Wednesday, September 16, 2009

दक्षिण मुम्बई:दलित-मुस्लिम 'पंजे' से मिला सकते हैं हाथ

इस क्षेत्र में भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) जहां भौतिक ऊर्जा का केंद्र है तो बाबा मखदूम की मजार आध्यात्मिक ऊर्जा का स्त्रोत है। एशिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी धारावी इस क्षेत्र की खास पहचान है। हालांकि कराची की झोपड़पट्टी ने अब धारावी को पीछे छोड़ दिया है। शहर के विभिन्न योजना से प्रभावितों के पुनर्वास के लिए बनी प्रतीक्षा नगर की बस्ती भी इसी क्षेत्र में है जहां प्रतीक्षा करते करते लोगों की दो पीढ़ियां बीत गई हैं और उन्हें मकान अब तक नहीं मिले हैं। अब यहां के ट्रांजिट कैंप ही उनका संसार हो गया है। दलित, मुस्लिम और दक्षिण भारतीय लोगों की आबादी वाले क्षेत्र में कांग्रेस की पकड़ पहले से ही मजबूत रही है। गत लोकसभा चुनाव में भी यहां से कांग्रेस की जीत पक्की मानी जा रही थी। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को छह में से पांच सीटों पर तगड़ी लीड मिली है। माहिम विधानसभा में दादर का क्षेत्र जुड़ा होने से शिवसेना ने यहां से स्कोर किया था। कुछ सीटों पर पार्टियों के उम्मीदवार लगभग तय हैं लेकिन दो सीटों पर कांग्रेस में घमासान है। अणुशक्ति नगर: नई बनी इस सीट पर कांग्रेस से गठबंधन के तहत एनसीपी ने दावा किया है ताकि श्रम मंत्री नवाब मलिक का टिकट पक्का किया जाए। मलिक की नेहरू नगर सीट डीलिमिटेशन में समाप्त होने पर उनके और पार्टी के समक्ष समस्या पैदा हो गई है। एनसीपी में मुस्लिम चेहरे को बरकरार रखने और मलिक जैसे प्रभावी विधायक को पार्टी कहीं न कहीं से चुनाव लड़वाना चाहती है। कांग्रेस से नगर सेवक वेलू स्वामी नायडू और राजेंद्र मेहुरकर ने टिकट मांगा है। शिवसेना की तरफ से राहुल शेवाले का नाम लगभग तय माना जा रहा है। चेंबुर: बीजेपी के दिवंगत नेता हशु आडवाणी ने इस क्षेत्र का लंबे समय तक प्रतिनिधित्व किया है और अब कांग्रेस के दलित नेता और समाज कल्याण मंत्री तथा पूर्व मेयर चंद्रकांत हंडोरे यहां से विधायक हैं। उनका टिकट इस बार भी पक्का माना जा रहा है। बीजेपी से सदाशिव लोखंडे या कांता नलावडे उम्मीदवार हो सकती हैं। धारावी (एससी): गायकवाड़ परिवार इस क्षेत्र में अपनी जड़ें जमा चुका है। एकनाथ गायकवाड सांसद हैं तो उनकी बेटी वर्षा गायकवाड़ विधायक हैं। वर्षा पर दूसरी बार भी टिकट के बाद मतों की वर्षा होने की संभावना है। हाल ही में शिवसेना में शामिल हुए सिंगर अभिजीत सावंत शिवसेना के उम्मीदवार हो सकते हैं क्योंकि वे माहिम पूर्व के ही रहने वाले भी हैं। सायन-कोलीवाडा: कांग्रेस में इस सीट पर सबसे अधिक मारामारी है। विधायक जगन्नाथ शेट्टी सहित आधा दर्जन नगर सेवकों ने यहां से टिकट मांगा है। उपेंद्र दोशी, रवि राजा, मनपा सदन में विपक्ष के नेता राजहंस सिंह और वीरेंद्र उपाध्याय ने अपनी दावेदारी पेश की है। शेट्टी का टिकट इस बार कटता नजर आता है क्योंकि श्री गायकवाड के साथ उनके रिश्ते मधुर नहीं हैं और टिकट के अन्य दावेदारों ने इनकी सेहत का मुद्दा भी उठाया है। बीजेपी की महिला नेता मनीषा कायंदे बीजेपी की उम्मीदवार हो सकती हैं। वडाला: नई बनी इस सीट पर भी कांग्रेस और एनसीपी में विवाद है। एनसीपी बीएमसी में अपने नेता नियाज अहमद वनू के लिए यह सीट चाहती है, जबकि नारायण राणे अपने समर्थक कालिदास कोलंबकर के लिए कांग्रेस से यह सीट रखने को कह रहे हैं। कोलंबकर शिवसेना से कांग्रेस में आए हैं और नायगांव से विधायक हैं। नायगांव सीट अब समाप्त हो चुकी है। शिवसेना से मनसे में और मनसे से फिर शिवसेना में आए दिगंबर कांडरकर शिवसेना के उम्मीदवार हो सकते हैं। माहिम: दादर सीट के समाप्त होने पर बनी नई माहिम सीट पर गत लोकसभा चुनाव में शिवसेना के सुरेश गंभीर को लीड मिली थी। उनके बारे में कहा जाता है कि उन्हें माहिम के मुस्लिम इलाकों से भी मत मिलते हैं। यदि पाटीर् उन्हें विधायक का टिकट भी दे दे तो आश्चर्य नहीं है। शिवसेना में विधायक सदा सरवणकर और पूर्व मेयर विशाखा राऊत भी टिकट के दावेदार हैं। शिवसेना में इस सीट को लेकर मारामारी है। मेयर की दावेदार रहीं नगर सेवक स्नेहल जाधव का नाम भी पार्टी में विचाराधीन है। विवाद यदि बढ़ता है तो विधान परिषद सदस्य दिवाकर रावते को शिवसेना का टिकट मिल सकता है। मराठी बहुल माहिम की सीट पर एमएनएस भी अपनी पकड़ बनाना चाहती है। यहां से राज ठाकरे के बिजनेस पार्टनर नितिन सरदेसाई को टिकट मिलने की संभावना है लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं में विभाग प्रमुख यशवंत किलेदार के नाम की चर्चा है।


