Tuesday, October 20, 2009

अब तलाश नई 'जमीन' की

निगम के वार्डों के परिसीमन व आरक्षण लॉटरी के बाद अब महापौर, उपमहापौर और अधिकांश समिति अध्यक्षों को नए वार्ड देखने होंगे। परिसीमन के बाद वर्तमान वार्ड तोडकर बनाए गए नए वार्डो के कारण दूसरी-तीसरी बार निगम चुनाव लडने की आस संजोए बैठे कई पार्षदों का यह सपना शायद ही पूरा हो पाए।
महापौर पंकज जोशी का वार्ड तीन भागों में विभक्त हो कर अनुसूचित जाति में आरक्षित हो गया है। वार्ड 15 से जीतकर आए उपमहापौर विमल कुमावत का वार्ड भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गया है। अब उन्हें चुनाव लडने के लिए दूसरा वार्ड तलाशना होगा। 19 जुलाई को निकली आरक्षण लॉटरी में उप महापौर के नए वार्ड 47 को सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित किया गया था। उप महापौर वहां से दावेदारी प्रस्तुत कर सकते थे, लेकिन महिलाओं के आरक्षण प्रावधान के बाद निकाली गई लॉटरी में वार्ड 47 सामान्य महिला के लिए आरक्षित हो गया है।
इसी प्रकार सफाई समिति के अध्यक्ष सोहन लाल ताम्बी का वार्ड-17 (पुराना वार्ड 37) ओबीसी, वित्त समिति के अध्यक्ष अशोक पंड्या का वार्ड 59(पुराना वार्ड 43) ओबीसी, विद्युत समिति के अध्यक्ष हरीश शर्मा का वार्ड 21(पुराना वार्ड 4) ओबीसी महिला और गृहकर समिति के अध्यक्ष रतन खाडोलिया का वार्ड 22(पुराना वार्ड 11) सामान्य महिला वर्ग के लिए आरक्षित हो गए हैं। अब उन्हें नए वार्ड की तलाश करनी होगी। आरक्षण लॉटरी में सतर्कता एवं अतिक्रमण निरोधक समिति के अध्यक्ष बलदेव सिंह के वार्ड 46(पुराना वार्ड 31)पहले की तरह ओबीसी के लिए आरक्षित हो जाने से उन्हें नया वार्ड तलाशने की जरूरत नहीं पडेगी। खुद के वार्ड के अलावा दूसरे वार्ड से चुनाव लडने के मामले में पार्षद पार्टी के निर्णय को सर्वोपरि बता रहे हैं।
उधर, शहरी निकायों में महिलाओं का आरक्षण पचास फीसदी होने के बाद महापौर, अध्यक्ष एवं सभापति के पदों के आरक्षण के लिए मंगलवार को फिर से होने वाली लाटरी स्थगित कर दी गई है। राज्य सरकार ने नई तारीख तय नहीं की है।
दावेदारों को झटकापूर्व में निकाली गई आरक्षण लॉटरी के बाद पार्षद बनने की तमन्ना रखने वाले प्रत्याशी अपने-अपने क्षेत्र में जुट गए थे। कइयों ने तो क्षेत्र में दिवाली के शुभकामना पोस्टर भी चिपका दिए थे, लेकिन महिलाओं के लिए वार्ड आरक्षित होने के बाद उनको धक्का लगा है। सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित वार्ड 2,3,4,18,20,26,27,31,37,45,52,60 अब सामान्य महिला वर्ग, ओबीसी के लिए आरक्षित 12,21,23,30, 69 अब ओबीसी महिला तथा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 33,39, 48 व 65 अनुसूचित जाति महिला वर्ग के लिए आरक्षित हो गए हैं।
लक्ष्य अधूरे होंगे नीलामी से पूरेजयपुर। चुनावी वर्ष होने के कारण नगर निगम आसानी से बकाया गृह कर एवं नगरीय विकास कर नहीं वसूल पा रहा है। इसी का नतीजा है कि दिवाली पर निगम निर्धारित राजस्व लक्ष्य भी नहीं प्राप्त कर सका। यदि राज्य सरकार आवासन मंडल से कॉलोनियों के रख-रखाव के लिए 10 करोड रूपए और 25 करोड का बैंक ऋण स्वीकृत नहीं करती तो निगम ठेकेदारों को भुगतान और कर्मचारियों को बोनस के भी लाले थे। दिवाली पर ठेकेदारों को भुगतान और कर्मचारियों को बोनस देने के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. ललित मेहरा ने सभी जोन आयुक्तों को बकाया गृह कर व नगरीय विकास कर वसूलने के लिए लक्ष्य दिए थे। कर नहीं चुकाने वाले बडे बकायादारों के प्रतिष्ठानों की कुर्की तक करने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद निगम निर्धारित लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाया। केवल मोतीडूंगरी जोन ही साढे तीन करोड राजस्व एकत्र कर पाया। नौ से सोलह अक्टूबर के बीच तो सभी जोनों से नगरीय विकास कर के केवल 50 लाख रूपए ही वसूले गए।
कैसे चलेगा कामजल्द ही नगर निगम चुनाव की आचार संहिता लागू हो जाएगी। चुनावी माहौल में निगम के लिए कर वसूल कर पाना टेडी खीर हो जाएगा। ऎसी स्थिति में अब नीलामी योग्य सरकारी जमीनें तलाशी जा रही हैं, जिससे निगम का काम चलाया जा सके।
सरकार भरोसे निगमजानकारों के मुताबिक राज्य सरकार से मिले करीब नौ करोड के अनुदान, आवासन मंडल से मिले 10 करोड रूपए और 25 करोड रूपए के बैंक ऋण के कारण ही नगर निगम दिवाली मना पाया। अगर सरकार से चुंगी पुनर्भरण राशि निगम को न मिले तो वह अपने कार्मिकों को तनख्वाह भी नहीं दे पाए।
कोई असर नहींराजस्व बढाने के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने बडे बकायादारों के प्रतिष्ठानों की कुर्की के निर्देश दिए थे, लेकिन निगम एक भी संस्थान की कुर्की नहीं कर पाया। कुर्की करने का मामला पिछले दो माह से चल रहा है। मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने राजस्व वसूली में ढिलाई बरतने वाले कर्मचारियों-अधिकारी को नोटिस देने तक के आदेश दे दिए थे, लेकिन इससे भी राजस्व में कोई खास इजाफा नहीं हो पाया।

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