हमीरपुर पंचायत समिति पर एक बार फिर कांग्रेस का कब्जा हो गया है। भाजपा समर्थित रमेशचंद के निधन के कारण खाली हुई इस सीट पर सोमवार को हुए चुनाव में कांग्रेस के सुरेश कुमार विजयी घोषित किए गए हैं। इसके साथ ही कांग्रेस ने एक बार फिर वर्चस्व कायम किया।13 सदस्यीय इस समिति में कांग्रेस को 8 और भाजपा के पक्ष में केवल 5 ही मत पड़े। भाजपा ने बजूरी वार्ड के मेहरसिंह को चेयरमैनी के लिए उतारा था, लेकिन भाजपा के इस गढ़ में कांग्रेसियों ने भाजपाइयों को करारी शिकस्त दी है।
उनके सारे समीकरण धरे के धरे रह गए हैं। भाजपा को पहले भी इस ब्लॉक में चेयरमैनी के मामले में नुकसान उठाना पड़ा था। चार साल पहले इस पंचायत समिति के गठन के समय सुरेश कुमार चेयरमैन चुने गए थे। भाजपा जैसे ही प्रदेश में सत्ता में लौटी, हमीरपुर पंचायत समिति में भी समीकरणों को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए बदल दिया गया। वाइस चेयरमैन के वोट को लेकर मामला हाइकोर्ट में भी गया था।
किसी और को उतारा भाजपा ने
दरअसल भाजपा की अंदरूनी कलह की बदौलत चुनाव से पहले तक यह तय ही नहीं था कि भाजपा किसे चेयरमैनी के लिए उतारेगी। आखिरी मौके पर समीकरणों को बदलने के प्रयास में मेहरसिंह को उतारा गया। सत्ता पक्ष के लिए वे भी कुछ नहीं कर पाए। बीडीओ कार्यालय परिसर में जहां एक ओर कांग्रेस के कई नेता मौजूद थे, भाजपा के प्रमुख नेता नदारद थे और तीसरे दर्जे के नेताओं को शायद समीकरणों को बदलने को जिम्मा सौंपा।
अंदरूनी कलह की पंचायत समिति के चुनाव में खुली पोल
पंचायत समिति के चेयरमैन के चुनाव में भाजपा नेताओं की अंदरूनी कलह की पोल भी खुलकर सामने आई है। नेताओं में एकता होती तो कांग्रेस इतनी आसानी से एकतरफा चुनाव न जीत पाती। भाजपा के नेता कहने को तो यही कह रहे थे कि भाजपा चेयरमैनी के पद को कब्जा लेगी, लेकिन कांग्रेस के नेताओं की दखल आंदाजी ने पार्टी के कुनबे को एक सूत्र में पिराए रखा। इस बार चुनाव स्थल पर पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार रहे नरेंद्र ठाकुर शुरू से ही माहौल बनाए हुए थे।
उनके अलावा कई और नेता भी एकजुटता के साथ लगे रहे। भाजपा नेता कांग्रेस के सदस्यों मे सेंध नहीं लगा पाए। हालांकि दो लोगों को वे पहले की तरह अपने खेमें में समझ रहे थे। इसी कारण चुनाव के लिए बुलाई गई इस पहली बैठक में ही चुनाव हो गया। आमतौर पर उम्मीदों पर विश्वास न होने के कारण बैठक में कोरम पूरा नहीं होने पर इसे बदला जाता रहा है। दरअसल एक महिला सदस्य के कारण ही पूर्व में हुए इस चुनाव में भाजपा ने चेयरमैनी हथियाई थी। बाद में अविश्वास प्रस्ताव के बाद सुरेश कुमार को हटा दिया गया था।
दिवंगत चेयरमैन रमेश शर्मा के खुद के प्रयासों के कारणों इस पंचायत समिति में उल्टफेर हुआ था। जिसे बरकरार रखने में पार्टी का मौजूदा नेतृत्व मेहनत नहीं कर पाया। भाजपाइयों को यह बात अखर रही है कि अपने ही गढ़ में पंचायत समिति जैसी चेयरमैनी को विरोधियों के कब्जा लेने से उनकी किरकिरी हो रही है।
