परमाणु प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर जी-आठ समूह के देशों के इस रूख पर कि सिर्फ उस देश को प्रौद्योगिकी देंगे जो परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर करेगा, सोमवार को भाजपा और माकपा ने सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया। राज्यसभा में भाजपा सांसद अरूण शौरी और माकपा सांसद वंृदा कारत ने दो-टूक आरोप लगाया कि उनकी आशंकाएं सही साबित हुई और सरकार ने अमरीकी दबाव में घुटने टेक दिए हैं। सफाई देते वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि भारत को असैनिक परमाणु कार्यक्रम के लिए परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) से पूरी छूट मिली हुई है, जी-आठ क्या कहता है इस पर चिंतित होने की जरूरत नहीं।प्रणव ने यह कहकर विपक्ष को आश्वस्त करना चाहा कि परमाणु प्रौद्योगिकी हस्तांरण में जी-आठ की कोई भूमिका नहीं है। इसके निकाय अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) और एनएसजी हैं लेकिन विपक्ष संतुष्ट न हो सका। शौरी ने मुद्दा उठाते हुए कहा कि जी-आठ ने स्पष्ट कर दिया है कि एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों को संवेदनशील परमाणु प्रौद्योगिकी हस्तांतरित नहीं की जाएगी। दरअसल यह अमरीकी दबाव है जिसे पहले ही स्पष्ट कर दिया गया था। इसी दबाव के चलते प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बार-बार अपना रूख बदल रहे हैं।पहले उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान के साथ तब तक बात नहीं करेंगे जब तक वह आतंकवाद की आधारभूत अवसंरचना नष्ट नहीं कर देता और, मुंबई हमले के दोषी लोगों को न्याय के कठघरे में नहीं ले आता लेकिन अब उन्होंने अपना रूख नरम कर लिया है। यह उम्मीद जताते हुए कि पाकिस्तान कोई न कोई कदम अवश्य उठाएगा मनमोहन सिंह पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से मुलाकात को तैयार हो गए हैं। भाकपा की वंृदा कारत ने भी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उनकी पार्टी परमाणु समझौते का शुरू से विरोध कर रही थी, जी-आठ के ऎलान के बाद सारे शक सही हो गए।
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