चुनावी रंग में रंगे पूरे माहौल में हर कोई नेता सरीखा दिखने की चाहत रखता है। सफेद पौशाक और चमचमाते ब्रांडेड जूतों की अचानक बढ़ी मांग इसी ओर इशारा करती है। एक जैसी दिखने वाली इन पोशाकों के कारण जनसभाओं, रैलियों और दौरों में कार्यकर्ताओं, समर्थकों और नेताओं के बीच फर्क करना मुश्किल हो गया है। बात सही भी है, गरमाते चुनावी माहौल में नेता खादी का कुर्ता-पायजामा न पहने तो बात जमती नहीं। इसी वजह से पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं ने महीने भर पहले से ही खादी की खरीद शुरू कर दी थी।
विधानसभा चुनावों में क्रेज ज्यादा
लोकसभा चुनाव की बजाय विधानसभा चुनाव में खादी का क्रेज अधिक दिखाई दे रहा है। नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने खादी भंडारों व थोक विक्रेताओं से खद्दर के पूरे थान खरीदकर कई-कई जोड़ी कुर्ते-पायजामे सिलवा लिए हैं। यह प्रक्रिया महीने भर से चल रही है। कई नेता तो टिकट मिलने से पहले ही चार-पांच जोड़ी कपड़ों की सिलवा चुके हैं। नेताओं ने जहां अधिकतर कुर्ता-पायजामा पहली पसंद है, वहीं युवा नेताओं की पसंद में सफारी सूट व पेंट-शर्ट भी शुमार है।
बढ़ी है 15 प्रतिशत सेल
रेलवे रोड स्थित हिसार खादी आश्रम इकाई सचिव जसवंत सिंह अनुसार गत वर्ष की तुलना में खद्दर की बिक्री में 15 से 20 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष अप्रैल से लेकर अगस्त तक 21 लाख 38 हजार रुपए के खद्दर की बिक्री हुई थी। इस वर्ष अप्रैल से अगस्त तक की बिक्री 24 लाख 47 हजार तक पहुंच गई है। सितंबर माह की रिपोर्ट आनी बाकी है। इस माह में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बिक्री में काफी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बताया कि हिसार खादी आश्रम इकाई संस्था की हांसी, जींद, सफीदो, बरवाला, आदमपुर, सिवानी, मोती बाजार आदि में भी ब्रांच हैं। इन ब्रांचों में भी सेल बढ़ी है।
लोस में 20 तो विस में बढ़ी 40 प्रतिशत सेल
किसान खादी भंडार सचिव संजय गोदारा अनुसार लोकसभा चुनाव में जहां खादी कपड़ों की सेल में रूटीन की तुलना में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी, वहीं विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह आंकड़ा 40 प्रतिशत को पार कर गया है। उन्होंने बताया कि पार्टी के लिडिंग वर्करों ने तो थानों के हिसाब से कपड़ा खरीदा है। अब तक सेल हुए कपड़े में करीब 90 प्रतिशत मसलिन खादी(बंगाल की मलमल जैसा कपड़ा) की सेल हुई है। इसके अलावा सफारी सूट व पेंट शर्ट के लिए पोली वस्त्र भी बिक रहा है।
लोकसभा चुनाव में गर्मी की वजह से अंगोछा(घमछा) की खूब सेल हुई थी। विधानसभा में भी घमछा की बिक्री है, किंतु लोकसभा की तुलना में कम है। उन्होंने बताया कि अब तक खादी पर मात्र दस प्रतिशत छूट(रिबेट) के बावजूद इतनी बिक्री बढ़ी है तो, दो अक्टूबर से होने वाली करीब 30 प्रतिशत रिबेट के बाद तो बिक्री में काफी उछाल आएगा।
दो गुना हुई बढ़ोतरी
न्यू क्लोथ मार्केट सचिव चितरूमल गोयल ने बताया कि सफेद खद्दर की दोगुनी सेल हो रही है। इस बार सिंतबर माह में तापमान अधिक होने के कारण फील्ड वर्करों ने अंगोछे भी खूब खरीदे हैं। सफारी सूट व पेंट शर्ट के लिए लीलन सूट की डिमांड बहुत है।
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