दो सदस्यों को अपने साथ जोड़ने का मामला था। जिसमें पार्टी के स्थानीय नेता मशक्कत नहीं कर पाए। हमीरपुर मंडल भाजपा के अध्यक्ष अनिल ठाकुर का कहना है कि संख्या के लिहाज से कांग्रेस के लोग पहले से ही यहां ज्यादा रहे हैं। इसी कारण भाजपा इस चेयरमैनी को हाथ में नहीं ले पाई है।
उनके सारे समीकरण धरे के धरे रह गए हैं। भाजपा को पहले भी इस ब्लॉक में चेयरमैनी के मामले में नुकसान उठाना पड़ा था। चार साल पहले इस पंचायत समिति के गठन के समय सुरेश कुमार चेयरमैन चुने गए थे। भाजपा जैसे ही प्रदेश में सत्ता में लौटी, हमीरपुर पंचायत समिति में भी समीकरणों को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए बदल दिया गया। वाइस चेयरमैन के वोट को लेकर मामला हाइकोर्ट में भी गया था।
किसी और को उतारा भाजपा ने
दरअसल भाजपा की अंदरूनी कलह की बदौलत चुनाव से पहले तक यह तय ही नहीं था कि भाजपा किसे चेयरमैनी के लिए उतारेगी। आखिरी मौके पर समीकरणों को बदलने के प्रयास में मेहरसिंह को उतारा गया। सत्ता पक्ष के लिए वे भी कुछ नहीं कर पाए। बीडीओ कार्यालय परिसर में जहां एक ओर कांग्रेस के कई नेता मौजूद थे, भाजपा के प्रमुख नेता नदारद थे और तीसरे दर्जे के नेताओं को शायद समीकरणों को बदलने को जिम्मा सौंपा।
अंदरूनी कलह की पंचायत समिति के चुनाव में खुली पोल
पंचायत समिति के चेयरमैन के चुनाव में भाजपा नेताओं की अंदरूनी कलह की पोल भी खुलकर सामने आई है। नेताओं में एकता होती तो कांग्रेस इतनी आसानी से एकतरफा चुनाव न जीत पाती। भाजपा के नेता कहने को तो यही कह रहे थे कि भाजपा चेयरमैनी के पद को कब्जा लेगी, लेकिन कांग्रेस के नेताओं की दखल आंदाजी ने पार्टी के कुनबे को एक सूत्र में पिराए रखा। इस बार चुनाव स्थल पर पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार रहे नरेंद्र ठाकुर शुरू से ही माहौल बनाए हुए थे।
उनके अलावा कई और नेता भी एकजुटता के साथ लगे रहे। भाजपा नेता कांग्रेस के सदस्यों मे सेंध नहीं लगा पाए। हालांकि दो लोगों को वे पहले की तरह अपने खेमें में समझ रहे थे। इसी कारण चुनाव के लिए बुलाई गई इस पहली बैठक में ही चुनाव हो गया। आमतौर पर उम्मीदों पर विश्वास न होने के कारण बैठक में कोरम पूरा नहीं होने पर इसे बदला जाता रहा है। दरअसल एक महिला सदस्य के कारण ही पूर्व में हुए इस चुनाव में भाजपा ने चेयरमैनी हथियाई थी। बाद में अविश्वास प्रस्ताव के बाद सुरेश कुमार को हटा दिया गया था।
दिवंगत चेयरमैन रमेश शर्मा के खुद के प्रयासों के कारणों इस पंचायत समिति में उल्टफेर हुआ था। जिसे बरकरार रखने में पार्टी का मौजूदा नेतृत्व मेहनत नहीं कर पाया। भाजपाइयों को यह बात अखर रही है कि अपने ही गढ़ में पंचायत समिति जैसी चेयरमैनी को विरोधियों के कब्जा लेने से उनकी किरकिरी हो रही है।
दो सदस्यों को अपने साथ जोड़ने का मामला था। जिसमें पार्टी के स्थानीय नेता मशक्कत नहीं कर पाए। हमीरपुर मंडल भाजपा के अध्यक्ष अनिल ठाकुर का कहना है कि संख्या के लिहाज से कांग्रेस के लोग पहले से ही यहां ज्यादा रहे हैं। इसी कारण भाजपा इस चेयरमैनी को हाथ में नहीं ले पाई है।
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