एमएनएस को वोट देने वाले पछता रहे हैं: मनोहर जोशी
शिवसेना के वरिष्ठ नेता मनोहर जोशी ने कहा है कि पिछले लोकसभा चुनाव में जिन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को वोट दिए थे उन्हें अब पछतावा हो रहा है और अब वे पुन: शिवसेना की ओर रुख कर रहे हैं। मुंबई मराठी पत्रकार संघ की ओर से आयोजित 'जागर महाराष्ट्राचा 2009' कार्यक्रम के दौरान आयोजित चर्चा में वे अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र की राजनीति में पुन: लौटने की मेरी इच्छा नहीं है, इसीलिए मैं शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे से प्रार्थना करूंगा कि वे विधानसभा चुनाव में शिवसेना-बीजेपी की जीत के बाद शिवसेना के कार्याध्यक्ष उद्धव ठाकरे को ही महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनायें। जोशी ने कहा कि उद्धव ठाकरे को शहरी मतदाताओं के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी जबरदस्त प्रतिसाद मिल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि एमएनएस के साथ गठबंधन करने के बारे में शिवसेना सोच भी नहीं सकती। उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण के बारे में युति की सरकार राज्य में सत्ता में आने के बाद निर्णय करेगी। उन्होंने यह भी विचार व्यक्त किया कि शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे शिवाजी पार्क या ठाणे में एक सभा को संबोधित कर सकते हैं। गुहागर की सीट पर शिवसेना बीजेपी में अलग अलग राय है पर यह समस्या जल्द ही हल हो जाएगी। ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल की सुविधा, हर गांव में शौचालयों का निर्माण, शिक्षा की सुविधा मुहैया कराना आदि कार्य हम सत्ता में आने के बाद करेंगे।

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