Thursday, November 13, 2008

कांटे का मुकाबला होगा 45 सीटो पर

विधानसभा चुनावों में इस बार भाजपा के साथ कांग्रेस के लिए 200 में से 45 सीटें खासी मशक्कत भरी रहने वाली हैं। प्रदेश में 23 सीटें ऐसी हैं जिन पर भाजपा को एक बार भी जीत नसीब नहीं हो पाई है, वहीं 27 सीटें ऐसी हैं जिन पर गत विधानसभा चुनावों में भाजपा ने पहली बार जीत दर्ज की थी। ऐसे में दोनों ही दलों के लिए सत्ता वापसी के इन सीटों पर कब्जा करना बेहद जरूरी हो गया है।इन 50 सीटों में 5 सीटें परिसीमन में अब समाप्त हो गई हैं, लेकिन शेष सीटें प्रदेश की सत्ता की दिशा तय करेंगी। भाजपा ने गत विधानसभा चुनावों में 27 सीटों पर पहली बार फतह हासिल की थी। इन सीटों में टिब्बी, संगरिया, गंगानगर, कुम्हेर, कामां, भीम, नागौर, ओसियां, लालसोट, फलासियां, बिलाड़ा, चौहटन, बाड़मेर, खैरवाड़ा, आहोर, लाडनूं, मूंडवा, जहाजपुर, जायल, बयाना और केसरीसिंहपुर शामिल हैं। इनमें से टिब्बी, कुम्हेर और फलासियां विधानसभा सीट अब समाप्त हो गई हैं।इसी के साथ 23 सीटों को आज तक भाजपा कांग्रेस अथवा अन्य दलों से नहीं छीन पाई है। इन सीटों में भादरा, नोहर, तारानगर, पिलानी, नवलगढ़, मंडावा, धोद, दांतारामगढ़, खंडेला, तिजारा, लक्ष्मणगढ़, कठूमर, भरतपुर, नदबई, गुढ़ामलानी, डूंगपुर, बागीदोरा, दानपुर, नसीराबाद, भोपालगढ़ तथा डेगाना शामिल हैं। इनमें से दानपुर और लक्ष्मणगढ़ सीट परिसीमन के बाद समाप्त हो गई है।ऐसे में ये 45 सीट भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए खासी महत्वपूर्ण रहने वाली हैं। यदि भाजपा गत बार पहली बार जीती 24 सीटें बचा पाईं और अभी तक खाता नहीं खोल पाई सीटों पर सेंधमारी में कामयाब रही तो पार्टी के लिए इस बार भी सत्ता वापसी की राह आसान हो सकती है और यदि इसके उलट स्थिति रही तो कांग्रेस को खासा फायदा होगा।इसी कारण से भाजपा की ओर से इन सीटों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है तथा पार्टी संगठन को भी इन सीटों पर खासा सक्रिय किया गया है। इसी तरह कांग्रेस भी इन सीटों को सेंटर मान कर चुनावी रणनीति बनाने में जुटी है। भाजपा की ओर से इन सीटों के लिए गुजरात पैटर्न पर व्यूहरचना तैयार की जा रही है। वहीं कांग्रेस मजबूत उम्मीदवार और जातिगत समीकरणों को आधार बनाकर चुनावी वैतरणी पार करने के प्रयासों में जुटी है।

No comments: