पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल का कहना है कि हरियाणा में वोट नेता के नाम पर मिलते हैं, गठबंधनों के नाम पर नहीं। भजन को अपने बेटे कुलदीप की पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस के बसपा से गठबंधन और भाजपा से तालमेल के प्रयास सिरे नहीं चढ़ने का कोई रंज नहीं है। उनका मानना है कि विस चुनाव उनकी पार्टी के लिए बहुत बढ़िया रहेगा और कुलदीप सारे मामले को जमा देंगे।
चार दशकों से परंपरागत गढ़ आदमपुर का हिस्सा रहा चौधरीवास गांव अब नलवा विस क्षेत्र में हैं और यहां से भजन की पत्नी जसमा देवी हजकां टिकट पर मैदान में हैं। गांव में प्रचार के लिए जसमा और कुलदीप के साथ आए भजनलाल बेशक बोलते बहुत कम हैं लेकिन उनकी मौजूदगी मात्र ही गांव के लोगों में जोश भरने को काफी है।
दैनिक भास्कर द्वारा 80 साल की उम्र में इतनी मेहनत और थकान के सवाल पर भजन झपटकर बोले अभी 80 का नहीं केवल 79 का हुआ हूं। फिर अपने लोगों से मिलने-मिलाने में थकावट कैसी? मैं तो इनके पास आता रहता हूं। चुनाव के मुद्दों से भी भजन अनभिज्ञ नहीं हैं। चार दौर की अलग-अलग बातचीत में उन्होंने कहा कि प्रदेश में बिजली, पानी, रोजगार का अभाव, बिगड़ती कानून व्यवस्था, महंगाई और क्षेत्रवाद जैसे कितने ही मसले हैं, जिन्हें उनकी पार्टी जनता के बीच ले जाएगी।
भजन का नलवा और आदमपुर के लोगों पर पुराना भरोसा पूरी तरह कायम है। पूछने पर कहते हैं मेरे लिए ये विधानसभा क्षेत्र नहीं, बल्कि एक परिवार हैं। 40 साल से मैं इनकी सेवा में हूं और चुनाव के बाद मेरा बेटा और पत्नी इनकी सेवा करेंगे। वे कहते हैं कि दो दिन बाद पूरे हरियाणा में प्रचार के लिए कुलदीप के साथ जा रहा हूं, हलके को संभालना आपकी जिम्मेदारी है।
साढ़े चार बजे उठना नहीं भूलते
79 वर्ष की आयु में भजन बेशक ज्यादा बोल नहीं पाते हों, लेकिन उनकी दशकों पुरानी दिनचर्या जस की तस कायम है। रात को 11 बजे सोने के बाद सुबह साढ़े चार बजे ही उठ जाते हैं। लोगों से मेलजोल के लिए सेक्टर 15 स्थित अपने आवास से 6 बजे ही बाहर आ जाते हैं। कुछ देर अखबार पढ़वाने के बाद तैयार होने लगते हैं और आठ बजे तक पहले कार्यक्रम में रवाना हो जाते हैं। दोपहर में घंटा भर विश्राम की उनकी आदत भी जस की तस है।
भाषण देने की बजाय महिलाओं के बीच रहती हैं जसमा देवी
नलवा विस क्षेत्र से हजकां प्रत्याशी और पूर्व विधायक जसमा देवी ने अपने अब तक के प्रचार में मंच से कोई भाषण नहीं दिया है। वे भजन और बेटे कुलदीप के साथ मंच पर जाती अवश्य हैं, लेकिन लोगों का अभिवादन स्वीकार करने के अलावा केवल महिलाओं और बच्चों से मिलकर कुशलक्षेम पूछती हैं। बिश्नोई समुदाय की परंपरा के मुताबिक, महिलाएं बुजुर्गो और पति की मौजूदगी में भाषणबाजी से परहेज करती हैं और जसमा इस सामाजिक रीत को निभा रही हैं।
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