संघ के दबाव में बीजेपी को यंग जेनरेशन के हाथों में सौंपने का रास्ता साफ करने के लिए हालांकि पार्टी के सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी ने संसद में नेता प्रतिपक्ष के पद से त्यागपत्र देकर सुषमा स्वराज को उसके लिए मनोनीत कर दिया है। साथ ही, राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से राजनाथ सिंह ने अपना कार्यकाल पूरा कर कमान नितिन गडकरी के हाथ में सौंप दी है। लेकिन बीजेपी को निकट से जानने वालों का मानना है कि पार्टी को चलाने में आडवाणी ही बैक सीट ड्राइविंग करते रहेंगे। बीजेपी को 1984 में लोकसभा की दो सीटों से सत्ता तक पहुंचाने और राष्ट्रीय स्तर तक लाने का श्रेय आडवाणी को ही दिया जाता है। और इस 25 साल की यात्रा में अयोध्या से लेकर कई रथ यात्राओं और हिंदुत्व के साथ 'लौह पुरुष' की छवि ने उनका कद इतना बढ़ा दिया है कि संघ के पूरे सपोर्ट के बावजूद पार्टी के नए अध्यक्ष गडकरी केवल उनके अजेंडे को ही आगे बढ़ा सकेंगे। वैसे भी गडकरी को
सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के समक्ष मजबूत विपक्ष के तौर पर पार्टी को टिकाने के लिए राष्ट्रीय स्तर का अनुभव प्राप्त करने में अभी समय लगेगा। गडकरी ने खुद ही शनिवार को पार्टी की नई कमान संभालते हुए कहा कि दिल्ली की रात का मुझे अब तक कोई अनुभव नहीं। मैं जब भी दिल्ली आया, सुबह आकर शाम को चला गया। मैं आज पहली बार दिल्ली में रात में टिकूंगा। संघ की कमान संभालने के बाद मोहन भागवत ने साफ कर दिया था कि बीजेपी की कमान नई जेनरेशन के हाथों में जानी चाहिए और अध्यक्ष पद के लिए उन्होंने चारों बड़े नेताओं- सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, अनंत कुमार और वेंकैया नायडू को रेस से ही बाहर कर दिया था। तभी से नितिन गडकरी का नाम चल पड़ा था। गडकरी ने खुद ही पत्रकारों को इस बात के संकेत दिए थे कि उन्हें पार्टी की कमान संभालने के लिए कहा
सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के समक्ष मजबूत विपक्ष के तौर पर पार्टी को टिकाने के लिए राष्ट्रीय स्तर का अनुभव प्राप्त करने में अभी समय लगेगा। गडकरी ने खुद ही शनिवार को पार्टी की नई कमान संभालते हुए कहा कि दिल्ली की रात का मुझे अब तक कोई अनुभव नहीं। मैं जब भी दिल्ली आया, सुबह आकर शाम को चला गया। मैं आज पहली बार दिल्ली में रात में टिकूंगा। संघ की कमान संभालने के बाद मोहन भागवत ने साफ कर दिया था कि बीजेपी की कमान नई जेनरेशन के हाथों में जानी चाहिए और अध्यक्ष पद के लिए उन्होंने चारों बड़े नेताओं- सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, अनंत कुमार और वेंकैया नायडू को रेस से ही बाहर कर दिया था। तभी से नितिन गडकरी का नाम चल पड़ा था। गडकरी ने खुद ही पत्रकारों को इस बात के संकेत दिए थे कि उन्हें पार्टी की कमान संभालने के लिए कहा
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