Tuesday, February 17, 2009

उच्च सदन सन्न रह गया यशवंत सिन्हा की आपबीती सुन

रांची में राजभवन का घेराव करते हुए पुलिसिया कहर का शिकार हुए पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा की आपबीती सुन मंगलवार को सारा उच्च सदन सन्न रह गया। सभापति के चैंबर में उनके जख्म देख चुके उपसभापति के. रहमान खान ने गृह मंत्री पी. चिदंबरम को जल्द से जल्द कार्रवाई रिपोर्ट के साथ सदन में आने को कहा है।शून्यकाल के दौरान यशवंत सिन्हा ने आरोप लगाया कि उन्हें और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को लक्ष्य बनाकर मारा-पीटा गया है। उन्होंने कहा कि अगर कार्यकर्ताओं और उन्हें मिले तीन सुरक्षाकर्मियों ने घेरा न बनाया होता तो शायद वह आज सदन में इस तरह से खड़े न होते। सिन्हा ने कहा कि जब वह राजभवन की तरफ बढ़ रहे थे तो पुलिस या मजिस्ट्रेट ने इस बात की चेतावनी नहीं दी कि वह धारा 144 का उल्लंघन कर रहे हैं। दो बैरीकेड पार करने के बाद उन पर पानी की बौछार डाली गई और फिर लाल पानी की। इसके तुरंत बाद ही पुलिस ने अंधाधुंध लाठीचार्ज शुरू कर दिया। इसमें अर्जुन मुंडा के सिर पर लाठी लगी तो तीन में से दो सुरक्षाकर्मियों के सिर फूट गए। एक सुरक्षाकर्मी के हाथ-पांव की हड्डी टूट गई, निजी सचिव का सिर फूटा और तमाम कार्यकर्ता घायल हो गए। सिन्हा ने कहा कि विरोध प्रदर्शन करते हुए पुलिस के इस कहर को भी वह भूल जाते लेकिन जब घायल होकर बैठे हुए थे तो पुलिस अधिकारी व मजिस्ट्रेट ने आकर कहा कि गिरफ्तारी दीजिए नहीं तो जबरन ले जाएंगे। यह कहे जाने पर कि वह घायल हैं कम से कम फर्स्ट एड तो दें पर वह नहीं माने और बोरी की तरह उठा कर जीप के पीछे डाल दिया। यही नहीं जीप लेकर इधर-उधर घूमते रहे और बैरीकेडिंग की वजह से निकल नहीं पा रहे थे। तभी उसमें बैठे एक अधिकारी ने ड्राइवर से कहा कि फोन करके पूछते हैं कि क्या करना है? लेकिन वह फोन करने गया तो आया ही नहीं। इसके बाद उनके सहयोगी उन्हें निजी अस्पताल ले गए। सवाल यह है कि अगर उन्हें गिरफ्तार किया गया था तो राज्यसभा को सूचना क्यों नहीं दी गई? अगर सदस्यों के विशेषाधिकार हैं और गिरफ्तारी के बारे में सूचित करना जरूरी है तो फिर ऐसा क्यों नहीं किया गया। यह विशेषाधिकार का घोर उल्लंघन है, दोषी अधिकारियों को दंडित किया जाए। इसके बाद भाजपा की उपनेता सुषमा स्वराज ने कहा कि पिछले शुक्रवार को गृह मंत्री की उपस्थिति में यह मामला उठा था पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस पर रहमान खान ने कहा कि गृह मंत्री इस मामले में रिपोर्ट के साथ उपस्थित हों। भाजपा सदस्य इसके लिए समय तय करने की बात कर रहे थे तो पवन बंसल ने कहा कि गृह मंत्री जल्द से जल्द आएंगे। इसके बाद निर्दलीय बिमल जालान ने कहा कि अगर यह स्थिति एक पूर्व केंद्रीय मंत्री के साथ है तो सोचना चाहिए कि आम आदमी के साथ कैसा व्यवहार होता है। उसके पास तो कोई विशेषाधिकार भी नहीं है।

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