नई दिल्ली। प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह का कहना है कि आर्थिक मंदी का दौर अब समाप्ति पर है और आने वाले महीनों में स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है। उन्होंने आगामी महीनों में अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत देते हुए कहा कि कमजोर मानसून को देखते हुए पूरी आर्थिक स्थिति पर विचार किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दूसरी बार सत्ता में आने के बाद मंगलवार को योजना आयोग की पहली पूर्ण बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वैश्विक मंदी के बाद स्थिति में अब सुधार हो रहा है।
हाल के महीने कठिन रहे हैं। ऊर्जा सुरक्षा दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिस पर गौर किए जाने की आवश्यकता है। आर्थिक वृद्धि के लिए ऊर्जा काफी महत्व रखती है और यही एक ऎसा क्षेत्र है जहां घरेलू अर्थव्यवस्था काफी घाटे में है। पेट्रोलियम पदार्थो की जरूरतों को पूरा करने के लिए 70 प्रतिशत तक आयात होता है। कोयले के भण्डार भी लगातार घटते जा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने योजना आयोग से 'एकीकृत ऊर्जा नीति' के क्रियान्वयन पर ध्यान देने की हिदायत दी।
डा. सिंह ने कहा कि 11वीं पंचवर्षीय योजना का आधा समय बीत चुका है। वैश्विक आर्थिक मंदी के कठिन दौर और साथ ही मानसून की बेरूखी को देखते हुए योजना आयोग के लिए जरूरी हो गया है कि वह आयोग के मंत्री सदस्यों को देश के आर्थिक हालात से पूरी तरह अवगत कराए।
स्वीकृत ऊर्जा नीति को लागू करने की दिशा में प्रगति हुई है। इस बात का लेखा जोखा लिया जाएगा कि स्वीकृत ऊर्जा नीति के सुझावों को लागू करने के लिए और क्या किया जाना चाहिए। -मोंटेक सिंह अहलूवालिया योजना आयोग के उपाध्यक्ष
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा* मौसम में बदलाव के खतरों के मद्देनजर तर्कसंगत ऊर्जा नीतियां काफी महत्वपूर्ण।* ऊर्जा से जुडे विभाग अलग-अलग मंत्रालयों के अधीन, ऎसे में मंत्रालयों की नीतियां भी एक दूसरे से अलग।* एकीकृत ऊर्जा नीति में समानता के लिए पहल, केबिनेट की दिसम्बर, 08 में इस नीतिगत दस्तावेज को मंजूरी।
प्रधानमंत्री संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दूसरी बार सत्ता में आने के बाद मंगलवार को योजना आयोग की पहली पूर्ण बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वैश्विक मंदी के बाद स्थिति में अब सुधार हो रहा है।
हाल के महीने कठिन रहे हैं। ऊर्जा सुरक्षा दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिस पर गौर किए जाने की आवश्यकता है। आर्थिक वृद्धि के लिए ऊर्जा काफी महत्व रखती है और यही एक ऎसा क्षेत्र है जहां घरेलू अर्थव्यवस्था काफी घाटे में है। पेट्रोलियम पदार्थो की जरूरतों को पूरा करने के लिए 70 प्रतिशत तक आयात होता है। कोयले के भण्डार भी लगातार घटते जा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने योजना आयोग से 'एकीकृत ऊर्जा नीति' के क्रियान्वयन पर ध्यान देने की हिदायत दी।
डा. सिंह ने कहा कि 11वीं पंचवर्षीय योजना का आधा समय बीत चुका है। वैश्विक आर्थिक मंदी के कठिन दौर और साथ ही मानसून की बेरूखी को देखते हुए योजना आयोग के लिए जरूरी हो गया है कि वह आयोग के मंत्री सदस्यों को देश के आर्थिक हालात से पूरी तरह अवगत कराए।
स्वीकृत ऊर्जा नीति को लागू करने की दिशा में प्रगति हुई है। इस बात का लेखा जोखा लिया जाएगा कि स्वीकृत ऊर्जा नीति के सुझावों को लागू करने के लिए और क्या किया जाना चाहिए। -मोंटेक सिंह अहलूवालिया योजना आयोग के उपाध्यक्ष
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा* मौसम में बदलाव के खतरों के मद्देनजर तर्कसंगत ऊर्जा नीतियां काफी महत्वपूर्ण।* ऊर्जा से जुडे विभाग अलग-अलग मंत्रालयों के अधीन, ऎसे में मंत्रालयों की नीतियां भी एक दूसरे से अलग।* एकीकृत ऊर्जा नीति में समानता के लिए पहल, केबिनेट की दिसम्बर, 08 में इस नीतिगत दस्तावेज को मंजूरी।
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