Monday, January 19, 2009

झारखंड में राष्ट्रपति शासन

झारखंड में राजनीतिक अनिश्चितता के माहौल को खत्म करने के राजनीतिक प्रयास विफल हो जाने के बाद आज वहां राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला ले लिया गया है।केन्द्रीय मंत्रिमंडल की प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में यहां हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। कांग्रेस के शीर्ष नेताओं प्रणब मुखर्जी, एके एंटनी और अहमद पटेल के बीच रविवार को झारखंड के सवाल पर विचार-िवमर्श हुआ। तय हुआ कि सोमवार को यह मामला कैबिनेट के हवाले कर दिया जाएगा। कैबिनेट की मुहर लगते ही इसे राष्ट्रपति की औपचारिक मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। मंजूरी मिलते ही झारखंड में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाएगा।झारखंड में मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के उपचुनाव में हारने के बाद नए मुख्यमंत्री के नाम पर सहमति न बन पाने से यह स्थिति बनी है। इस स्थिति में कांग्रेस की सबसे ज्यादा फजीहत हो रही है। इससे बचने के लिए कांग्रेस ने राष्ट्रपति शासन लगाने का मन बना लिया है।कांग्रेस नेतृत्व मान रहा है कि सत्ता में रहे बिना सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए सही रास्ता चुनाव का है। मगर, वह लोकसभा चुनाव के साथ झारखंड में विधानसभा चुनाव के पक्ष में नहीं है। इसीलिए, राष्ट्रपति शासन लगा कर विधानसभा को भंग नहीं किया जाएगा। अभी झारखंड विधानसभा का करीब डेढ़ साल का कार्यकाल बाकी है। विधानसभा को निलंबित रख कांग्रेस थोड़ा और इंतजार करेगी।सूत्रों के मुताबिक एक तरह से यह राजद, झामुमो व अन्य को कांग्रेस की चेतावनी है कि वे तत्काल नए मुख्यमंत्री के नाम पर सहमति बनाएं।

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