Tuesday, December 9, 2008

राजस्थान विधानसभा चुनाव में उदयपुर क्षेत्र में कांग्रेस का जनाधार बढा

विधानसभा चुनावों में इस बार कांग्रेस जिले में बड़ी जीत हासिल करने में सफलता मिलने के साथ ही अपना जनाधार बढ़ाने में भी सफल रही है। जबकि भाजपा ने जो दो सीटें जीती उसमें भी एक जगह उसका जनाधार घट कर रह गया।गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सलूम्बर विधानसभा सीट 6872 वोट से हारनी पड़ी थी। उसी सीट को इस बार कांग्रेस प्रत्याशी रघुवीर सिंह मीणा ने बड़ी जीत के रूप में 23490 वोटों से जीत लिया। इसी क्रम में गत चुनाव में खेरवाड़ा विधानसभा सीट भाजपा ने 3933 वोटों से जीती थी मगर ताजा चुनाव में कांग्रेस का यहां जनाधार बढ़ने से पाटी प्रत्याशी दयाराम परमार ने 14757 वोटों से यहां जीत हासिल कर खेरवाड़ा सीट एक बार फिर कांग्रेस की झोली में डाल दी।बात गोगुन्दा विधानसभा सीट की करें तो यहां भी कांग्रेस ने जीत के साथ जनाधार बढ़ाया है। गत विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस प्रत्याशी मांगीलाल गरासिया महज 504 वोटों से जीते थे। जबकि इस बार उसी सीट को मांगीलाल गरासिया ने 10112 वोटों से जीतकर अपना व पार्टी का जनाधार बढ़ाया।वल्लभनगर विधानसभा सीट पर गत चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज गुलाबसिंह शक्तावत 32101 वोटों के बड़े मतांतर से चुनाव हार गए। मगर इस बार यहीं से उनके पुत्र गजेन्द्र सिंह शक्तावत ने अपने पिता की हार की भरपाई करते हुए 6660 वोटों से विजय हासिल कर यह सीट फिर कांग्रेस की झोली में डाल दी। हालांकि इस बार शक्तावत बहुत बड़े मतांतर से तो जीत हासिल नहीं कर पाए मगर 32101 वोटों के अन्तर तो अपनी बढ़त में बदलने के साथ ही पार्टी के बागी उम्मीदवार के कारण त्रिकोणीय संघर्ष में इस सीट को अपने नाम कर दिखाया।जनाधार बढ़ाने के मामले में कांग्रेस को उदयपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में भी सफलता हासिल हो गई। गत चुनाव में बागी उम्मीदवार के कारण कांग्रेस को महज 2551 वोटों से यहां हार का सामना करना पड़ा। मगर इस बार के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सज्जन कटारा ने 10696 वोट से जीत हासिल कर फिर कांग्रेस का परचम फहरा दिया।इधर भाजपा खेमे की बात करें तो गत चुनाव में परिवर्तन लहर के कारण जिले में अपना परचम फहराने वाली भाजपा इस बार महज दो सीटों पर ही सिमेट गई। इसमें भी झाड़ोल सीट के मामले में यह तर्क दिया जाए कि कांग्रेस के बागी के कारण भाजपा को यहां दुबारा जीत दर्ज करने का मौका मिल गया तो शायद गलत नहीं होगा। भाजपा ने गत बार भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से झाड़ोल सीट (पुराना नाम फलासिया विधानसभा) कांग्रेस में बगावत होने के कारण अपने नाम कर ली और इस बार भी वे ही समीकरण भाजपा की जीत में मददगार साबित हुए। मगर पार्टी इस बार क्षेत्र में अपना जनाधार बढ़ाने में कामयाब नहीं हो सकी। जो सीट भाजपा ने गत चुनाव में 11479 वोटों से जीती वहीं पर पार्टी इस बार 7319 वोटों से ही जीत हासिल कर पाई। हालांकि उदयपुर शहर में जरूर इस बार भाजपा का जनाधार बढ़ता नजर आया जहां पार्टी प्रत्याशी ने गत चुनावों के मतांतर 8,477 की तुलना में इस बार 24,509 वोटों से जीत हासिल कर ली।जिले में सिर्फ मावली सीट ऐसी रही जहां गत हार से ज्यादा की बढ़त के साथ चुनाव जीतने में कांग्रेस सफल नहीं हो पाई ।

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