कल्याण सिंह ने पहले ही साबित कर दिया था कि वे भाजपा के लिए तब तक मुसीबत बने रहेंगे जब तक उन्हें पर्याप्त महत्व नहीं दिया जाता।पहले अशोक प्रधान के टिकट को लेकर और फिर उमा भारती का साथ देकर कल्याण सिंह ने भाजपा नेतृत्व के सामने बहुत सारे सवाल उठाए थे। इसके बाद उन्होंने पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से कह दिया था कि अगर उत्तर प्रदेश की राजनीति में सारे फैसले दिल्ली से होते रहेंगे तो उनके सहयोग की उम्मीद करना बेकार है। कल्याण सिंह की इन मुद्राओं से भाजपा अभी उभर भी नहीं पाई थी कि कल्याण सिंह ने भैरो सिंह शेखावत के बयानों का साथ देकर और उनका खुलेआम समर्थन कर के भाजपा की मुसीबतों को और बढ़ा दिया है। कल्याण सिंह भाजपा के पहले ऐसे ताकतवर नेता हैं जो भैरो सिंह शेखावत के पक्ष में खुलकर सामने आए। यह बात लाल कृष्ण आडवाणी के लिए जरूर चकित करने वाली हो सकती है क्योंकि कल्याण सिंह जब भाजपा से निकाल दिए गए थे तो उनके पुनर्वास की व्यवस्था और अटल जी को समझाने में आडवाणी की प्रमुख भूमिका रही थी। मंगलवार को कल्याण सिंह ने पूर्व उप राष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत के समर्थन में उतर कर पार्टी की मुश्किलों को और बढ़ा दिया। कल्याण ने कहा कि शेखावत की यह मांग जायज है कि पार्टी के जिन नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप हैं, उनकी जांच होनी चाहिए।सिंह ने कहा है कि शेखावत ने जो कुछ भी कहा है, वह सही है। उन्होंने कहा कि मैं शेखावत द्वारा भ्रष्टाचार की जांच कराए जाने की मांग का समर्थन करता हूं। इससे भाजपा को भ्रष्ट नेताओं से निजात मिलेगी। कल्याण सिंह ने आतंकवाद और महंगाई को चुनावी मुद्दा बनाने की पार्टी की नीति का भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और महंगाई किसी भी तरह चुनावी मुद्दे नहीं हैं। जो आतंकवाद को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश करेगा वह मतदाताओं द्वारा नकारा जाएगा। इसके लिए उन्होंने दिल्ली और राजस्थान विधानसभा चुनाव का उदाहरण दिया।कल्याण सिंह ने भाजपा नीत राजग सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार ने संसद पर आतंकी हमले के बाद कारगर कार्रवाई नहीं की। आज यह हालत इसलिए है कि तब संसद पर हमले के बाद देश मूक दर्शक बना खड़ा रहा। अगर तभी कड़ा कदम उठाया गया होता तो आज यह दिन नहीं देखने पड़ते।
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