Wednesday, February 4, 2009

नारायणन को देश का सुरक्षा सलाहकार नहीं बनेगे

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रणब मुखर्जी और एके एंटनी को आश्वासन दिया है कि अगली बार अगर यूपीए की सरकार बनी तो एमके नारायणन को देश का सुरक्षा सलाहकार नहीं बनाया जाएगा। दरअसल नारायणन को अभी ही हटा दिया जाता लेकिन लोकसभा चुनाव के ठीक पहले उन्हें हटाना राजनैतिक दृष्टि से उचित नहीं माना जा रहा।प्रणब मुखर्जी, एमके नारायणन पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्तों को तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। एक तरफ विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी लगातार इस कोशिश में लगे हैं कि पाकिस्तान भारत द्वारा मुंबई हमलों के बारे में दिए गए सबूतों के बारे में साफ जवाबदेह और पाकिस्तान ने अधिक से अधिक अगले सप्ताह तक जवाब देने का वचन दिया है। प्रणब मुखर्जी और एके एंटनी बार-बार याद दिलाते जा रहे हैं कि पाकिस्तान को सही और निर्णायक जवाब देना ही पड़ेगा। लेकिन एमके नारायणन ने तो हद कर दी। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि पाकिस्तान ने भारत के प्रश्नों के उत्तर दे दिए हैं और उनका अध्ययन किया जा रहा है। यह एक सरेआम झूठ है।पाकिस्तान ने भारत द्वारा दिए गए सबूतों के बारे में अभी तक वास्तव में कोई उत्तर नहीं दिया है। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने तो यहां तक कहा है कि भारत ने जो दस्तावेज सबूत के तौर पर भेजे हैं वे काफी नहीं हैं और उनकी जांच पाकिस्तान अपने स्तर पर करेगा। पाकिस्तान के कानून के हिसाब से अगर कोई मामला बनता है तभी कोई कार्रवाई की जाएगी।एक तरफ प्रणब मुखर्जी इन कोशिशों में लगे थे कि पाकिस्तान को सच बोलने की शिक्षा दी जाए और भारत के अपराधियों पर न्याय का शिकंजा कसा जाए लेकिन एमके नारायणन ने तो झूठ बोल कर सारा खेल बिगाड़ने की कोशिश की। नारायणन ने यहां तक कहा कि आज अगर परवेज मुशर्रफ होते तो यह विवाद ज्यादा आसानी से सुलझ जाता। अब यह पता लगाया जाना शेष है कि परवेज मुशर्रफ और एमके नारायणन कही कुंभ के मेले में बिछड़े हुए भाई तो नहीं हैं। मुशर्रफ की इतनी प्रचंड वकालत तो उनके शासन काल में उनके मंत्रियों और सैनिक अधिकारियों ने भी नहीं की।दरअसल मुंबई हमलों के बाद एमके नारायणन की मुसीबतें बढ़ती ही जा रही है। पहले शिवराज पाटिल जैसे निकम्मे गृहमंत्री थे जो किसी चीज की और जानकारी की साझेदारी में यकीन नहीं करते थे। इसके बाद पी चिदंबरम के हाथ में कमान आई और चिदंबरम हमेशा अपने हिसाब से चलते हैं। उन्होंने तो अपने आपको सर्वशक्तिमान मानने वाले एमके नारायणन को आदेश दिया कि वे रोज नियमित तौर पर साउथ ब्लॉक में होने वाली बैठक में हाजिर हुआ करें। एमके नारायणन को भले ही यह आदेश पसंद न आया हो लेकिन चिदंबरम की वरिष्ठता और जिम्मेदारी को देखते हुए उन्हें इसे स्वीकार करना ही पड़ा।

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