Wednesday, October 21, 2009

बिहार में अकेले ही लड़ेगी कांग्रेस, लालू को झटका

बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस सिलसिले में कांग्रेस ने पहला बड़ा फैसला यह लिया है कि अब वह लालू प्रसाद की आरजेडी और रामविलास पासवान की एलजेपी से कोई नाता नहीं रखेगी। लोकसभा चुनाव में बुरी तरह मात खाने के बाद से लालू और पासवान कांग्रेस से समझौता करने के जी तोड़ प्रयास कर रहे हैं। मगर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल कुमार शर्मा ने एनबीटी से कहा कि राज्य के इंचार्ज जगदीश टाइटलर ने स्पष्ट कर दिया है कि विधानसभा चुनाव कांग्रेस अकेले लड़ेगी। शर्मा ने कहा कि बिहार के वोटर जाति की राजनीति से ऊब गए हैं। लालू, पासवान, नीतीश कुमार जहां जाति की राजनीति कर रहे हैं, वहीं बीजेपी धर्म की राजनीति कर रही है। ऐसे में लोगों की उम्मीदें अब कांग्रेस पर टिकी हैं। लोकसभा चुनाव में यूपी में कांग्रेस को शानदार सफलता दिलाने वाले युवा नेता राहुल गांधी जल्द ही बिहार के दौरों का कार्यक्रम बना रहे हैं। यूपी और बिहार की राजनीतिक स्थितियों में कई समानताओं के कारण राज्य के कार्यकर्ताओं को बिहार में भी राहुल से बहुत उम्मीदें हैं। दरअसल जगदीश टाइटलर के बिहार का इंचार्ज बनने के बाद से वहां कार्यकर्ताओं में नया जोश आया है। अपनी युवा कांग्रेस वाली छवि के साथ टाइटलर पूरे राज्य का सड़कों से दौरा कर रहे हैं। वह अभी 4,340 किलोमीटर यात्रा करके आए हैं और अगले 20 दिनों में 10,000 किलोमीटर की यात्रा पर फिर निकलने वाले हैं। टाइटलर ने राज्य के सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस की स्थिति का बारीक से बारीक ब्यौरा तैयार किया है। इसके आधार पर वह विधानसभा चुनाव की रणनीति तैयार कर रहे हैं। हालांकि कांग्रेस यह दावा कर रही है कि वह बिहार में जाति और धर्म की राजनीति खत्म करके विकास और भाईचारे की राजनीति शुरू कर रही है। मगर जाति की राजनीति के लिए देशभर में कुख्यात या विख्यात बिहार में कांग्रेस को भी कार्यकर्ताओं की पहचान के अपने फॉर्म में जाति का कॉलम छापना पड़ा है। कांग्रेस पोलिंग बूथ स्तर पर यह भी आंकड़े जुटा रही है कि किस बूथ पर किस जाति के कितने वोटर हैं। टाइटलर का कहना है कि हम जाति की राजनीति नहीं कर रहे, हम जातिगत समीकरणों की पहचान भर कर रहे हैं। कांग्रेस की हालत बिहार में कितनी खराब है, इसकी सबसे बड़ी मिसाल यह है कि देश के किसी भी राज्य में कांग्रेस की इतनी कम सीटें नहीं हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस चार प्रतिशत सीटें भी नहीं जीत पाई थी। 243 में से उसे केवल 8 सीटें मिली थीं। दो अभी उपचुनावों में जीतकर कांग्रेस दहाई के सबसे नजदीकी अंक तक पहुंची है। पिछले दो दशक से कांग्रेस बिहार में सत्ता से बाहर है। लालू की बैसाखी के सहारे रही कांग्रेस अब अपने पांवों पर खड़े होने की कवायद शुरू कर चुकी है। इसके तहत कार्यकर्ताओं को साफ संदेश दिया जा रहा है कि अकेले लड़ो और लालू - पासवान के भ्रम से बचो।

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