बिजली और सूखे की समस्या से जूझ रहे कोटा-बूंदी के किसानों ने राज्य सरकार को जगाने लिए 30 सितम्बर को कोटा कलक्ट्रेट पर महापंचायत करने का ऎलान किया है। यदि सरकार का रूख सकारात्मक नहीं रहा तो महापंचायत महापडाव में तब्दील हो जाएगी। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि पूरी बिजली नहीं मिली तो गांवों में मंत्रियों को घुसने नहीं देंगे।
विधायक ओम बिडला के नेतृत्व में रविवार को पंजाब सभा भवन में कोटा-बूंदी के किसानों की बैठक में राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन की रणनीति तैयार की गई। बैठक में करीब 200 गांवों के किसान प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
बैठक में बिडला ने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले गांवों को 8 घंटे बिजली देने का वादा किया था, लेकिन तीन घंटे भी बिजली नहीं मिल रही है। यह हालत तब है जब छह माह में करीब 500 मेगावाट बिजली उत्पादन बढा है। खरीफ के बाद अब रबी की फसलों के लिए भी बिजली-पानी का संकट खडा हो गया हैं।
नहरों में 45 दिन का पानी छोडे जाने की बात की जा रही है, जबकि 90 दिन से कम पानी प्रवाहित करने पर फसलें चौपट हो जाएंगी। गांवों की तरह सचिवालय, मुख्यमंत्री के आवास और दफ्तर में भी बिजली की कटौती होनी चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार को किसानों की परवाह नहीं है। मंत्री वातानुकूलित कारों में घूम रहे हैं। अधिकारियों- कर्मचारियों को मोटा वेतन मिल रहा है, जबकि गरीब किसानों को मरने के लिए छोड दिया है।
जनता सिखाएगी सबकबिडला ने कहा कि सरकार यह नहीं सोचे कि किसानों को अभी चिल्लाने दें। चार साल बाद पूरी बिजली दे देंगे और सत्ता में आ जाएंगे। किसानों की परवाह नहीं करने वाली सरकार को जनता ऎसा सबक सिखाएगी कि गांवों में कांग्रेस के नेताओं को पूछने वाला तक नहीं रहेगा।
पहले लाठी हम खाएंगेबूंदी के विधायक अशोक डोगरा ने कहा कि महापडाव के दौरान लाठी खाने की नौबत आई तो पहले हम लाठी खाएंगे, जरूरत पडी तो जेल भी जाएंगे। किसान तय कर लें कि मांगें पूरी होने से पहले किसी भी सूरत में घर वापस नहीं जाएं।
आटा-दाल साथ लाएंभाजपा नेता हीरालाल नागर ने कहा कि किसान टै्रक्टर-ट्रॉली में आटा, दाल और र्ईधन साथ लेकर आएं। घर की जिम्मेदारी किसी अन्य सदस्य को सौंपकर आए, क्योंकि महापडाव लम्बा भी चल सकता है। उन्होंने कहा कि किसानों को चुने गए जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का हक भी मिलना चाहिए।
बैठक में कैथून नगरपालिका अध्यक्ष योगेन्द्र नंदवाना, पूर्व सांसद गोपाल पचेरवाल, खैराबाद के प्रधान दिनेश भण्डारी, भाजपा बूंदी के पूर्व जिलाध्यक्ष कुंजबिहारी बील्या, लाखेरी के पार्षद ललित श्रीमाली सहित कई भाजपा नेता उपस्थित थे।
विधायक ओम बिडला के नेतृत्व में रविवार को पंजाब सभा भवन में कोटा-बूंदी के किसानों की बैठक में राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन की रणनीति तैयार की गई। बैठक में करीब 200 गांवों के किसान प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
बैठक में बिडला ने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले गांवों को 8 घंटे बिजली देने का वादा किया था, लेकिन तीन घंटे भी बिजली नहीं मिल रही है। यह हालत तब है जब छह माह में करीब 500 मेगावाट बिजली उत्पादन बढा है। खरीफ के बाद अब रबी की फसलों के लिए भी बिजली-पानी का संकट खडा हो गया हैं।
नहरों में 45 दिन का पानी छोडे जाने की बात की जा रही है, जबकि 90 दिन से कम पानी प्रवाहित करने पर फसलें चौपट हो जाएंगी। गांवों की तरह सचिवालय, मुख्यमंत्री के आवास और दफ्तर में भी बिजली की कटौती होनी चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार को किसानों की परवाह नहीं है। मंत्री वातानुकूलित कारों में घूम रहे हैं। अधिकारियों- कर्मचारियों को मोटा वेतन मिल रहा है, जबकि गरीब किसानों को मरने के लिए छोड दिया है।
जनता सिखाएगी सबकबिडला ने कहा कि सरकार यह नहीं सोचे कि किसानों को अभी चिल्लाने दें। चार साल बाद पूरी बिजली दे देंगे और सत्ता में आ जाएंगे। किसानों की परवाह नहीं करने वाली सरकार को जनता ऎसा सबक सिखाएगी कि गांवों में कांग्रेस के नेताओं को पूछने वाला तक नहीं रहेगा।
पहले लाठी हम खाएंगेबूंदी के विधायक अशोक डोगरा ने कहा कि महापडाव के दौरान लाठी खाने की नौबत आई तो पहले हम लाठी खाएंगे, जरूरत पडी तो जेल भी जाएंगे। किसान तय कर लें कि मांगें पूरी होने से पहले किसी भी सूरत में घर वापस नहीं जाएं।
आटा-दाल साथ लाएंभाजपा नेता हीरालाल नागर ने कहा कि किसान टै्रक्टर-ट्रॉली में आटा, दाल और र्ईधन साथ लेकर आएं। घर की जिम्मेदारी किसी अन्य सदस्य को सौंपकर आए, क्योंकि महापडाव लम्बा भी चल सकता है। उन्होंने कहा कि किसानों को चुने गए जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का हक भी मिलना चाहिए।
बैठक में कैथून नगरपालिका अध्यक्ष योगेन्द्र नंदवाना, पूर्व सांसद गोपाल पचेरवाल, खैराबाद के प्रधान दिनेश भण्डारी, भाजपा बूंदी के पूर्व जिलाध्यक्ष कुंजबिहारी बील्या, लाखेरी के पार्षद ललित श्रीमाली सहित कई भाजपा नेता उपस्थित थे।
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