बतौर रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव की कामयाबी के दावे की रेल मंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को लोकसभा में धज्जियां उड़ा दीं। ममता ने रेलवे के पिछले पांच साल के कार्यकाल पर वाइट पेपर पेश करते हुए लालू के रेकॉर्ड मुनाफा कमाने के दावों को बेबुनियाद बताया और कहा कि रेलवे की सेहत ठीकठाक दिखाने के लिए अकाउंट्स से छेड़छाड़ की गई। श्वेत पत्र में कहा गया है कि जिस 66 हजार करोड़ रुपयों से ज्यादा के मुनाफे का दावा लालू करते थे, वे दरअसल 1991-96 के दौर का है, जब सी.के. जाफर शरीफ रेल मंत्री हुआ करते थे। ममता ने अपने श्वेत पत्र को भविष्य का दस्तावेज बताते हुए कहा है कि हमारा ध्यान पैसेंजरों को ज्यादा सुविधाएं देना है। श्वेत पत्र के जरिए ममता ने कहा है कि लालू के कार्यकाल में रेलवे का काम सामान्य से भी नीचे था। लालू के मुनाफे के आंकड़ों के बारे में कहा गया है कि लालू का दावा था कि 2004-05 से 2008-09 के बीच का सरप्लस 89 हजार करोड़ है, जबकि अगर इस आंकड़े को 'नए रूप में पेश' नहीं किया जाता या फेरबदल नहीं किया जाता तो यह 39,500 होता। पैसेंजर ऑपरेशंस से 2008-09 में घाटा 14000 करोड़ रुपये हो गया था। आंकड़ों में इस तरह फेरबदल की गई ताकि मुनाफा ही मुनाफा दिखाई दे। गौरतलब है कि लालू अपने मुनाफे की कहानियों के चलते कई बार प्रधानमंत्री और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से शाबाशी बटोर चुके थे। लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार में अपनी पार्टी आरजेडी के खराब प्रदर्शन के चलते वह न सिर्फ कैबिनेट से बाहर हुए बल्कि रेलवे के उनके कामकाज पर भी उंगलियां उठने लगीं। ममता ने कहा कि पत्र में इस मुद्दे को निष्पक्ष रूप से देखने का प्रयास किया गया है और इसके नतीजों के आधार पर सुधार की नीतियां तैयार करने पर विचार किया जाएगा। लालू ने श्वेत पत्र को खारिज करते हुए कहा कि रेकार्ड मुनाफे का मेरा दावा सही था। लालू ने लगे हाथों अपने कार्यकाल को रेलवे का स्वर्ण काल भी घोषित कर दिया। ममता ने लालू की टिप्पणी पर कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया और कहा कि श्वेत पत्र में किसी को भी निशाना नहीं बनाया गया था।
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