राज्य में नई सरकार बनने के बाद अब गहलोत मंत्रिमण्डल का गठन कब होगा इसको लेकर फिलहाल तस्वीर साफ नहीं हो पाई है मगर मेवाड़वासियों की निगाहें इस बात पर जा टिकी है कि मंत्रिमण्डल में प्रतिनिधित्व देने के मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, वसुन्धरा सरकार की तरह ही मेवाड़ का मान बरकरार रख पाएंगे या नहीं ।बात राज्य में सत्ता परिवर्तन की हो या फिर किसी पार्टी को सत्तासीन करनेक की । इस मामले में मेवाड़ का योगदान किसी से छिपा नहीं है। इसी बात को पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे व उनकी पार्टी ने दिलोदिमाग से समझा और जाना । उसी के चलते गत चुनाव में राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद जब मौका मंत्रिमण्डल गठन का आया तो वसुन्धरा राजे व उनकी पार्टी ने सत्ता का सुख दिलाने में महत्ती भूमिका अदा करने वाली मेवाड़ की धरा का ऋण चुनाने में न तो कोई देरी की नहीं कंजूसीवसुन्धरा राजे ने मेवाड़ का मान रखने चार विधायकों गुलाबचन्द कटारिया, नरपतसिंह राजवी, कनकमल कटारा व नंदलाल मीणा को न केवल अपनी केबिनेट में जगह दी बल्कि सत्ता एवं प्रदेश को चलाने वाले चार अहम् मंत्रालय इन चारों के जिम्मे सौंप दिए । इसी तरह चुन्नीलाल धाकड़ भवानी जोशी व सुरेन्द्र सिंह राठौड़ को राज्यमंत्री बनाकर वसुन्धरा सरकार ने मेवाड़वासियों का सिर गर्व से और ऊंचा कर दिया। इसके बाद फिर मौका आया तो वसुन्धरा सरकार मेवाड़ को कुछ देने में पीछे नहीं रही । उन्होंने चुन्नीलाल गरासिया को जनजाति आयोग का उपाध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्रियों के रूप में मेवाड़ के प्रतिनिधियों की संख्या बढ़ाने के साथ ही जनजाति बाहुल्य क्षेत्र को एक तोहफा भी दे दिया ।मेवाड़ का ऋण चुकाने का सिलसिला वसुन्धरा सरकार ने यही बंद नहीं किया बल्कि राज्य के एक बार फिर विधानसभा चुनाव (2008) होने की आहट सुनाई पड़ी तभी जाते-जाते उन्होंने धर्मनारायण जोशी को राज्य क्रीड़ा परिषद का अध्यक्ष बनाकर उन्हें भी राज्य मंत्री का दर्जा दे डाला ।मेवाड़ की जनता को तोहफा देने का यह रिपोर्ट कार्ड पिछली सरकार का है। अब राज्य में सत्ता परिवर्तन होकर प्रदेश की बागडोर अशोक गहलोत के हाथ में आ गई है । गहलोत व उनकी पार्टी की इस कामयाबी के पीछे मेवाड़ का योगदान किसी से छिपा हुआ नहीं है। यहां की जनता इस चुनाव में थोड़ी सी भी डगमगा जाती तो शायद गहलोत व उनकी पार्टी सत्ता के करीब पहुंचने में सफल नहीं हो पाती।यहां की जनता ने तो अपना फर्ज निभा दिया मगर अब लोगों की निगाहें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व उनकी पार्टी पर जा टिकी है कि अतिशीघ गठित होने वाले राज्य मंत्रिमंडल में मेवाड़ को उचित प्रतिनिधित्व देने के मामले में गहलोत व उनकी पार्टी वसुन्धरा सरकार की बराबरी कर इस धरा का मान बरकरार रख पाते हैं या नहीं । यदि ये लोग मेवाड़ का मान बरकरार रखने में संवेदनशीलता बरतते है तो मेवाड़ की जनता आने वाले चुनावों में भी कांग्रेस को सिर-आंखों पर बैठाने में शायद कतई पीछे नहीं रहेगी।
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