Tuesday, February 24, 2009

भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की फजीहत

मध्यप्रदेश राज्य के सीहोर कार्यकर्ताओं को संगठन की आंख-नाक और कान कहने वाली भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की फजीहत हो रही है। भाजपा नेताओं की न पुलिस सुन रही है न ही प्रशासन पर इनकी गुहार का असर हो रहा है। स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चार दिन पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता और व्यापारी गिरधर कुईया के ऊपर भरे बाजार में हमला होता है ओर कार्रवाई के लिए व्यापारी वर्ग को धरना तक देने पर मजबूर होना पडता है। इसके बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती है। यह कोई अकेला मामला नहीं है इस घटना के एक पखवाडा पूर्व भी मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के लिए भाजपा पार्षद विपिन सास्ता द्वारा दिए गए आवेदन पर एक अघिकारी द्वारा हस्ताक्षर न करते हुए अंगूठा लगा देने पर भी किसी ने कोई आपत्ति दर्ज कराना उचित नहीं समझा।इस मामले में जांच का आश्वासन देकर प्रशासन ने अपनी खानापूर्ति कर ली, लेकिन 15 दिन बाद भी जांच का क्या हुआ कहा नहीं जा सकता है। एक अन्य मामले में एक माह पूर्व भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष को पुलिस प्रभारी मंत्री की उपस्थिति में गिरफ्तार कर ले जाती है और आला नेता देखते रह जाते हैं। इन घटनाओं से न केवल अघिकारियों को स्वछंद कार्रवाई का मौका मिलता है, वहीं कार्यकर्ताओं में हताशा के भाव घर कर रहे हैं। गिरधर कुईया, भाजपा नेता- प्रशासन और पुलिस भाजपा नेताओं की बातों को तवज्जो नहीं दे रही है। मंगलवार को भी एक अपराधी को पुलिस ने पकडा लेकिन उससे अपने साथियों के नाम पूछने की बजाय उसे अदालत में पेश कर जेल भेज दिया। इससे लगता है कि पुलिस मामले को हल्के में ले रही है। सुशील ताम्रकार, महामंत्री भाजयुमो - मुख्यमंत्री का गृह जिला होने के बाद भी यहां प्रशासन और पुलिस भाजपा नेताओं को कोई अहमियत नहीं दे रहे है। इस संबंध में अब मुख्यमंत्री से गुहार लगाकर कार्यकर्ताओं की उपेक्षा से उन्हें अवगत कराया जाएगा। ऎसी परिस्थितियों में हम कैसे यकीन करें की हमारी सरकार प्रदेश में है।ललित नागौरी, जिलाध्यक्ष भाजपा - प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार कार्यकर्ताओं की मेहनत से ही बनी है। कहीं भी उनकी उपेक्षा नहीं हो रही है। यह विवाद आपसी रंजिश के चलते हुआ। इसमें पुलिस जांच कर रही है। मैं स्वयं मामले के बारे में पुलिस अधीक्षक से बात कर चुका हूं। उपेक्षा जैसी कोई बात नहीं है।

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