राजस्थान भाजपा में अंतरविरोध के चलते शेष रही 100 सीटो पर प्रत्याशियों की घोषणा नहीं हो पाई। इसकी मुख्य वजह भाजपा नेताओं में आम सहमति नहीं बनना है। भाजपा में टकराव के हालात हैं लेकिन पार्टी नेता समझदार हैं और वे गलत विषय पर नहीं खड़े होना चाहें तो विवाद का कोई कारण नहीं बनेगा। मुख्य बात यह है कि कार्यकर्ताओं और छोटे-मझौले नेताओं के नामों पर अधिक विवाद नहीं है। विवाद वहां अधिक गहरा है जहां मंत्री और पदाधिकारी सीट चाहते हैं। इनमें भी शहरी सीटें अधिक हैं। और, खास बात यह भी है कि जिन सीटों पर विवाद है वहां भाजपा का जीतना भी सरल नहीं है और न पार्टी के पास सर्वसम्मित नाम है।अभी तक 200 में से करीब तीन चौथाई सीटों पर एकल पैनल पर सहमति होने का दावा कर रही भाजपा अपनी पहली सूची में सिर्फ 95 नाम ही घोषित कर पाई। लंबे विचार-िवमर्श और मशक्कत के बावजूद 105 सीटों पर पेंच बना हुआ है। इसमें जयपुर शहर की भी 6 सीटों पर निर्णय होना भी बाकी है। मैराथन चर्चा के बावजूद अभी भी पार्टी नेताओं में आधी से अधिक सीटों पर आमराय नहीं बन सकी है।जयपुर में हुई प्रदेश चुनाव समिति की बैठक के बाद महासचिव गोपीनाथ मुंडे एवं प्रदेश अध्यक्ष ओम माथुर ने दावा किया था कि करीब 145 सीटों पर एक नाम पर राय बन गई है। कल जब नई दिल्ली में केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद सूची जारी की गई तो उसमें सिर्फ 95 नाम शामिल थेऔर 105 सीटों को छोड़ दिया गया। इससे साफ हो गया है कि पार्टी में अभी प्रत्याशियों के चयन को लेकर भारी-कशमकश है। इससे पूर्व जयपुर के बाद नई दिल्ली में राजस्थान की राजनीतिक गतिविधियें का केन्द्र बने पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रामदास अग्रवाल के सरकारी आवास पर हुए दो दिन के लंबे मंथन के बाद उतने नामों की घोषणा नहीं हो सकी जितनी का दावा किया जा रहा था। पार्टी नेता इन पर एक राय बनाने में नाकामयाब रहे। माना जा रहा है कि अब दूसरी सूची 13 नवम्बर तक घोषित की जाएगी।इन 22 सीटों पर है विवादश्रीगंगानगर, जालौर, आहोर, बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, सूरसागर, फलौदी, केकड़ी, चितौड़गढ़, रतनगढ़, झुंझुनूं, नवलगढ़, पिलानी, दांतारामगढ़, श्रीमाधोपुर, हवामहल, किशनपोल, झोटवाड़ा, चौमूं, आमेर, सिविल लाइंस।
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