नई दिल्ली. रेलमंत्रालय संभालने के बाद ममता बनर्जी ने पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद के कार्यकाल पर श्वेत-पत्र लाने की घोषणा कर भले ही राजद सुप्रीमो के दिल की धड़कनें बढ़ा दी हों, लेकिन अब दिल्ली से लेकर कोलकाता तक दीदी लालू के पैंतरे से हलाकान हैं।
लालू और ममता बनर्जी के बीच चल रहे सियासी शह-मात के खेल में फिलहाल लालू हर मोर्चे पर ममता को मात देने की कोशिशों में जुटे हैं। जाहिर तौर पर लालू को इसके लिए जरूरी राजनीतिक ताकत कांग्रेस से मिल रही है।
ममता के बिदकने वाले अंदाज के कारण कांग्रेस के रणनीतिकार लालू-ममता के बीच बैलेसिंग-एक्ट की रणनीति अपना रहे हैं। इसके तहत लालू को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं। यही कारण है केवल 4 सांसदों वाले लालू की दिल्ली में धमक बरकार है।
सूत्रों ने बताया कि तय कायदे के लिहाज से लोकसभा के 8 सांसदों वाली पार्टी को ही कार्यालय आवंटित किया जाता था, मगर राजद के केवल 4 सांसद ही लोकसभा से चुनकर आए और राज्यसभा से मिलाकर राजद के 8 सांसदों की संख्या पूरी होती है। नियम में संशोधन कर संसद परिसर में कार्यालय की पात्रता के लिए लोकसभा और राज्यसभा के कुल सांसदों की संख्या 8 कर दी गई। इसका सीधा फायदा राजद सहित अन्य दलों (शिअद, सीपीआई) को मिला।
यही हाल आवास को लेकर है। एमएस फ्लैट्स में डी-4 फ्लैट आवंटित करने के लिए चार बार खत-ओ-किताबत के बाद भी लोकसभा हाउसिंग कमेटी से कोई जवाब रेलमंत्री के पास नहीं पहुंचा। तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने माना कि ममता के बिदकने वाले खास अंदाज के कारण चेक-एंड-बैलेंस फामरूले अपनाया गया है। लालू केंद्र में मंत्री नहीं रहे, इसके बावजूद उनके रुतबे में कोई कमी नहीं आई। ममता मंत्री हैं मगर उनके काम पर न तो अधिकारी और न ही राजनेता कान धरने को तैयार हैं।
कांग्रेस के रणनीतिकारों के बीच लालू का दबदबा अब भी बरकरार है वहीं ममता के घर-मकान, ऑफिस-दफ्तर जैसे छोटे-मोटे काम में भी लगातार अड़ंगा लग रहा है। सरकार और तृणमूल नेताओं के बीच लिखत-पढ़त के बाद भी काम सिरे नहीं चढ़ पा रहा, जबकि राजद अध्यक्ष जबानी जमाखर्च से ही हर काम करा ले जा रहे हैं और तो और दीदी के गढ़ पश्चिम बंगाल में जाकर लालू साथी वामपंथी दलों के साथ मिलकर घेरने का कोई मौका नहीं जाने दे रहे।
लालू और ममता बनर्जी के बीच चल रहे सियासी शह-मात के खेल में फिलहाल लालू हर मोर्चे पर ममता को मात देने की कोशिशों में जुटे हैं। जाहिर तौर पर लालू को इसके लिए जरूरी राजनीतिक ताकत कांग्रेस से मिल रही है।
ममता के बिदकने वाले अंदाज के कारण कांग्रेस के रणनीतिकार लालू-ममता के बीच बैलेसिंग-एक्ट की रणनीति अपना रहे हैं। इसके तहत लालू को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं। यही कारण है केवल 4 सांसदों वाले लालू की दिल्ली में धमक बरकार है।
सूत्रों ने बताया कि तय कायदे के लिहाज से लोकसभा के 8 सांसदों वाली पार्टी को ही कार्यालय आवंटित किया जाता था, मगर राजद के केवल 4 सांसद ही लोकसभा से चुनकर आए और राज्यसभा से मिलाकर राजद के 8 सांसदों की संख्या पूरी होती है। नियम में संशोधन कर संसद परिसर में कार्यालय की पात्रता के लिए लोकसभा और राज्यसभा के कुल सांसदों की संख्या 8 कर दी गई। इसका सीधा फायदा राजद सहित अन्य दलों (शिअद, सीपीआई) को मिला।
यही हाल आवास को लेकर है। एमएस फ्लैट्स में डी-4 फ्लैट आवंटित करने के लिए चार बार खत-ओ-किताबत के बाद भी लोकसभा हाउसिंग कमेटी से कोई जवाब रेलमंत्री के पास नहीं पहुंचा। तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने माना कि ममता के बिदकने वाले खास अंदाज के कारण चेक-एंड-बैलेंस फामरूले अपनाया गया है। लालू केंद्र में मंत्री नहीं रहे, इसके बावजूद उनके रुतबे में कोई कमी नहीं आई। ममता मंत्री हैं मगर उनके काम पर न तो अधिकारी और न ही राजनेता कान धरने को तैयार हैं।
कांग्रेस के रणनीतिकारों के बीच लालू का दबदबा अब भी बरकरार है वहीं ममता के घर-मकान, ऑफिस-दफ्तर जैसे छोटे-मोटे काम में भी लगातार अड़ंगा लग रहा है। सरकार और तृणमूल नेताओं के बीच लिखत-पढ़त के बाद भी काम सिरे नहीं चढ़ पा रहा, जबकि राजद अध्यक्ष जबानी जमाखर्च से ही हर काम करा ले जा रहे हैं और तो और दीदी के गढ़ पश्चिम बंगाल में जाकर लालू साथी वामपंथी दलों के साथ मिलकर घेरने का कोई मौका नहीं जाने दे रहे।
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