मायावती बनाम रीता बहुगुणा जोशी की जुबानी जंग जब संसद में हंगामे की वजह बनी तब तीसरे पक्ष यानी भाजपा के लिए भारी दुविधा खड़ी हो गई कि किसका साथ दे। लोकसभा में उपनेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने मामले को नारी की गरिमा से जोड़कर बसपा का साथ दिया लेकिन, उत्तर प्रदेश से भाजपा सांसद मेनका गांधी ने दो-टूक कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए। उधर, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरूण जेटली ने सधे लहजे में बसपा और कांग्रेस दोनों को निशाने पर लेते हुए कहा कि यह संसदीय लोकतंत्र के इम्तिहान की घड़ी है। रीता ने जानबूझकर भड़काऊ बयान दिया और मायावती सरकार ने कानून अपने हाथ में लिया। भाजपा समाज और संसद में तनाव बढ़ाने के लिए इन दोनों की निंदा करती है।सदन के भीतर और हंगामे को शांत करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष के कक्ष में हुई राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक के दौरान सुषमा स्वराज ने बहुजन समाज पार्टी का जमकर समर्थन किया। उन्होंने संसदीय कार्य मंत्री पवन बंसल और स्पीकर मीरा कुमार से भी कहा कि आज सदन चलाने की कोशिश व्यर्थ होगी। बसपा सांसद किसी भी सूरत में सुचारू कार्रवाई नहीं होने देंगे। यह उनके नेता से जुड़ा हुआ मामला है। इस तरह की स्थिति किसी भी पार्टी के सामने खड़ी हो सकती है। जब राज्यसभा कल तक के लिए स्थगित कर दी गई है तो लोकसभा भी दो बजे के बाद स्थगित कर देना चाहिए। उनके इस तर्क को सबने माना और सदन की बैठक न हो सकी। इसके बाद लोकसभा में बसपा नेता दारा सिंह ने इस समर्थन के लिए उनका आभार भी जताया।बाद में पार्टी की नियमित ब्रीफिंग के दौरान भी सुषमा बसपा के प्रति नरम और कांग्रेस के प्रति तल्ख नजर आई। उन्होंने बसपा सुप्रीमो के खिलाफ उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक बताते हुए नारी की गरिमा का अपमान करार दिया। उन्होंने रीता के साथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी माफी की मांग की। उनसे मेनका गांधी के बयान के बाबत पूछा गया तो टालते हुए कहा कि यह उनकी अपनी राय हो सकती है।
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