Wednesday, January 14, 2009

108 नम्बर में भी किया घोटाला

सत्यम के मुखिया वी रामलिंग राजू की समाज सेवा का बहुत डंका पीटा गया था। उनकी इमरजेंसी मैनेजमेंट एंड रिसर्च इंस्टीटयूट नाम की संस्था सत्यम के पैसे पर एनजीओं की तरह स्थापित हुई थी लेकिन कम से कम हैदराबाद में इसने सरकारी खर्चे पर अपना नाम कमाया।सूचना के अधिकार के तौर पर मिली जानकारी के आधार पर पता चला है कि आंध्र प्रदेश में और खास तौर पर हैदराबाद में इस एनजीओं ने एंबुलेंस सेवा शुरू की थी और प्रचार किया था कि 108 पर नंबर पर फोन करने पर मुफ्त एंबुलेंस सेवा उपलब्ध करवाई जाएगी।इन एंबुलेंसों के चलाने और रखरखाव के लिए पहले आंध्र प्रदेश सरकार ने 14 हजार रूपए प्रति एंबुलेंस प्रतिमाह का खर्चा मंजूर किया था मगर बाद में यह खर्चा 65 हजार रूपए प्रति माह और उसके बाद 1 लाख 20 हजार रूपए प्रति माह प्रति एंबुलेंस कर दिया गया। इसके बाद राजू ने 12 और राज्यों में इन्हीं शर्तों पर एंबुलेंस सेवा शुरू की। आंध्र प्रदेश का उदाहरण देकर हर जगह उन्हीं शर्तों पर पैसा मिला। सर्वोच्च न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका के अनुसार इस तरह राजू ने राज्य सरकारों को 5400 करोड़ रूपए का चूना लगाया।सत्यम घोटाले से ही जुड़ी एक सनसनीखेज खबर यह भी है कि इस घोटाले में अभियुक्त के तौर पर वांछित सत्यम के अंतरिम सीईओ म्यानमपति अमेरिका भाग गए हैं। जांच एजेंसियों को संदेह हैं कि म्यानमपति फरार रहेंगे और राजू उन पर ज्यादातर आरोप मढ़ कर जमानत पाने में और शायद छूट जाने में भी कामयाब होंगे। अब अमेरिका के नागरिक राम म्यानमपति के बारे में यह भी पता चला है कि घोटाला उजागर होने के ठीक पहले उन्होंने सत्यम के ढाई लाख अमेरिकी तथा सात लाख भारतीय शेयर बेचे थे। वे सत्यम के डायरेक्टर थे और इसलिए इतनी बड़ी बिक्री राजू की मर्जी के बगैर नहीं हो सकती थी। मूलत: आंध्र प्रदेश के रहने वाले म्यानमपति 17 साल कंपनी में रहे और इन्होंने कंपनी के सारे अच्छे बुरे के बारे में पता था।

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