हाई कोर्ट ने भिखारियों के मुद्दे पर दिल्ली सरकार के रुख की तुलना महाराष्ट्र में एमएनएस के
रवैये से की है। दिल्ली सरकार की खिंचाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि सरकार राजधानी के भिखारियों को अपने राज्य में वापस लौट जाने के लिए कैसे दबाव डाल सकती है। हाई कोर्ट ने कहा कि यह तो वैसा ही है, जैसा कि एमएनएस मुंबई में रह रहे दूसरे राज्यों के लोगों के साथ कर रही है। हाई कोर्ट ने भिखारियों के साथ किए जाने वाले ऐसे बर्ताव को मानवता के खिलाफ बताया। हाई कोर्ट ने जोर देकर कहा कि गरीबी कोई अपराध नहीं है और भिखारियों को राजधानी छोड़ने पर मजबूर नहीं किया जा सकता। यह मानवता के खिलाफ है और अगर ऐसा होता है तो महाराष्ट्र में राज ठाकरे की अगुआई वाली पार्टी और दिल्ली सरकार में क्या अंतर रह जाएगा। अदालत ने कहा कि विभिन्न राज्यों के भिखारियों के साथ ऐसा बर्ताव बंद होना चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कि यह काफी परेशान करने वाली बात है कि राजधानी में कई अपराधी आराम से रह रहे हैं, लेकिन जो कुछ लोग मांग कर गुजारा कर रहे हैं तो उन्हें बाहर निकालने की तैयारी है। गौरतलब है कि भीख मांगना बॉम्बे प्रिवेंशन ऑफ बैगिंग एक्ट के तहत अपराध है। इस मामले को अपराध की श्रेणी में रखने अथवा नहीं रखने के मामले में हाई कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से सलाह मांगी है। इस एक्ट के तहत पहली बार पकड़े गए अपराधी को तीन साल तक कैद हो सकती है, जबकि दूसरी बार पकड़े जाने पर 10 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है। इस बाबत एक सामाजिक कार्यकर्ता ने हाई कोर्ट में अजीर् दाखिल कर कहा था कि भीख मांगने के लिए सजा देना सही नहीं है क्योंकि गरीबी कहीं से भी अपराध नहीं है। इस तरह एक्ट के वैधता को चुनौती भी दी गई है। अर्जी में कहा गया था कि भिखारियों के खिलाफ कार्रवाई के बजाय उनका पुनर्वास होना चाहिए। मुंबई बैगिंग एक्ट में संशोधन होना चाहिए क्योंकि भिखारी अगर भीख मांगते हैं तो वह मजबूरी में होता है। इस अर्जी पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से राय मांगी थी। याचिका में कहा गया है कि मुंबई बैगिंग एक्ट में बदलाव की जरूरत है क्योंकि अगर कोई भीख मांगता है तो वह उसकी आथिर्क मजबूरी हो सकती है इसके लिए उसे सजा दिया जाना कहीं से भी ठीक नहीं है। इस पर दिल्ली सरकार ने अपने जवाब में सहमति जाहिर की थी कि भिखारियों का पुनर्वास किया जाना चाहिए। इस पर हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस बाबत अपना सुझाव देने को कहा है। साथ ही सरकार से पूछा है कि फिलहाल राजधानी में कितनी संख्या में भिखारी हैं और उनके बच्चों की शिक्षा आदि के लिए क्या किया जा रहा है। मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 9 नवंबर की तारीख तय की है।
Thursday, October 29, 2009
भिखारियों के मामले में दिल्ली सरकार की खिंचाई
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