Thursday, December 11, 2008

डॉ सीपी जोशी पर आलाकमान की नजरे इनायत है, मुख्यमंत्री बनाना तय

सीएम पद को लेकर जारी खींच-तान के बीच आज कांग्रेस के विधायक दल की बैठक शुरू हो गई है। बैठक में 12वीं विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता हेमाराम चौधरी ने विधायक दल के नेता के चयन का फैसला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर छोडे जाने का प्रस्ताव रखा है। पार्टी आलाकमान की खासी सहानुभूति मात्र एक वोट से चुनाव हारे सीपी जोशी के साथ है। प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद गांधी परिवार में खासकर राहुल गांधी के साथ सीपी जोशी की निकटता बढी है। इस बीच प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सी. पी. जोशी ने कहा कि कांग्रेस का निष्ठावान कार्यकर्ता ही राजस्थान का मुख्यमंत्री होगा। केन्द्रीय पर्यवेक्षकों दिग्विजय सिंह, अविनाश पांडे और मधुसूदन मिस्त्री को लेने एयरपोर्ट पहुंचे जोशी ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि आज की बैठक में मुख्यमंत्री के नाम का ऎलान किए जाने की संभावना है। किसान मुख्यमंत्री के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का फैसला आलाकमान को करना है और उनका निर्णय सभी को मान्य होगा। जाटों के प्रमुख नेता परसराम मदेरणा भी उनके पक्ष में दिखाई दे रहे हैं। इस गठजोड के बाद सीपी को करीब 53 विधायकों का समर्थन मिल रहा है। विधायक दल के नेता के चयन के लिए जयपुर आए केन्द्रीय पर्यवेक्षकों ने विधायकों की रायशुमारी लेनी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि आज की बैठक में भावी मुख्यमंत्री का ऎलान भी कर दिया जाएगा। बैठक में विधायक अपने नेता का नाम सुझाएंगे। जिसके बाद पर्यवेक्षक उस नाम को आलाकमान के पास प्रेषित करेंगे और उनमें से किसी एक पर अंतिम मुहर लगाई जाएगी। बैठक में केन्द्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर मधुसूदन मिस्त्री और दिग्विजय सिंह मौजूद हैं। इसके साथ मुकुल वासनिक भी भाग ले रहे हैं। राजस्थान में मुख्यमंत्री को लेकर घमासान से कांग्रेस आलाकमान खासा नाराज है। बताया जा रहा है कि सीएम के लिए कांग्रेस में हो रही लॉबिंग पर पार्टी आलाकमान ने नाराजगी जताई है। कांग्रेस मुख्यमंत्री के नाम पर सर्वसम्मति बनाने के प्रयास कर रही है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि यदि मुख्यमंत्री के नाम पर सर्वसम्मति नहीं बन पाई तो ऎसी स्थिति में कांग्रेस में शक्ति परीक्षण भी कराया जा सकता है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव में सबसे बडे दल के रूप में उभरी कांग्रेस पार्टी में अब विधायक दल के नेता पद के लिए शक्ति प्रदर्शन और खींचतान खुलकर सामने आ रही है। बंद कमरों में बैठकों का दौर जारी है। वहीं, आलाकमान प्रदेश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी के मद्देनजर जातिगत समीकरण के हिसाब से मुख्यमंत्री बनाने का मानस बना रही है। पहले किसान मुख्यमंत्री मुद्दे की हवा निकल जाने के बाद अब ये नेता जाट व ब्राह्मण गठजोड बनाकर आलाकमान पर दबाव बना रहे है। वहीं अशोक गहलोत के समर्थक लगातार अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। नेता के चयन के लिए गुरूवार दोपहर बाद प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में बैठक होने जा रही है। जानकारी के अनुसार, अब कांग्रेस के विजयी विधायक, बागी और समर्थन देने वाले निर्दलीय तीन अलग-अलग खेमों में बंट गए हैं। इन तीनों खेमों की ओर से शक्ति प्रदर्शन करने और विधायकों को अपनी ओर मिलाने की कार्यवाही शुरू हो गई है। एक खेमा पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का है। दूसरा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी व तीसरा खेमा केंद्रीय मंत्री शीशराम ओला और महिला आयोग अध्यक्ष गिरिजा व्यास का है। राज्य में मुख्यमंत्री बनाने के लिए इस बार जातिगत समीकरण पर निगाह रखी जा रही है। ब्राह्मण नेता सीपी जोशी व गिरिजा व्यास को जाट नेताओं की ओर से मिल रहे समर्थन को देखते हुए आलाकमान लोकसभा चुनाव में जाट व ब्राह्मण गठजोड के मुख्यमंत्री का दांव खेल सकता है।

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