अजमेर। जिला प्रमुख सरिता गैना बुधवार को जिला परिषद की साधारण सभा में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर गई। कांग्रेस सदस्यों ने उन पर जमकर हमला बोला। खास बात यह रही कि भाजपा के सदस्य उनके बचाव में खडे तक नहीं हुए। खुद जिला प्रमुख भी काफी देर तक सिर झुकाए बैठी रहीं।
परिषद सभागार में बुधवार को आयोजित साधारण सभा की बैठक असाधारण रही। कांग्रेस सदस्यों ने जिला प्रमुख सरिता गैना पर घूस खाने के खुलकर आरोप लगाए। आरोपों का आधार दसवें वित्त आयोग व राज्य वित्त आयोग की धनराशि थी।
आरोप लगा कि गैना ने इन योजनाओं की धनराशि को जिला परिषद के वार्डोü में समान वितरण नहीं किया। कांग्रेस के मूलसिंह राठौड ने सबसे ज्यादा निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि गैना ने तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी से मिलीभगत कर चहेते सदस्यों के वार्डोü में पैसों की बंदरबांट कर ली। जिन सरपंचों ने कमीशन दिया वह निहाल हो गए।
'अंधा बांटे रेवडी फिर-फिर अपने को देय' वाली स्थिति बना दी गई। अन्य सदस्य वार्ड में काम के लिए तरस गए। भाजपा से कांग्रेस में आए श्रवण सिंह रावत ने भी भाजपाई जिला प्रमुख की बखिया उधेडने में कसर नहीं छोडी। उन्होंने आरोप लगाया कि पांच साल का बजट कहां बंट गया! जिला परिषद के वार्डों में गया हो तो बताएं! कई जिला परिषद सदस्यों के वार्डों में तो एक धेला नहीं मिला! कांग्रेस के कुन्दन सिंह रावत, जसराज चौधरी, लक्ष्मीनारायण कुमावत आदि ने घूस लेकर कार्य करने के आरोप लगाए।
जब सदस्य आरोप लगाते रहे तब जिला प्रमुख सिर झुकाए चुप्पी साधे बैठी रहीं। सारा नजारा देख रही प्रमुख ने इन आरोपों पर मुंह तक नहीं खोला। भाजपा का एक भी सदस्य उनके बचाव में खडा नहीं हुआ। बल्कि वे कांग्रेस की ओर से लगाए जा रहे आरोपों पर चटखारे लेते देखे गए।
अफसर जरूर जिला प्रमुख का बचाव करने के जतन करते रहे। इस दरमियान कांग्रेस विधायक नाथूराम सिनोदिया, महेन्द्र गुर्जर और नसीम अख्तर इंसाफ मुस्कराते रहे। सदस्यों के अड जाने पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी पी.आर.पंडत ने दोनों योजना में वर्षवार आए बजट और खर्च की जानकारी देने का प्रयास किया। उन्हें सदस्यों ने टोक दिया।
उन्होंने कहा कि वार्डवार हिसाब दीजिए। जसराज चौधरी ने कहा कि पैसा कहां मंजूर किया, जगह बताएं, टालमटोल वाला जवाब नहीं चलेगा। श्रवणसिंह, जसराज, कुन्दन सभी सदस्यों के अड जाने पर अफसरों ने पूर्ण विवरण तैयार कर जवाब देने का आश्वासन देकर पिंड छुडवाया।
परिषद सभागार में बुधवार को आयोजित साधारण सभा की बैठक असाधारण रही। कांग्रेस सदस्यों ने जिला प्रमुख सरिता गैना पर घूस खाने के खुलकर आरोप लगाए। आरोपों का आधार दसवें वित्त आयोग व राज्य वित्त आयोग की धनराशि थी।
आरोप लगा कि गैना ने इन योजनाओं की धनराशि को जिला परिषद के वार्डोü में समान वितरण नहीं किया। कांग्रेस के मूलसिंह राठौड ने सबसे ज्यादा निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि गैना ने तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी से मिलीभगत कर चहेते सदस्यों के वार्डोü में पैसों की बंदरबांट कर ली। जिन सरपंचों ने कमीशन दिया वह निहाल हो गए।
'अंधा बांटे रेवडी फिर-फिर अपने को देय' वाली स्थिति बना दी गई। अन्य सदस्य वार्ड में काम के लिए तरस गए। भाजपा से कांग्रेस में आए श्रवण सिंह रावत ने भी भाजपाई जिला प्रमुख की बखिया उधेडने में कसर नहीं छोडी। उन्होंने आरोप लगाया कि पांच साल का बजट कहां बंट गया! जिला परिषद के वार्डों में गया हो तो बताएं! कई जिला परिषद सदस्यों के वार्डों में तो एक धेला नहीं मिला! कांग्रेस के कुन्दन सिंह रावत, जसराज चौधरी, लक्ष्मीनारायण कुमावत आदि ने घूस लेकर कार्य करने के आरोप लगाए।
जब सदस्य आरोप लगाते रहे तब जिला प्रमुख सिर झुकाए चुप्पी साधे बैठी रहीं। सारा नजारा देख रही प्रमुख ने इन आरोपों पर मुंह तक नहीं खोला। भाजपा का एक भी सदस्य उनके बचाव में खडा नहीं हुआ। बल्कि वे कांग्रेस की ओर से लगाए जा रहे आरोपों पर चटखारे लेते देखे गए।
अफसर जरूर जिला प्रमुख का बचाव करने के जतन करते रहे। इस दरमियान कांग्रेस विधायक नाथूराम सिनोदिया, महेन्द्र गुर्जर और नसीम अख्तर इंसाफ मुस्कराते रहे। सदस्यों के अड जाने पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी पी.आर.पंडत ने दोनों योजना में वर्षवार आए बजट और खर्च की जानकारी देने का प्रयास किया। उन्हें सदस्यों ने टोक दिया।
उन्होंने कहा कि वार्डवार हिसाब दीजिए। जसराज चौधरी ने कहा कि पैसा कहां मंजूर किया, जगह बताएं, टालमटोल वाला जवाब नहीं चलेगा। श्रवणसिंह, जसराज, कुन्दन सभी सदस्यों के अड जाने पर अफसरों ने पूर्ण विवरण तैयार कर जवाब देने का आश्वासन देकर पिंड छुडवाया।
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