Tuesday, January 27, 2009

असंतोष रहा तो लोकसभा चुनाव के दौरान दिक्कते

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह वैसे भी मंत्रिमंडल और पार्टी फेरबदल के पक्ष में नहीं थे। अब दिल के ऑपरेशन के बाद आराम के दौरान ये दोनों काम नहीं हो पाएंगे और इससे कम से कम मनमोहन सिंह के काम काज से नाराज रहने वालों की नाराजी और बढ़ गई है। कांग्रेस कोर कमेटी की पिछली बैठक प्रधानमंत्री निवास पर लगभग दस दिन पहले हुई थी तो उसमें मंत्रिमंडल और पार्टी दोनों के संगठन में फेरबदल करने की आम तौर पर सहमति बन गई थी। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री ने उस समय भी कहा था कि लोकसभा चुनाव के लिए समय बहुत अधिक नहीं रह गया है इसलिए बेहतर होगा कि संगठन और पार्टी के फेरबदल को नए सिरे से निर्धारित करने के लिए छोड़ दिया जाए। इस सलाह पर श्रमती सोनिया गांधी तो सहमत थी लेकिन उन्हें यह समझाया गया कि अगर पार्टी में असंतोष रहा तो लोकसभा चुनाव के दौरान दिक्कते आ सकती है। तो अब जाहिर है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की हार्ट सर्जरी की वजह से अब केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना नहीं है। प्रधानमंत्री की अस्पताल से छुट्टी तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) का पुनर्गठन भी टल सकता है। पर पार्टी ने आठ फरवरी को होने वाले जिला और ब्लॉक अध्यक्षों के सम्मेलन को बरकरार रखा है। राजधानी के रामलीला मैदान में होने वाले इस सम्मेलन को प्रधानमंत्री को भी संबोधित करना था। पर बीमारी की वजह से मनमोहन सिंह सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेंगे।मनमोहन सिंह के पास वित्त, सूचना एवं प्रसारण और कोयला मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार है। हार्ट सर्जरी के लिए एम्स रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री ने वित्त मंत्रालय विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी को सौंप दिया था। प्रधानमंत्री के स्वस्थ होने तक प्रणब मुखर्जी ही मंत्रालय का कामकाज संभालेंगे। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय पहले ही विदेश राज्यमंत्री आनंद शर्मा और कोयला मंत्रालय राज्यमंत्री संतोष बगरोड़िया के पास है। प्रधानमंत्री को स्वस्थ होने में करीब एक माह लगेगा।तब तक चुनाव आयोग चुनाव की घोषणा कर देगा। ऐसे में अब केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना बहुत कम है। चुनाव के मद्देनजर एआईसीसी का फेरबदल तय है। वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत के राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने और मार्गेट अल्वा के इस्तीफे के चलते महासचिव के दो पद खाली हैं। पार्टी महासचिव राहुल गांधी को छोड़कर लोकसभा चुनाव लड़ने वाले पदाधिकारियों को भी पार्टी की जिम्मेदारियों से मुक्त किया जाना है। कांग्रेस महासचिव और बिहार के प्रभारी किशोर चंद्र देव पहले ही महासचिव पद छोड़ने की इच्छा जता चुके हैं।

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