Monday, December 15, 2008

हाडी रानी का शहीदी प्रसंग याद किया लखावत ने

वीर रावत रतनसिंह चुण्डावत के युद्ध में जाने से पूर्व अपनी नई नवेली दुल्हन में प्रीत रखते हुए उससे सैलानी (नीशानी) मांगने पर अपना शीश सैलानी के रूप में अपने प्रीतम को देने वाली वीर क्षत्राणी हाड़ी रानी का बलिदान इतिहास की एक घटना नहीं अपितु सलूम्बर के साथ-साथ पूरे देश का गौरव है। यह विचार राजस्थान धरोहर संरक्षण प्रोन्नति प्राधिकरण संस्थान के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत ने बतौर मुख्य अतिथि के रूप में राजमहल प्रांगण में आयोजित हाड़ी रानी पुष्पांजलि कार्यक्रम में व्यक्त किए।राजमहल में पहुंची मोहाली चण्डीगढ़ से बनवाई गई हाड़ी रानी की दो आदम कद प्रतिमा के समक्ष लखावत व स्थानीय हाड़ी रानी गौरव संस्थान के अध्यक्ष भगवती लाल सेवक ने दीप प्रज्जवलित किया। लखावत ने कहा कि हाड़ी के इतिहास से आज की नई पीढ़ी को वाकिफ करना होगा, जिससे वो जिस नगर में रह रहे है उसकी गौरव गाथा से भली भांति परिचित हो सके।लखावत ने कहा कि प्रशासन तो इन महलों व धरोहर की देखरेख करेगा ही लेकिन स्थानीय सामाजिक संगठन आगे आकर इस प्राचीन धरोहर को संरक्षित करे। लखावत ने कहा कि इस धरोहर को जिला पर्यटन विकास समिति को सौंपने के आदेश कर दिए गए है।लखावत ने कहा कि राजस्थान राज्य में इस संस्थान द्वारा प्राचीन धरोहर को संरक्षण प्रदान करने के लिए 11 स्थानों पर प्राचीन धरोहर का संरक्षण कर उन्हें नवीन रूप दिया। इस राज्य के पर्यटन को देखते हुए राज्य की नवगठित सरकार इस संस्थान का संरक्षण कर राज्य में पर्यटन क्षेत्र का मजबूती प्रदान करे।लखावत ने हर 14 दिसम्बर को हाड़ी दिवस नगर में मनाने की बात कही। लखावत ने प्रथम हाड़ी की पूर्ण प्रतिमा व दूसरी अपने हाथ में खड्ग लिए मुण्डदान की प्रतिमा को पुष्पांजलि अर्पित की। वहां उपस्थित लोगों ने हाड़ी की प्रतिमा को पुष्पांजलि अर्पित कर राजमहल में जाने की स्वीकृति प्रदान करने की बात कही।संस्थान अध्यक्ष भगवती लाल सेवक ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन संस्थान सचिव वैणीराम सुथार ने किया। कार्यक्रम में पूर्व विधायक अर्जुन लाल मीणा, कैलाश गांधी, लव व्यास, पार्षद राजकुमारी कोठारी, पूंजी लाल वरनोती सहित कई नागरिक गण उपस्थित थे।

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