कोपेनहेगन सम्मेलन से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि विकासशील देश विकास के साथ समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने विकसित देशों से कहा कि वे ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन का स्तर अपेक्षित स्तर तक लाने के गम्भीर प्रयास करें।
विकसित देश गम्भीर प्रयास करें : डॉ. सिंह ने गुरूवार को यहां जलवायु परिवर्तन पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कहा कि अगर विकसित देश गम्भीर प्रयास करें तो गैस उत्र्सजन में कटौती के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। अगर विकसित देश अपने प्रति व्यक्ति उत्सर्जन को अपेक्षित स्तर तक लाने के गम्भीर प्रयास करें तो वे अनुसंधान के लिए व्यापक संसाधन जुटा सकते हैं।
भारत निभाएगा सकारात्मक भूमिका : डॉ. सिंह ने कहा कि हमारे प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन विकसित देशों के औसत प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन से कभी अघिक नहीं होगा। सिंह ने विश्व को आश्वस्त किया कि जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने में भारत एक सकारात्मक भूमिका निभाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोपनहेगन सम्मेलन में यूएनएफसीसी के ढांचे के भीतर रहकर संतुलित और समान निष्कर्षों के आधार पर विकासशील देश गैस उत्र्सजन में कटौती करने के लिए स्वेच्छा से काम करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी और उसका विस्तार जलवायु परिवर्तन से लडने के लिए एक प्रमुख तत्व साबित होगा।
...तो डूब जाएगा मालदीवनई दिल्ली। धरती पर बढती गर्मी से ऊपर उठते समुद्र के जल स्तर की वजह से विनाश के कगार पर खडे मालदीव ने गुरूवार को अमीर देशों से ग्लोबल वाìमग पर अंकुश लगाने की भावनात्मक अपील की। मालद्वीव के राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद ने यहां जलवायु परिवर्तन पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अमीर एवं विकसित देशों से कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन के स्तर को न्यूनतम करने की संधि पर सहमत होने की अपील करते हुए कहा कि धरती के वातावरण के तापमान में मात्र डेढ डिग्री सेल्सियस की बढोतरी होने पर उनका देश समुद्र में समा जाएगा और उनके देशवासी काल के ग्रास बन जाएंगे।
आज हमारी तो कल सबकी बारी : नाशीद ने विश्व समुदाय को चेतावनी देते हुए कहा कि आज मालदीव के साथ जो कुछ हो रहा है कल वही शेष दुनिया के साथ होगा।
क्या है खतरा : बीत एक हजार वर्षो में 20वीं सदी में पृथ्वी के तापमान में सबसे ज्यादा बढोतरी हुई है। तापमान के साथ ही समुद्र का जल स्तर भी बढ रहा है। आईपीसीसी के मुताबिक यदि नहीं चेते तो वर्ष 2100 के आते-आते समुद्र का जल स्तर 50 सेन्टी मीटर तक बढ जाएगा।
यदि 50 सेमी उठा समुद्र का जल स्तर : मालदीव, तुवालु और किरिबाती जैसे द्वीप समुद्र की सतह से सिर्फ 2-3 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। ये पूरी तरह डूब जाएंगे। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और बर्मा के निचले तटवर्ती क्षेत्रों के भी जलमग्न होने का खतरा है।
विकसित देश गम्भीर प्रयास करें : डॉ. सिंह ने गुरूवार को यहां जलवायु परिवर्तन पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कहा कि अगर विकसित देश गम्भीर प्रयास करें तो गैस उत्र्सजन में कटौती के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। अगर विकसित देश अपने प्रति व्यक्ति उत्सर्जन को अपेक्षित स्तर तक लाने के गम्भीर प्रयास करें तो वे अनुसंधान के लिए व्यापक संसाधन जुटा सकते हैं।
भारत निभाएगा सकारात्मक भूमिका : डॉ. सिंह ने कहा कि हमारे प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन विकसित देशों के औसत प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन से कभी अघिक नहीं होगा। सिंह ने विश्व को आश्वस्त किया कि जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने में भारत एक सकारात्मक भूमिका निभाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोपनहेगन सम्मेलन में यूएनएफसीसी के ढांचे के भीतर रहकर संतुलित और समान निष्कर्षों के आधार पर विकासशील देश गैस उत्र्सजन में कटौती करने के लिए स्वेच्छा से काम करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी और उसका विस्तार जलवायु परिवर्तन से लडने के लिए एक प्रमुख तत्व साबित होगा।
...तो डूब जाएगा मालदीवनई दिल्ली। धरती पर बढती गर्मी से ऊपर उठते समुद्र के जल स्तर की वजह से विनाश के कगार पर खडे मालदीव ने गुरूवार को अमीर देशों से ग्लोबल वाìमग पर अंकुश लगाने की भावनात्मक अपील की। मालद्वीव के राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद ने यहां जलवायु परिवर्तन पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अमीर एवं विकसित देशों से कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन के स्तर को न्यूनतम करने की संधि पर सहमत होने की अपील करते हुए कहा कि धरती के वातावरण के तापमान में मात्र डेढ डिग्री सेल्सियस की बढोतरी होने पर उनका देश समुद्र में समा जाएगा और उनके देशवासी काल के ग्रास बन जाएंगे।
आज हमारी तो कल सबकी बारी : नाशीद ने विश्व समुदाय को चेतावनी देते हुए कहा कि आज मालदीव के साथ जो कुछ हो रहा है कल वही शेष दुनिया के साथ होगा।
क्या है खतरा : बीत एक हजार वर्षो में 20वीं सदी में पृथ्वी के तापमान में सबसे ज्यादा बढोतरी हुई है। तापमान के साथ ही समुद्र का जल स्तर भी बढ रहा है। आईपीसीसी के मुताबिक यदि नहीं चेते तो वर्ष 2100 के आते-आते समुद्र का जल स्तर 50 सेन्टी मीटर तक बढ जाएगा।
यदि 50 सेमी उठा समुद्र का जल स्तर : मालदीव, तुवालु और किरिबाती जैसे द्वीप समुद्र की सतह से सिर्फ 2-3 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। ये पूरी तरह डूब जाएंगे। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और बर्मा के निचले तटवर्ती क्षेत्रों के भी जलमग्न होने का खतरा है।
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