पाकिस्तानी विदेश मंत्री महमूद शाह कुरैशी ने दरअसल वह कर दिया जिसमें भारत अभी हाथ ही नहीं डालना चाहता था। उन्होंने अपने मुल्क और चीन के बीच बढ़ती उस गुप्त साझेदारी का खुलासा कर दिया, जो एशिया में अगुआई करने की चीनी मुहिम का अहम हिस्सा थी।कुरैशी के बयान को भारतीय कूटनीतिकार एक ऐसी सफलता के तौर पर देख रहे हैं, जिसकी अभी उम्मीद ही नहीं थी। यह सफलता दोहरी है। पाकिस्तान और चीन के बीच गुपचुप दोस्ती का भान भारत को था। वह फिलहाल इसे दुनिया के सामने लाने के लिए कोई कदम उठाना नहीं चाहता था। पाकिस्तान के खुलासे से भारत का काम अपने आप हो गया है। यही नहीं, अब मुंबई हमलों को लेकर कूटनीतिक प्रहार से बचने के लिए चीन को साथ लाने में पाकिस्तान को नए सिरे से मशक्कत करनी होगी।भारतीय कूटनीतिकार मान रहे हैं कि कुरैशी के बयान से पूरी दुनिया के सामने साफ हो गया है कि एशिया में दबदबा बढ़ाने की कोशिश के तहत इस्लामाबाद और बीजिंग के नेताओं ने कोई समझौता कर रखा है। यह भी कि मुंबई हमलों के बाद भारत के तेवर नरम करने की चीन की कोशिश इसी समझौते के तहत शुरू की हुई थी। चीन के हरकत में आते ही युद्धोन्माद भड़काने में लगे पाकिस्तान ने अपने तेवरों में नरमी दिखा कर इस गुप्त कूटनीतिक समझौते की पुष्टि कर दी थी।फिलहाल भारतीय कूटनीतिकार चीन और पाकिस्तान के बीच पैदा हुई इस गलतफहमी पर चुप रहने को ही उपयुक्त मान रहे हैं। मुंबई हमले के मद्देनजर पाक को अलग-थलग करने में जुटा भारत तत्काल किसी दूसरे प्रकरण में उलझना नहीं चाहता। वैसे, नई दिल्ली के कूटनीतिकारों को भरोसा है कि पाक के साथ साझेदारी बढ़ाने को चीन ने भले ही प्राथमिकता दी हो, लेकिन वह खुले तौर पर किसी भी तरह आतंकवाद को बढ़ावा देने में लिप्त मुल्क के साथ होने का ठप्पा नहीं लेना चाहेगा। शायद चीन की बेचैनी की वजह भी यही है।
No comments:
Post a Comment