खर्च।* काफी सामान आयुक्तालय से सचिवालय भेजा गया, जिसकी रसीद तक नहीं।* 2.16 लाख रूपए का अनियमित कार्यालय व्यय* राज्यमंत्री, प्रमुख सचिव व उप सचिव के लिए 3 लाख रूपए की स्टेशनरी खरीद व 9.14 लाख रूपए ऑपरेटर सहित कम्प्यूटर का अनियमित भुगतान।
विभाग के अफसरों ने इस राशि का जमकर मनमाना उपयोग किया। वित्त विभाग की ओर से देवस्थान विभाग की गत छह साल की स्पेशल ऑडिट में यह खुलासा करते हुए 1.58 करोड रूपए की गडबडियों का जिक्र किया गया है।
इस ऑडिट रिपोर्ट मेंं तत्कालीन देवस्थान राज्यमंत्री, प्रमुख देवस्थान सचिव व अन्य अफसरों से करीब 16.50 लाख रूपए की वसूली की सिफारिश की है। देवस्थान मंत्री बृजकिशोर शर्मा के निर्देश पर वित्त विभाग ने 2003 से 2008 तक सहायक आयुक्त कार्यालय की स्पेशल ऑडिट की है। पूर्ववर्ती भाजपा शासनकाल की इस अवधि में उषा पूनिया देवस्थान राज्यमंत्री थीं।
रिपोर्ट के अनुसार देवस्थान निधि नियमों के तहत केवल राजकीय व आत्मनिर्भर श्रेणी के मंदिरों की व्यवस्था, रख-रखाव व भगवान के भोग-राग पर ही राशि खर्च की जा सकती है, लेकिन ऑडिट अवधि में जम कर नियम विरूद्ध मनमाना खर्चा किया गया।
खजाने में जमा नहीं करवाए 55 लाख रिपोर्ट के अनुसार विभाग में गडबडी का आलम यह था कि अफसरों ने अपने मनमाने खर्च के लिए करीब 55 लाख रूपए सरकारी खजाने (पीडी एकाउण्ट) में जमा ही नहीं करवाए। यह राशि मन्दिरों की सम्पत्ति के किराये, भेंट आदि के रूप में मिली थी। ऑडिट अवधि में विभाग को 1.31 करोड राशि मिली थी, लेकिन 55 लाख रूपए रख कर पीडी एकाउण्ट में 76 लाख ही जमा करवाए गए। ऑडिट रिपोर्ट में टिप्पणी की गई है कि कार्यालय में इतनी राशि रखने से गबन की आशंका रहती है और यह राशि सीधे खर्च करना गम्भीर अनियमितता है।
विभाग के पी.डी. खाता पास-बुक व रोकड बही में भी बडा अन्तर है। इस अनियमितता के लिए सहायक आयुक्त प्रथम को जिम्मेदार ठहराया गया है। कर्मचारियों के सीपीएफ के 60 हजार रूपए भी खातों में जमा नहीं करवाए गए। रिपोर्ट में इसके लिए जरूरी कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
मनमानियां-गडबडियां* राज्यमंत्री, प्रमुख सचिव व अन्य अफसरों ने नियम विरूद्ध 17.28 लाख रूपए की यात्राएं किराये के वाहनों में की। वसूली की सिफारिश।* प्रमुख सचिव व सहायक आयुक्त के लिए 9.69 लाख रूपए की दो गाडियों की खरीद, इनकी मरम्मत पर 5.04 लाख रूपए खर्च। गाडियों की लॉग बुक का संधारण भी नहीं।* निधि से 3.42 लाख रूपए का फर्नीचर, फोटो स्टेट मशीन, साइबर शॉट कैमरे खरीदे गए।* कम्प्यूटर, कलर प्रिंटर, स्टेशनरी खरीद तथा फोटोस्टेट पर 8.55 लाख रूपए खर्च।* काफी सामान आयुक्तालय से सचिवालय भेजा गया, जिसकी रसीद तक नहीं।* 2.16 लाख रूपए का अनियमित कार्यालय व्यय* राज्यमंत्री, प्रमुख सचिव व उप सचिव के लिए 3 लाख रूपए की स्टेशनरी खरीद व 9.14 लाख रूपए ऑपरेटर सहित कम्प्यूटर का अनियमित भुगतान।
No comments:
Post a Comment