Wednesday, December 10, 2008

कृपलानी की हार से उनके भविष्य पर लगा प्रश्न चिन्ह

चित्तौड़गढ़ विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी श्रीचन्द कृपलानी की हार ने उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर भी सवालिया निशान लगा दिया है।चित्तौड़गढ़ से भाजपा प्रत्याशी के रुप में कृपलानी के नाम की काफी समय पूर्व ही चर्चा शुरु हो गई थी, एवं यह माना जाने लगा था कि वसुन्धरा राजे पुन: सत्ता में आने के लिए राज्य के कुछ लोकप्रिय सांसदो को मैदान में उतार कर यह चुनावी लड़ाई जीतना चाहती है, एवं ऐसे सांसदो के निर्वाचित होने की स्थिति में उन्हें सरकार में स्थान दिए जाने की बात भी कही गई।इस पर 6 सांसदो को विधानसभा चुनाव में उतारा गया, लेकिन इनमें से एक सांसद किरण माहेश्वरी ही चुनाव जीतने में सफल रही। सांसद कृपलानी की हार से जहां भाजपा सदमें में है, वही कई जनो का मानना है कि कृपलानी की लोकप्रियता ही उनकी हार का कारण बनी। भाजपा के ही कुछ महत्वकांक्षी नेता कृपलानी के बढ़ते राजनीतिक कद से ईष्या करने लगे थे, एवं उन्हे जब मौका मिला तो उन्होने कृपलानी को इस चुनाव में हरा कर उनके राजनीतिक भविष्य पर भी सवालिया निशान लगा दिए। इनमें से कुछ नेता ऐसे भी थे, जो कि दिखावे के तौर पर तो कृपलानी के साथ रहे, लेकिन अन्दर ही अन्दर वे कृपलानी की हार सुनिश्चित करने के लिए अपनी योजना बनाते जा रहे थे, जिसे कृपलानी समय रहते नही भांप सके। विधानसभा चुनाव में कृपलानी की हुई इस हार के बाद आगामी वर्ष होने वाले लोकसभा के चुनाव के लिए भाजपा की ओर से कृपलानी को पुन: टिकट लेने के लिए भी मुश्किल आ सकती है, वही भाजपा के ही महत्वकांक्षी नेता रुकावट उत्पन्न कर सकते है, जबकि क्षत्रिय भी यह सीट क्षत्रिय मतदाताओं के बाहुल्य की होने का दावा करते हुए क्षत्रिय प्रत्याशी को टिकट देने की मांग कर सकते है।कृपलानी के कई समर्थको का मानना है कि सांसद रहते हुए कृपलानी द्वारा विधानसभा चुनाव लड़ने का लिया गया यह निर्णय उनके लिए राजनीतिक दृष्टि से काफी अधिक घातक भी साबित हो सकता है, एवं कृपलानी को अपनी लोकप्रियता बरकरार रखने के लिए यह निर्णय नही लिया जाना चाहिए था, लेकिन अब जब कि चित्तौड़गढ़ से उनकी हार हो चुकी है तो भाजपा के महत्वकांक्षी नेताओ को भी कुछ कहने का मौका मिल गया है।अलबता, यह तय है कि इस हार के बाद कृपलानी को अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित रखने के लिए काफी अधिक प्रयास करने पड़ सकते है।

1 comment:

Unknown said...

मै सात सौ किलोमीटर दुर हुं । ज्यादा कुछ पता नही। लेकिन इतना मानता हुं की अच्छे राजनेता हार से विचलित नही होते। अगर कृपलानी जी अच्छे नेता है तो जनता के बीच नियमीत काम करते हुए फिर कोशीस करनी चाहिए। वैसे राजस्थान मे भाजपा के हार से मुझे दुखः हुआ ।