Saturday, January 24, 2009

कांग्रेस के सामने बहुत बड़ी मुसीबत कल्याण सिंह और राजवीर

कांग्रेस के सामने बहुत बड़ी मुसीबत हैं। बाबरी मस्जिद ध्वंस में जिन कल्याण सिंह को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाते तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने विश्वासघाती करार दिया था, अब कांग्रेस को समाजवादी पार्टी से तालमेल रखने के लिए उन्हीं कल्याण सिंह और उनके पुत्र राजवीर सिंह की मदद करनी पड़ेगी।समाजवादी पार्टी का गणित साफ है। इस गणित में यह भी शामिल है कि यादव और लोध वोट बैंक मिल कर उत्तर प्रदेश पर कब्जा कर सकते हैं। बसपा में एक के बाद एक स्कैंडल होते जा रहे हैं और उनका असर लोकसभा चुनावों पर भी पड़ेगा। जाहिर है कि कमजोर भाजपा और काफी हद तक कमजोर कांग्रेस की तुलना में समाजवादी और कल्याण सिंह का यह तालमेल काफी गंभीर साबित होगा। कांग्रेस के सामने समाजवादियों के साथ तालमेल करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं हैं।समाजवादी पार्टी और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की दोस्ती से बनी असहज स्थिति के बावजूद कांग्रेस नेतृत्व उत्तर प्रदेश में चुनावी गठबंधन की संभावनाएं बनाए रखने के पक्ष में है। पार्टी के महासचिव और राज्य के प्रभारी दिग्विजय सिंह शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर इस संबंध में उन्हें पार्टी कार्यकर्ताओं की ओर से मिल रहे फीडबैक से अवगत कराएंगे। मोटे तौर पर यह तय है कि पार्टी फिलहाल गठबंधन के विकल्प को बंद नहीं करना चाहती।सपा और कल्याण की दोस्ती के कारण मुसलिम समुदाय के कांग्रेस से भी किनारा करने की आशंका का जवाब देते हुए पार्टी के एक महासचिव व रणनीतिकार की टिप्पणी थी कि कल्याण सिंह यदि भाजपा को हराने के लिए सपा से हाथ मिला रहे हैं तो इससे मुसलिम समुदाय को क्या परेशानी हो सकती है। इसके अलावा कल्याण सिंह सपा में शामिल नहीं हुए हैं और न ही कांग्रेस कल्याण सिंह के साथ कोई तालमेल करने जा रही है। हालांकि, कल्याण सिंह की ओर से कांग्रेस से भी दोस्ती की पेशकश की गई है।पार्टी नेताओं ने स्वीकार किया कि सपा व कल्याण की दोस्ती के बाद उत्तर प्रदेश से कार्यकर्ताओं का फीडबैक सपा के साथ तालमेल के पक्ष में नहीं है। खुद महासचिव राहुल गांधी इस नए घटनाक्रम से बहुत उत्साहित नहीं है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने उनसे इस मसले पर राय पूछी थी तो उन्होंने कहा कि आप कांग्रेस अध्यक्ष से संपर्क करिए। समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर पार्टी में मतभेद हैं। एक तबका सपा के साथ समझौते में चुनाव लड़ना चाहता है। जबकि दूसरे तबके का मानना है कि कांग्रेस को एकला चलो की रणनीति अपनानी चाहिए। वह बाबरी मसजिद गिराए जाने के लिए जिम्मेदार कल्याण सिंह की सपा से नजदीकियों को मुद्दा बनाकर बातचीत खत्म करने की दलील दे रहा है। पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक, सपा के साथ गठबंधन पर अंतिम फैसला प्रधानमंत्री की मर्जी पर है। मनमोहन सिंह समझौते की वकालत करते रहे हैं।

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